Sarita Kumar

Children Stories

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Sarita Kumar

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जामुन का वह पेड़

जामुन का वह पेड़

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अनायास याद आया मुझे जामुन का वह पेड़ बहुत ऊंचा मगर सीधा खड़ा था देता था ढेरों फल , जिसे खा खाकर , बांट बांटकर जब थक जाते थे तब मटके में भरकर सिरका बना लेते थे। जो बहुत काम आता था गर्मी के दिनों में अपच और पेट की गड़बड़ी में ।

कुछ दिनों बाद उस पर छा गई लताएं अंगूर की और जमा लिया था अपना आधिपत्य जामुन दब ढंक कर कुंठित हो गया और अपना वजूद स्वयं ही मिटाने लगा था शायद उसने महसूस कर लिया था अंगूर के प्रति मेरा आकर्षण ....छोटे-छोटे फल देने लगा था उसे बेकार समझा जाने लगा 

और उसके अस्तित्व को मिटाने की साज़िश रची गई काट दिया गया बड़ी बेदर्दी और बेरहमी से स्कूल से आकर देखा मैंने ..........घर का माहौल गमगीन था। मैंने देखा जामुन का पेड़ भी रो रहा था........जहां से विलग हुई थी टहनी वहां से बूंद बूंद टपक रहा था पानी .....चार दशक बाद भी मेरे आंखों के सामने वो अध कटा पेड़ खड़ा है। और बूंद बूंद टपक रहें हैं उसके आंसू याद मुझे वह भी है 

अपने छोटे-छोटे हाथों से उसके आंसू पोंछने लगती थी अपने फ्राॅक में समेट लेती थी उसके आंसू सुना था दादी मां और बाबा से की पेड़ काटना पाप होता है और देख भी लिया था पेड़ के आंसू मेरे बालमन पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा था तभी से शायद मैंने पेड़ पौधे और लता झाड़ियों में भी प्राण महसूस किया और उनसे भी प्यार किया था सदियों बाद आज बहुत याद आया मेरा जामुन का वह पेड़ । 


शिक्षा - हरे फलदार वृक्ष को नहीं काटना चाहिए ।



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