ईर्ष्या
ईर्ष्या
तनु आज ऑफिस से आने में थोड़ा लेट हो गई थी।वो लगभग भागते हुये घर पहुंची। जहाँ उसका पति विनीत पहले आकर आराम से सोफे पर लेट कर TV देख रहे थे। वहीं उसका तीन साल का बेटा आर्यन अपना होमवर्क करने में विजी था।
जो उसे देखते ही खुश होकर चिल्लाया.......... "पापा मम्मा आ गई। "
तनु मुस्कराते हुये अन्दर आई और अपना बैग एक तरफ रखते हुये बोली...... " अल्ले क्या कर रहा मेरा बच्चा "??
"कुछ नहीं मम्मा मै तो होमवर्क कर रहा था! पर आपको याद है न आज आपको मेरे साथ बहुत सारे गेम खेलने है। आपने कल प्रोमिस किया था।
"हाँ बेटा याद है। तुम काम करो मै अभी चेंज करके आती हूँ। "
बोलते हुये तनु ने एक नजर विनीत पर डाली । जो उसे आजीब सी नजरों से देख रहा था। तनु से नजरें मिलते ही उसने भी अपनी एक फरमाइश बता दी....
"तनु मेरे लिये एक बढ़िया सी चाय बना दो । "
तनु ने थोड़ा आश्चर्य से पूंछा... "अभी तक आपने चाय नहीं पी ? मीरा(मेड) नहीं आई क्या? "
बदले में विनीत झल्लाते हुये बोला...... "नहीं पीनी मुझे उसके हाथ की चाय। क्या तुम मेरे लिये अब एक कप चाय भी नहीं बना सकती। ऑफिस में प्रमोशन हुआ है तुम्हारा, मत भूलों घर में तुम मेरी बीबी हो।"
तनु ने बेटे के सामने बात बढ़ाने से अच्छा शान्त रहना ठीक समझा। तो चुपचाप अन्दर चली गई।
हाथ मुँह धो कर वो किचन में पहुंची जहाँ मीरा ने चाय बना के रखी थी। तनु को देखते ही बोली.....
" दीदी मैने चाय बना दी है आप साब को दे दीजिये। आप भी तो थक गई होगी ऑफिस में। मैने खाना बना कर रख दिया है। वैसे दीदी आज ऑफिस में कुछ हुआ है क्या? क्योंकि साब जब से आये है, बहुत गुस्से में है। "
"नहीं कुछ नहीं ,तुम्हारा काम हो गया तो तुम जाओ। अब मै आ गई हूँ मै देख लुंगी। और ये मिठाई भी लेती जाना घर अपने बच्चों के लिये। "
मीरा खुश होकर डिब्बे को लेते हुये बोली..... "वाह दीदी मतलब आज आपका प्रमोशन हो गया?? "
फिर कुछ सोचते हुए दाएँ हाथ को अपने सर पर रखते हुये बोली.....
"अच्छा तभी साहब इतने गुस्से में थे। दीदी ऐसे ही मेरा मरद् मेरे काम से जलता है। खुद तो सारा दिन घर में पड़ा रहता है। पर जब मै पैसे कमा के घर जाती हूँ तो सारे पैसे ले कर मुझ पर गुस्सा करता है। और बात - बात मै ये बोल कर मुझे नीचा दिखाता रहता हैं कि.... " औरत हो औरत की तरह रहो। "
एक कामवाली उसे अपने बराबर समझे ये तनु से बर्दास्त नहीं हुआ तो उसे डपटते हुये बोली.....
" तुम अपने काम से काम रखो। तुम्हारे और हमारे पति में जमीन आसमान का अंतर है। जाओ तुम। "
मीरा अपनी मालकिन को यूँ गुस्सा देख जल्दी से वहाँ से निकल गई। पीछे से तनु को कशमकश में छोड़ गई क्या सचमें उसका पति उसकी कामयाबी से जलता है ??
तनु और विनीत एक ही कंपनी में नौकरी करते थे। जहाँ साथ काम करते - करते दोनों में प्यार हुआ । और अपने प्यार को अंजाम तक पहुँचाते हुये दोनों ने शादी कर ली। जल्द ही उन्हें अपने आंगन में किलकारी गूंजने की खुशखबरी मिलगई। तो विनीत ने उसे एक अच्छी माँ बनने के लिये नौकरी छोड़ने को बोला। पर तनु ने नौकरी छोड़ने की वजाय अपने नौवें महीने में छै महीने की छुट्टी लेली। और बच्चे के छै महीने का होते ही वापिस अपनी नौकरी जॉइन कर ली। और बच्चे की देखभाल के लिये फुल टाइम मेड मीरा को रख लिया।
वो अपना काम बहुत ईमानदारी से करती जिससे उसका तीन साल में ये दूसरा प्रमोशन हुआ था। वही विनीत अपने काम को या तो तनु से करवाता या बिल्कुल येन टाइम के लिये छोड़ देता। जिससे उसका एक बार भी प्रमोशन नहीं हुआ था। जिससे वो उससे चिड़ता रहता था। बात - बात में एहसास करवाता कि वो भले ही ऑफिस में उसकी बॉस बन गई हो पर घर में उसकी बीबी है।
न तो वो बेटे का कोई काम करता न ही घर के काम में मदद करता। ऊपर से गुस्सा दिखा कर घर का माहौल भी गंभीर कर देता।
तभी विनीत की आवाज आई ......."चाय बनाने के लिये क्या चाय उगाने लगी हो! पता नहीं बॉस क्यों महिलाओं को प्रमोशन देते है। जबकि ये महिलाएं घर ही अच्छे से संभाल ले वही बहुत है। वो भी तो होता नहीं इनसे पूरा ऑफिस संभालेगी....हुँ। "
ये सारी बातें अब तनु के लिये असहनीय हो गई थी।उसे खुद के पढ़े-लिखे पति में और काम वाली के अनपढ़ पति में कोई अन्तर नहीं लग रहा था। ये महसूस करते ही उसके बदन में तिलंगे से छू गये गुस्से में वो चाय वहीं छोड़ सीधे विनीत के सामने खड़ी हो गई और बोली.......
"तुम पतियों को पत्नियों की कामयाबी हजम क्यों नहीं होती। अगर पति का प्रमोशन हो तो पत्नियां खुशी से घर में मीठा बनाती है। पर अगर वहीं कामयाबी पत्नियों को मिल जाये तो पति खुद खुश होना तो दूर पत्नी को ही इतना दुखी कर देंगे कि वो खुद अपनी लाई मिठाई नहीं खा सकती।
और क्या कहा तुमने कि 'हम महिलाओं को प्रमोशन क्यों मिलता है' ?तो सुनो मैने मेहनत की है। तुम्हारी तरह लेटकर टीवीनहीं देखती। और मै ही क्यों हर महिला चार गुना ज्यादा मेहनत करती है। तुम ऑफिस से आकर थक जाते हो। पर हम महिलाओं को तो थकने का अधिकार ही नहीं है। जो हमारे आते ही फरमाइशें शुरू हो जाती है।और ये जो बात - बात में हमें बीबी होने का एहसास करवाते हो। उससे आधा भी अगर अपने पति होने का एहसास कर लो तो तुम्हारी जिन्दगी सुकून से भर जाये। और ये घर हम महिलाओं से ही चलता है। तुमसे तो खुद के लिये एक कप चाय नहीं बनाई जाती। "
तनु का ये रौद्र रूप देखकर विनीत के मुँह से एक लफ्ज नहीं निकल सका। और निकलता भी कैसे आखिर वो सच ही तो बोल रही थी । वो उसकी कामयाबी से जल ही तो रहा था। तभी तो उसे घर में नीचा दिखाकर खुश हो रहा था।
तभी तनु की गुस्से में भरी आवाज फिर से गूंजी..... ...
" पर तुम जो चाहते हो कि मै घर में तुम्हारे हिसाब से चलू तो अब ये हम से न हो पायेगा। नौकरी हम दोनों करते है तो अब से अपने काम तुम खुद ही किया करो।तुम्हे मीरा के हाथ की चाय नहीं पीनी जाओ और अपने हाथ से अपनी पसन्द की चाय बना कर पी लो। मै अपने बेटे को लेकर अपनी कामयाबी की खुशी मनाने जा रही हूँ। "
और तनु बिना विनीत की परवाह किये अपने कमरे की तरफ बढ़ गई अपने बेटे को लेकर बाहर ले जाने के लिए ।और विनीत अपनी छोटी सोच के साथ वहीं जड़वत खड़ा रह गया।
सखियों मै सभी पतियों के बारे में ऐसा नहीं बोल रही। कुछ पतियों का तो अपनी पत्नियों को कामयाब बनाने में बहुत बड़ा हाथ होता। पर ज्यादातर पतियों से अपनी पत्नियों की कामयाबी हजम नहीं होती। इन्हें चाहिये की बाहर बीबी का कितना भी रूतवा बढ़ जाए। पर घर में आकर वो साधारण महिला की तरह ही उनकी सेवा करे।