Kumar Vikrant

Comedy

4  

Kumar Vikrant

Comedy

झोपड़दास/एलियन

झोपड़दास/एलियन

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'कौन है वहाँ ?'

एक औरत की आवाज खुले मैदान में गूँज रही थी।

'क्या चक्कर है ढक्कन, क्यों चिल्ला रही है वो औरत ?' डमरूदास ने अपने साथ वाक करते ढक्कन प्रसाद या डी पी से पूछा।

'अबे तू भी यही है और मैं भी यही हूँ, मुझे क्या पता। आ चल कर देखते है।' डी पी गुस्से से बोला।

सुबह के घुँधलके में कुछ भी स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा था। डेढ़-डेढ़ कुंतल के वो दोनों गुलफाम नगर वासी अपना वजन कम करने के चक्कर में कई दिन से गुलफाम नगर के राँझा मैदान में वाक कर रहे थे। ये मैदान शहर से लगभग १० किलोमीटर दूर था और बहुत ही कम वाक करने वाले इस मैदान तक आ पाते थे इसलिए इस मैदान में किसी औरत की आवाज सुनकर डी पी और डमरूदास आश्चर्यचकित थे।

जैसे-जैसे वो दोनों आवाज के उदगम स्थान की और बढ़ रहे थे आवाज और स्पष्ट होती जा रही थी।

मैदान के बीच एक टीन टप्पर जैसा कुछ बना हुआ था आवाजे उसी टीन टप्पर से आ रही थी।

'कोई उस टीन टप्पर से पुकार रहा है।' डी पी फुसफुसा कर बोला।

'अबे बोल नहीं रहा बोल रही है, लेकिन ये टीन टप्पर इस मैदान में अचानक से कहाँ से आ टपका ? कल तक तो ये टीन टप्पर यहाँ नहीं था।' डमरूदास उत्सुकता से बोला।

वो टीन टप्पर चारो तरफ से बंद था, आवाजे अब भी उसी तरह गूँज रही थी।

'अबे क्या मुसीबत है न कोई खिड़की न कोई दरवाजा, क्या चक्कर है ? कोई लफड़ा तो नहीं है ? चल निकल ले यहाँ से।' डी पी फुसफुसा कर बोला।

'क्या बकवास करता है कोई लफड़ा नहीं है गौर से देखो मैं बोल रहा हूँ।' टीन टप्पर से डमरूदास की आवाज आई।

'अबे कौन है तू अभी औरत की आवाज में बोलता है अब डमरूदास की आवाज में बोल रहा है ?' डी पी ने थोड़ा डरते हुए पूछा।

'बेटे मैं तो तेरी आवाज में भी बोल सकता हूँ।' इस बार झोपडी से डी पी की आवाज आई।

'मान गए गुरु आवाजे तो अच्छी निकालता अब जरा अपनी सूरत भी दिखा दे।' डी पी आश्चर्य से बोला।

'अबे नमूनों मैं तुम्हारे सामने ही तो खड़ा हूँ।' इस बार फिर से डमरूदास की आवाज आई।

'अच्छा मजाक है भाई या तो हम अंधे है या तू कोई अदृश्य चीज है जो हमे दिख नहीं रही है.......' डमरूदास थोड़े गुस्से से बोला।

'अबे न तो तुम अंधे हो और न मैं अदृश्य हूँ ये जो टीन टप्पर तुम देख रहे हो मैं वही हूँ।' इस बार फिर उस औरत की आवाज आई।

'सही खेल खेल रहा है बेटे चल तू घुसा रह इस टीन टप्पर में हम तो चलते है ।' डी पी चिढ़ते हुए बोला।

'खामोश तुम दोनों मेरे गुलाम हो ज्यादा बकवास की तो तुम्हे भी टीन टप्पर में बदल दूँगा।' इस बार झोपड़े से एक धात्विक आवाज आई।

'हा हा, तो बदल।' डमरूदास हँसते हुए बोला।

तभी उस टीन टप्पर से एक अजीब सी आवाज निकली और डमरूदास एक दूसरे तीन टप्पर में बदल गया।

'मर गए, ये क्या हो गया........' कहते हुए डी पी वहाँ से भागने लगा।

'भाग मत नहीं तो तुझे भी टीन टप्पर में बदल दूँगा।' फिर वही धात्विक आवाज हवाओ में गूँज उठी।

'बाप मेरे क्या बला है तू, कोई जादूगर या कुछ और ?' डी पी डर से कांपते हुए बोला।

'अबे ढक्कन तुम्हारी धरती पर किसी की औकात है जो इंसान को टीन टप्पर में बदल सके, तो समझ जा मैं इस धरती का तो नहीं हूँ और कहाँ से किस तरह यहाँ आया हूँ ये तू नहीं समझेगा.......' फिर वही धात्विक आवाज गूँजी।

'ठीक है बाप तू कोई एलिएन है लेकिन तुझे हमसे क्या चाहिए ?' डी पी ने टीन टप्पर में बदले डमरूदास की और देखते हुए पूछा।

'बेटे तुम्हारी क्या औकात है कि तुम मुझे कुछ दे सको, मैं तो अपनी गलती की वजह से इस टीन टप्पर में बदल गया हूँ.........' फिर वही धात्विक आवाज गूँजी।

'गलती वो भी तुमसे ?' डी पी ने आश्चर्य से पूछा।

'हाँ बे मुझसे भी गलती हो गई। कल रात जब मैं इस धरती पर पहुँचा तो एक बड़े से मैदान में एक टीन टप्पर में कौन है ? कौन है ? की आवाज सुनी और मैंने सोचा यह कोई धरती वासी है और खुद को एक टीन टप्पर में बदलने का फार्मूला लगा दिया।' वही धात्विक आवाज थोड़े गुस्से से बोली।

'बाप तूने इंसान नहीं कोई भूत बंगला नाम का खेल देख लिया होगा।' डी पी जल्दी से बोला।

'हो सकता है, लेकिन एक गलत फार्मूला और लग गया मैंने एक कार देखी जिसे देख कर मैंने इस टीन टप्पर को कार में बदलने का फार्मूला लगा दिया लेकिन कुछ देर बाद देखा कि कुछ लोग थोड़ी देर बाद उसी कार को धक्के मार कर स्टार्ट कर रहे थे, अब मैं भी एक धक्का मार टीन टप्पर में बदल चुका हूँ।' इस बार वो धात्विक आवाज थोड़ी चिंता भरे अंदाज में बोली।

'तो गुरु अब उन फार्मूलों को रिवर्स कर और निकल जा इस जगह से।' डी पी थोड़ी उत्सुकता से बोला।

'यही तो मुश्किल हो गई है, मुझे उस फार्मूले को रिवर्स करने में १० साल लगेंगे.....' इस बार उस धात्विक आवाज में चिंता ज्यादा थी।

'तो भाई हम क्या करे, तूने हमे क्यों पकड़ रखा है ?' डी पी ने चिंता से पूछा।

'अबे बेवकुफो मैंने कुछ सोचा है इसलिए तुम्हे औरत की आवाज में यहाँ बुलाया।' वही धात्विक आवाज फिर गूँजी।

'बोल बाप क्या करू अब मैं ? डमरूदास को तो तूने टीन टप्पर में बदल दिया है।' डी पी ने पूछा।

'धक्का परेड, तुम दोनों मेरे टीन टक्कर को धक्का दो हो सकता है मेरी वापसी का इंतजाम हो जाए।' वही धात्विक आवाज बोली।

'दोनों ? मैं तो अब अकेला हूँ डमरूदास को तो तुमने टीन टप्पर में बदल दिया है।' डी पी चालाकी से बोला।

'अबे तू धक्का परेड स्टार्ट कर मैं उस टीन टप्पर को इंसान में बदलता हूँ।' कहकर उस धात्विक आवाज ने डमरूदास को उसके असली रूप में बदल दिया।

हक्के-बक्के डमरूदास ने डी पी के साथ मिलकर उस टीन टप्पर को धक्के दिए। थोड़ी देर की धक्का परेड के बाद एक भयानक आवाज हुई और वो टीन टप्पर एक बड़े आकार के झोपड़े में बदल गया।

'अबे भाई ये क्या ? टीन टप्पर से सीधा झोपड़ा। क्या तरक्की की है अब सच बोल कौन है तू और ये क्या ड्रामा है ? नाम क्या है तेरा ?' डी पी आँखे फाड़कर बोला।

'बेटे यही मेरा असली रूप है और तुम तकदीर वाले हो जो मुझे देख सके, नाम क्या होता है मुझे नहीं पता लेकिन मुझे झोपड़दास कहा जाता है।' कह कर वो झोपड़ा जाने को हुआ।

'धन्यभाग हमारे, तेरे जैसे आयटम तो हमने आज तक देखे ही नहीं, जा भाई जा।' डमरूदास उपहास भरे शब्द में बोला।

'लगता है तुम मेरा मजाक उड़ा रहे हो तो जाने से पहले तुम्हे अपनी कुछ निशानी देता जाऊ।' कहकर झोपड़दास ने डमरूदास और डी पी की जबरदस्त पिटाई की और आसमान की तरफ उड़ गया।

नीचे जमीन पर पड़े डमरूदास और डी पी उस घड़ी को कोस रहे थे जिस घड़ी वो राँझा मैदान में वाक करने आ गए थे।


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