Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Drama

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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Drama

इमोशनल ईटिंग

इमोशनल ईटिंग

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इस बारे में एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं, आपको बहुत पढ़ने मिल जाएगा। 

मैं अपने अनुभव के आधार पर आपको राय देना चाहता हूँ। मुझे लगता है, मैं भी कभी इमोशनल ईटिंग करता था। तब मेरा वेट 85-90 केजी रेंज में रहता था। बहुत वर्षों तक यह चलता रहा। मैं इसे इमोशनल ईटिंग की समस्या की तरह नहीं जानता था। 

मैं अपने शरीर के समानुपातिक होने के प्रति सोचता एवं सचेत रहना चाहता था। तब यह अधिक खानपान की आदत मुझे उचित नहीं लगती थी। अब से 8 वर्ष पूर्व, मैंने लंच/डिनर सुबह उठने के बाद, एवं दोपहर में खाने की क्वांटिटी निर्धारित की। 

पिछले लगभग 8 वर्षों से मैं नाश्ते/भोजन की जो शैली अपनाता हूँ, वह यहाँ लिख रहा हूँ - 

सुबह उठने के लगभग डेढ़ घंटे पश्चात् मैं कोई एक फल, दो तीन खजूर/अखरोट/बादाम खाता हूँ।  

10 - 10.30 बजे के बीच तीन चपाती, चाँवल तथा दाल कम एवं हरी सब्जी अधिक खाता हूँ। 

दोपहर में महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश के बालाघाट, छिंदवाड़ा, बैतूल आदि जिलों में चलने वाला चिवड़ा-मुरमुरा खाता हूँ। 

6 - 6.30 के बीच सुबह की तरह उसी मात्रा में भोजन लेता हूँ, भोजन में यदि पराठे हुए तो दाल एवं चाँवल नहीं लेता हूँ। 

सोने के पूर्व 150-200 एमएल दूध पीता हूँ। पहले मैं दूध नहीं पीता था, दिन में 3-4 बार चाय पीता था। एक वर्ष पूर्व मैंने चाय छोड़ दी तब कैल्शियम हेतु दूध लेना शुरू किया है। 

सप्ताह में एक-दो दिन मेरा भोज्य इनसे भिन्न भी होता है। ऐसे दिनों में मैं छोले-भटूरे या पकौड़े तरह की सामग्री भी जी भर के खा लेता हूँ। अब मेरा वजन 80 किलो है। और शरीर किसी एथेलिटिक के तरह है। 

इतना सब लिखने का आशय यह है कि इमोशनल ईटिंग, समस्या से उबरना स्वयं हमारी इच्छा शक्ति पर है। आप तय कीजिए, 'मुझे एथेलिटिक की तरह फिट दिखना है', आप भोजन का शेड्यूल एवं मात्रा निर्धारित कीजिए। यह बिलकुल भी आवश्यक नहीं है कि यह मेरी तरह का ही हो। इसमें आपकी रुचि अनुरूप भोज्य सामग्री हो सकती हैं, मगर मात्रा तय होना चाहिए। 

हाँ मेरा एक परामर्श यह अवश्य होगा कि आप रात्रि का भोजन किसी भी हालत में 7.30 बजे के पहले ले लें और उसके आधे घंटे बाद दाँत, ब्रश कर लें। दाँत ब्रश कर लेना, ऐसा होगा, जैसे आपने रात आठ बजे खाने की इनिंग डिक्लेअर कर दी हो। मुझे स्मरण है जब मैं ऐसा नहीं करता था तब रात्रि भोजन के बाद भी सोने के पूर्व तक कुछ न 

कुछ उठाकर खाते रहता था। मैं अब सोचता हूँ, वास्तव में मेरी इमोशनल ईटिंग यही थी, और यही मेरे लिए बड़ी समस्या थी। 

इतना सब लिखने का तात्पर्य यह है इमोशनल ईटिंग की समस्या से मुक्त होना हमारी स्वयं की इच्छा शक्ति पर है। आप निश्चित ही इससे मुक्त हो सकते हैं, बस नित दिन आपको स्वयं से यह पूछना है - 

'क्या मुझमें इच्छा शक्ति का अभाव है? क्यों मुझे बात बात में एक्सपर्ट्स से परामर्श की आवश्यकता होती है ? क्या मैं स्वयं अपने अनुभवों से अपने में सुधार नहीं कर सकता/सकती हूँ ?'


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