Anita Bhardwaj

Romance

4.7  

Anita Bhardwaj

Romance

होली है

होली है

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कहने को तो उम्र 17 बरस हो चुकी !! लोगों से आज तक उम्र के लिहाज से एक ही कहावत सुनी थी " तूने कितनी दिवाली पी ली!"गांव मेंं तो लोग जब एक दूसरे की उम्र का ताना देते हैं तो सबसे पहले ये ही बात बोलते हैं।सिया को लग रहा था की इस होली से वो नई ही कहावत शुरू करेगी कि कितनी होली देखी है!!

अगर कोई सिया से पूछे तो वो कहती की होली तो पहली बार ही देखी है!!अब तलक तो बस रंगो से खेलते थे, पानी से गीले होते थे!!पर रंग में इस साल ही रंगी हूं, अबकी बार पानी से नही किसी एहसास से भीग गई हूं।सिया की 12वी कक्षा पूरी होने को थी। मार्च तो वैसे भी मिलेजुले रंग साथ लाता है।एक तरफ तो स्कूल के पेपर देकर कॉलेज में जाने की उमंग दूसरी तरफ अपने साथियों से बिछुड़ने का दुख।और वो उम्र होती है अबोध! इस अबोध उम्र में अगर साथियों में से कोई खास अपना सा लगने लग जाए तो फिर कहने ही क्या !!


सिया भी उसी नाव में संवार थी, जहां अपने भविष्य के लिए संजोए सपनों की तरफ एक कदम बढ़ा ही रही थी की रौशन ने आकर उसकी चलती हुई जिंदगी को जैसे थाम सा लिया हो!!बहुत हिम्मत करके रौशन ने सिया को खत पकड़ाया और खत सिया के हाथ में देते ही , बिजली की गति से भाग गया; इस डर से की कहीं सिया से उसे जवाब ; हाथों हाथ, उसके मुंह पर ना मिल जाए।सिया पहले तो सहम गई!! पहली बार किसी ने यूं चलते रास्ते बोलने की हिम्मत की वो भी हाथ पकड़ा और कब छोड़ दिया पता ही नही चला!!हाथ उस छुअन के कारण अभी भी सुन्न था!!


सिया ने जल्दी से बैग में पत्र को यूं छुपाया जैसे किसी का कीमती सामान हो!!घर जाकर एक तन्हा कोना ढूंढा!! एक भरे पूरे संयुक्त परिवार में एक तन्हा कोना तलाशना कहां आसान होता है!!


पत्र में लिखा था - "तुम्हें तुम्हारी मां की कसम है अगर इसे पढ़कर मेरी शिकायत टीचर से की तो!!तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। परसो फेयरवेल पार्टी है और होली उत्सव भी। स्कूल के बाद जाने कौन कहां जाए!! मुझे गलत मत समझना । ना मैं तुमसे तुम्हारा नंबर मांगूंगा, ना मिलने को कहूंगा!! बस होली उत्सव में तुम्हे रंग लगाना चाहता हूं। तुम्हे गुस्सा आ रहा हो तो इसे फाड़कर फेंक देना । पर तुम्हे कसम है किसी को शिकायत मत करना । 

तुम्हारा रौशन!"

 

सिया के सुन्न हो चुके हाथ में जैसे करंट सा लगा हो! उसने चिट्ठी को चूमा!!फिर एक दम झटक दिया!!


ये क्या हो गया मुझे!! ये पढ़ने के दिन है। वार्षिक परीक्षा सिर पर है और रौशन को ये सब बातें सूझ रही है!! इसकी तो शिकायत करूंगी मैं!!फिर पत्र को देखा तो ये भाव भी तुरंत चला गया!!उसको लेकर बैठ गई!!


इतने में मां ने आवाज़ लगाई -" बेटा मुंह हाथ धोकर खाना खा ले!!"


"आई मां!!"


सिया ने पत्र को गले से लगाया उसे फिर से चूमा। फिर अपने हाथ को अपने गालों से छुआया!!शीशे के सामने गई तो देखा चेहरे पर कुछ लगा है!! उसे उतारने की कोशिश की!!इतने में मां ने कहा बेटा खाना खाओ मुझे भी काम निपटाकर कुछ देर आराम करने का वक्त चाहिए!!


"अच्छा मां!"!


मां ने देखा आज कुछ घबराई हुई सी है और कहा; ये चेहरा इतना लाल क्यों हो रखा है!!" किसी ने कुछ कहा क्या बेटा!!"


सिया ने एकदम से जवाब दिया - "नहीं मां!!चलो खाना भी दे दो अब; पढ़ाई की टेंशन है। परीक्षा सिर पर है!!"


मां रसोई घर में चली गई!!सिया ने देखा की चेहरे पर तो सचमुच लाली छाई हुई है।ये शायद होली उत्सव से पहले का रंग है!!पहले प्रेम का रंग!! तो क्या मैं भी रौशन को चाहती हूं क्या!! हां!! ठीक तो लगता है वो मुझे ; पर प्यार!! इतने में मां खाना ले आई!! आज तो सिया का मन पढ़ाई में भी नही लग रहा था!!

कल स्कूल जाऊंगी तो उससे कैसे नजरें मिलाऊंगी!!बस यूंही सोचते विचारते अगला दिन भी आ ही गया!!


मां ने उठाया ; "चलो बेटा! आज जाना नहीं क्या स्कूल!!"


सिया ने सोचा आज ना ही जाऊं तो ठीक है सीधा फेयरवेल पार्टी में ही जाऊंगी।फिर याद आया पार्टी में टीचर्स के टाइटल बनाने की जिम्मेदारी और मंचन की जिम्मेदारी तो उसे ही मिली हुई है। प्रैक्टिस करने के लिए तो जाना ही पड़ेगा!!सिया स्कूल गई!! पूरे साल स्कूल में लेट पहुंचने वाला रौशन आज सिया से भी पहले स्कूल पहुंच गया था!!सिया ने रौशन को देखा पर कुछ बोली नहीं, उसकी चुप्पी सुनकर रौशन डर रहा था!! दोनो के चेहरे पर लाली थी सिया पर प्रेम की और रौशन के चेहरे पर डर की!!सिया आज खुद को सातवें आसमान पर महसूस कर रही थी, जब कोई चाहने वाला सामने हो तो रूप में और भी निखार आ जाता है। दिल हिरण से भी तेज दौड़ता है!! 


पूरा दिन निकल गया!! राहुल को छुट्टी की घंटी बजने के बाद तसल्ली हुई की चलो!! अब तो होली के रंग घोल ही लूं !! बस्ते को घुमाते हुए स्कूल से निकला पर आज सिया के रास्ते से नहीं गया!!सिया की नजरें उसे रास्ते भर ढूंढती रही!! उसे लगा कहीं ये कोई मजाक तो नहीं कर रहा!! उदास सी घर पहुंची!!किसी से ज्यादा बात नही की!!


मां ने कहा -"बेटा!! पूरी साल मेहनत की है! सब ठीक होगा तू तो रोज पेपर की चिंता में घुली जा रही है!!"


"मैं ठीक हूं मां!! सोना चाहती हूं!! थक गई!!"


अगला दिन आया, सब फेयरवेल के दिन स्कूल ड्रेस को छोड़ अपने अलग परिधान में थे!!जैसे दुल्हन अपने खास दिन के लिए ड्रेस की तैयारी करती है।12वी कक्षा के बच्चे भी फेयरवेल के दिन का यूं बेसब्री और तैयारी से इंतजार करते है!!सिया की नजरें रौशन को ढूंढ रही थी और वो आज दोस्तों की भीड़ में छिपा हुआ था!!सिया ने मंचन किया, फिर फेयरवेल थीम पर डांस हुआ खूब मस्ती की सबने।अंत में बारी आई होली उत्सव की।सब बच्चों ने अपने दोस्तों, अध्यापकों को रंग लगाया।प्रिंसिपल सर ने म्यूजिक चलाने की इजाजत भी दे दी!!आज तो अध्यापक भी अपने पुराने दिन याद करके बच्चों संग बच्चे हो गए थे!!


इतने में रौशन आया और पीछे से सिया के गालों पर रंग लगा दिया!!सिया ने मुड़कर देखा तो उस दिन की तरह सुन्न हो गई, रौशन ने उसकी आंखों में देखा। सब कुछ जैसे रुक सा गया था!! म्यूजिक पर सब ग्रुप बनाकर डांस कर रहे थे इसलिए किसी का ध्यान भी नहीं गया उन पर!!रौशन ने सिया को यूं देखा तो उसका हाथ पकड़ा और कुछ गुलाल उसके हाथ पर रख दिया!!सिया ने एक दम हाथ छुड़ाया; चारों तरफ देखा सब अपनी मस्ती में थे!!रौशन की तरफ देखा और शरमा गई!!


रौशन ने कहा -"मुझे तो रंग लगाओ!"


सिया ने रंग लगाया!! रौशन ने उसके हाथों को अपने चेहरे पर ही रोक दिया!!!दोनों एक दम खो चुके थे की कोई है आसपास उन्हें खबर ही नही।

इतने में रौशन के दोस्तों ने पानी का गुब्बारा रौशन पर फेंका और चिल्लाए - होली हे!! गुब्बारा सिर पर लगा और पानी की छींटे सिया पर भी बिखरी!!

दोनो ने एक दूसरे को देखा और मुस्कुराए!! फिर अपने अपने दोस्तों के साथ मस्ती की!!

ये होली पहली होली है ऐसा लगा सिया को!!आज से ही तो उम्र शुरू हुई है, ये कहकर संगीत की धुन पर खूब झूमी!!



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