इंतजार
इंतजार
इंतजार तो आज भी है तुम्हारा।
अब बस दरवाजे पर तुम दस्तक नही देते।
पिछली बार जब आए तो साथ भीड़ भी आयी थी
निगाहें इंतजार में तब भी तुम्हारे बिछाए बैठी थी।
तुम्हें जी भर निहार भी ना पायी मेरी नजरें।
और तुम मेरी नजरों से ओझल हो गए थे
ना मैं अपने मन की कुछ कह पायी थी
ना तुम अपने मन की कुछ कह पाए थे।
शहीद तुम हुए तो देश रोया था।
मगर मेरे आंसू कोई देख ना पाया था।
रोना नहीं था मुझे क्योंकि बाबु को मैंने अपनी गोद मे सुलाया था।
मां बाबूजी के आंसू भी तो पोछने थे क्योंकि उन्होंने अपना लाल खोया था
तुम्हें तो सब आज भी गर्व से याद करके तुम्हें सब पूछ लेते है।
मगर मेरे दर्द को याद करके अब कोई मेरा हाल नही पूछता।
मगर मेरे दिल की गलियों में तुम्हारा इंतजार आज भी रहता।
निगाहें आज भी उन राहों पर टिक ही जाती है।
जहां से लौटकर आने का वादा तुम कर के गए थे।