V. Aaradhyaa

Drama Tragedy

4.5  

V. Aaradhyaa

Drama Tragedy

इस प्यार को क्या नाम दूँ (भाग-2)

इस प्यार को क्या नाम दूँ (भाग-2)

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प्रिय पाठकों,अब तक आपने पढ़ा कि....

नलिनी राघव के साथ अपनी शादी तय हो जाने से बहुत खुश थी।

शादी के पहले....एक दो बार ही औपचारिक बात हुई थी राघव और नलिनी की। फिर दोनों की सहमति से महीने दिन बाद ही दोनों की धूमधाम से शादी हो गई और नलिनी राघव की दुल्हन बनकर उसके घर आ गई।......

 शादी के अगले दिन...ज़ब नलिनी पग फेरे के रस्म के लिए मायके गई थी और माँ के एकांत में किए हुए प्रश्न कि,

"राघव तुम्हें प्यार तो करता है ना?"अपनी माँ के इस सवाल के जवाब में ज़ब नलिनी शरमाकर चुप रह गई थी। तब माँ ने इसे स्त्रीसुलभ लज़्ज़ा ही माना था। वैसे भी नलिनी की कोई भाभी या कोई बड़ी छोटी बहन तो थी नहीं जिनसे वह अपने मन की बात कहती। ले देकर एक बारहवीं में पढ़ने वाला भाई था आरव जो दीदी के ससुराल जाने पर उसका खाली कमरा अपने नाम कराकर बहुत खुश था।बहरहाल,

नलिनी ज़ब पग फेरे के बाद वापस आई तो फिर दो तीन दिन राघव के रंग ढंग देखकर उसने माँ के सवाल का जवाब ढूंढने के चक्कर में आज से डाइरेक्ट पूछ लिया जिसका जवाब.... राघव ने यह कहकर दिया कि..." शादी के कार्यक्रम में मैं बहुत थक गया हूं। इसके आलावा इन दिनों ऑफिस का भी बहुत प्रेशर है। चिंता मत करो।कुछ दिनों में सब ठीक हो जाएगा!" पर नलिनी ने बहुत सोचा...

" चाहे कितनी भी थकावट हो पत्नी से बात तो की जा सकती है। हल्का-फुल्का प्रेम भी किया जा सकता है। कम से कम हाथ पकड़ कर तो बैठा ही जा सकता है।

 पर....यहां तो राघव भर नज़र नलिनी को ठीक से देखता भी नहीं था। और रात होते ही जल्दी से सो जाता था और सुबह उठकर कमरे से बाहर निकल जाता था। दोनों के बीच में एकांत का कोई वक्त ही नहीं था और ना ही उनकी एकांत में कोई बातचीत होती थी।

 और.... एक दिन नलिनी ने आजिज होकर पूछ ही लिया....

."यह शादी क्या आपकी मर्ज़ी के बगैर हुई है? या आपको मैं पसंद नहीं?"नलिनी ने राघव से पूछा तो राघव कुछ नहीं बोला और सोने का उपक्रम करते हुए जाकर सेठी पर लेट गया।

उसके इस बेलौस व्यवहार से आज़ीज़ आकर नलिनी ने राघव से जोर से पूछा ,

"आप ही बताइये कि क्या कमी है मुझमें? आप मुझसे क्यों खीचे खीचे से रहते हैं? अगर मैं आपको पसंद नहीं थी तो आपने मुझसे शादी के लिए हामी क्यूँ भरी थी?""ऐसी कोई बात नहीं है?"राघव ने अटकते हुए कहा।

तो नलिनी तनिक रोष में बोली," फिर क्या बात है राघव? आपको कोई और पसंद हो तो बोलिए। मैं आपका घर छोड़कर आज ही चली जाती हूँ!"ना जाने कैसे एक रौ में बोलती चली गई नलिनी ।नलिनी की बात सुनकर बदले में जो कुछ भी राघव ने बताया उसे सुनकर नलिनी की साँस जैसे गले में ही अटक गई।"आपमें कोई कमी नहीं है नलिनी ! मैं ही आपके काबिल नहीं हूँ। मैं किसी अन्य पुरुष से प्यार करता हूँ!"पलांश में पूरी दुनियाँ घूम गई थी नलिनी की। जिस रूप पर इतना गुमान था उसे कि उसे तो कोई लड़का ना कर ही नहीं सकता और उसे पाकर कोई भी अपनी किस्मत को दिन में सौ दफ़े सराहेगा। वह धारणा एकदम धूमिल हो गई।राघव पर उसके रूप का जादू ज़रा सा भी असर नहीं कर पाया था। तभी तो आज शादी के सातवें दिन तक भी तन मन से पति के प्रेम से अछूती रही थी नलिनी। यहाँ तक कि....

 राघव को तो नलिनी से मतलब ही नहीं था। वह तो किसी और लड़के से प्यार करता था।और अब.....?नलिनी के लिए यह पता लगाना बेहद ज़रूरी था कि.... यह बात तो राघव के साथ उसके घरवालों को भी पता ही होगा कि राघव एक गे है। 

तो फिर....उसने नलिनी से शादी क्यों की ?

क्रमशः


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