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Aasha Nashine

Drama Inspirational

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Aasha Nashine

Drama Inspirational

हकदार

हकदार

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5 साल से प्रतिभा पलंग पर थी, बेटा विदेश में था, कभी कभार फोन कर लेता था। पति को गुजरे हुए 20 साल हो गए थे। नीना ने ही प्रतिभा की देखभाल की, सुबह से रात तक हाथों हाथ लेती थी ।अखबार पढ़कर सुनाना, साथ में गपशप करके टीवी देखना, मनपसंद खाना बनाकर खिलाना, सब कुछ नीना ने परिवार के सदस्य की तरह संभाल रखा था।

एक दिन सुबह सुबह

नीना:-- माँ जी ! मुझे गाँव जाना होगा, झोपड़पट्टीयाँ टूट रहीं हैं। मेरे पति का कहना है की रूखी सूखी जो भी मिलेगी,खा लेगें पर गाँव में सिर पर छत तो होगी    

कहते कहते रो पड़ी।

काटो तो खून नहीँ, प्रतिभा जैसे शून्य हो गई थी।

प्रतिभा:--मेरा तो कोई नहीं है तुम्हारे सिवा।

नीना:-- मैने एक से बात की है वो आपके यहाँ काम करेगी सारा।

प्रतिभा:-- आज वो वक्त आ गया है जब मैं तुम्हें तुम्हारा हक दे दूँ।

नीना:-- मतलब ?

प्रतिभा:- आलमारी में सबसे नीचे के खाने में कुछ पेपर रखे हैं वो लाओ।

पेपर हाथ में लिया तो नीना की आँखे फटी की फटी रह गईं ।

उसमें वारिस की जगह नीना का नाम था। घर और घर की हर चीज पर नीना का अधिकार।

प्रतिभा ने अंतिम इच्छा लिखी थी:---"मेरा दाह संस्कार नीना के हाथों से ही हो।

प्रतिभा:-- रिश्ते तो प्यार और परवाह से बनते हैं, मेरी संपत्ति की सही हकदार तुम ही हो नीना !


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