हृदय
हृदय
"खुदा के पास तो देने के हजार तरीके हैं,
मांगने वाले तू देख तुझमें कितने सलीके हैं।"
कहते हैं जिसका कोई नहीं होता उसका खुदा होता है, जब इंसान के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं तो उसे एक ही सहारा दिखाई देता है वो भी परम पिता भगवान का और इंसान उस समय यही फरियाद करता है कि हे भगवान अब आप ही मेरे पालनहार हो आपके सिवाय मेरा कोई नहीं है,
तो आइये आज इसी बात पर चर्चा करते हैं कि क्या हृदय की पुकार ईश्वर तक जरूर पहुंचती है?
मेरा मानना है कि सच्चे मन से कि गई प्रार्थना ही सही मायने में हृदय की पुकार है और मन वचन से की गई प्रार्थना अवश्य ईश्वर तक पहुंचती है लेकिन मन में श्रदा और विश्वास का भाव होना चाहिए ऐसी प्रार्थना जरूर पूरी होगी क्योंकी प्रार्थना ही परमात्मा से मिलने का सबसे कारगार उपाय है,
सोचा जाए हृदय की पुकार, श्रदा और विश्वास का दुसरा नाम प्रार्थना है और यही व्यक्ति को आत्मिक शक्ति प्रदान करती है जीवन की अंधेरी घड़ी में प्रार्थना ही आशा की किरण बनकर पथ प्रदर्शक करती है लेकिन यह ध्यान रहे प्रार्थना सात्विक होनी चाहिए यानि निष्काम होनी चाहिए क्योंकी भगवान खुद जानते हैं कि हमें क्या चाहिए,
हमें चाहिए सिर्फ प्रार्थना में समर्पित होकर यह कह दें हे प्रभु जिसमें मेरा भला हो वोही करना क्योंकि भगवान दूरदर्शी व सर्वज्ञ है,
वैसे सबीके भले के लिए की गई प्रार्थना में कामना छिपी होती है और वो अवश्य पूरी होती है,
प्रार्थना तो हर कोई कर सकता है प्रभु सबका ही पालनहार है भगवान भाव और भाषा के भूखे हैं भोजन के नहीं इसलिए अपनी भाषा, भाव व मन को साफ सुथरा रख कर प्रार्थना करने से अवश्य ही जीत होगी व आपकी पुकार अवश्य ईश्वर तक पहुंचेगी,
अन्त में यही कहूंगा कि प्रार्थना तनाव, चिंता, व आकारण क्रोध से बचाकर व्यक्ति को जीने की कला सिखाती है लेकिन याद रखें अहंकार से प्रभु खीझते हैं और प्रार्थना से रीझते हैं इसलिए अहंकार रहित कि गई भक्ति ही रंग लाती है,
प्रार्थना निश्छल हृदय से निकली अंतर्मन की सच्ची पुकार है,
जब संकट में बाहरी दुनिया के लोग किसी भी मानव को महत्व नहीं देते या मदद नहीं करते तब उसकी पीड़ा प्रार्थना के रूप में भगवान तक पहुंचती है और एक अदृश्य हाथ उस मनुष्य की मदद के लिए खड़ा हो जाता है निश्चित रूप में प्रार्थना में बहुत बड़ी शक्ति है जो किसी भी असंभव को संभव बना देती है,
यह एक ऐसी वार्ता है जो एकतरफा होती है लेकिन साकारात्मक परिणाम देती है
मैं यह मानता हूँ कि कोई तो कोई अदृश्य शक्ति है जो जिसके आगे हम बेबस हैं और वो हमारी हृदय की पुकार को सुनती है व हमारी हर विपत्ति को दूर करती है,
सच कहा है,
प्रार्थना ईश्वर को भेजा गया एक सादर आमंत्रण होता है जिसे ईश्वर कभी नहीं ठुकराता,
यह भी सच है,
प्रार्थना से धन प्राप्त हो न हो किन्तु प्रार्थना करने वाला व्यक्ति जरूर धन्य हो जाता है।