Diya Jethwani

Drama Inspirational Others

4.0  

Diya Jethwani

Drama Inspirational Others

हाऊस वाईफ़....

हाऊस वाईफ़....

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देख संभल कर जाना.... बच्चों का ध्यान रखना... किसी भी प्लेटफार्म पर उतरने की जरूरत नहीं हैं.... कुछ भी चाहिए हो तो खिड़की में से ही ले लेना...। सामान को अच्छे से ताला लगाकर रखना... और सुन बच्चों को अकेले वाशरूम मत जाने देना... ना ही तू बच्चों को छोड़ कर जाना...। उतरते ही पहले मुझे फोन करना... मोबाइल अच्छे से चार्ज रखना.... मैं फोन करता रहूंगा... समझी....। 


पिछले पंद्रह दिनों से ये पचासवीं बार सुन रहीं हूँ....। जाहिर सी बात हैं अब तक तो अच्छे से समझ गई होंगी....। आप बेवजह ही इतना परेशान हो रहें हैं.... बच्ची नहीं हूँ.... दो बच्चों की माँ हूँ...। 


जानता हूँ.... तभी ज्यादा परेशान हो रहा हूँ....। अकेले होतीं तो इतना टेंशन नहीं होता...। तेरी नहीं बच्चों की फिक्र हैं....। 

अच्छा जी.... इसका मतलब मेरी कोई वैल्यू ही नहीं हैं आपकी नजरों में...!! 


वैल्यू की बात नहीं हैं यार....। पिछले आठ सालों में कभी इस तरह अकेले कहीं गई नहीं हैं तो.... ओर वो भी इतने लंबे सफर पर.... मैं तो कहता हूँ.... अभी भी वक्त हैं... टिकट कैंसिल करवाने ले.... अगले महीने चलते हैं ना साथ में....। 


साक्षी अंकित के पास आकर बोली :- अंकित..... तुम्हें क्या लगता हैं.... की मैं अकेले बच्चों के साथ सफ़र नहीं कर सकतीं.. ? खुलकर बताओ आखिर तुम्हारे दिमाग में चल क्या रहा हैं...! 


अंकित साक्षी का हाथ पकड़ कर :- साक्षी.... दरअसल इन आठ सालों में तुम कहीं भी कभी भी मेरे बिना नहीं गई हो....जहाँ भी गए हैं हम साथ ही गए हैं.... और तुमने बताया हैं की शादी से पहले भी तुम कभी अकेले नहीं गई हो तो इसलिए थोड़ा डर हैं और फिर मम्मी ने भी कहा हैं की तुमसे अकेले बच्चे संभलते नहीं हैं....। फिर सोलह घंटों का सफर तुम बच्चों को .......कैसे संभाल पाओगी....। 


एक बात कहूँ अंकित.... शादी से पहले मेरा कहीं ना जाना... उसका कारण तुम्हें भी पता हैं.... हमारा ऐसा कोई करीबी रिश्तेदार था ही नहीं...। कहीं जाना भी होता था तो मम्मी या पापा चले जाते थें...। शादी के बाद ऐसा नहीं हैं की मैं अकेले जाना नहीं चाहतीं थीं या जा नहीं सकतीं थीं... लेकिन कभी तुम लोगो ने मुझे मौका ही नहीं दिया...। रहीं बात मम्मी की मुझसे दो बच्चे नहीं संभलते तो उनकी इस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं हैं...। सिर्फ इतना कहूंगी एक बच्चे की सबसे अच्छी परवरिश एक माँ ही कर सकतीं हैं...। 


अंकित :- वो बात तो सही हैं पर.... यहाँ मम्मी भी तो हैं ना साथ में... वहाँ सफ़र में... 


साक्षी :- कर सको तो भरोसा करो अंकित....इससे ज्यादा मुझे अब कोई बात नहीं करनी... प्लीज.... तुम कैब बुक करो... मैं सामान नीचे लेकर उतर रहीं हूँ....। 


अंकित :- तुम कहो तो मैं स्टेशन तक चलूँ....! 


साक्षी :- नहीं अंकित... तुम्हें मिटिंग में भी तो जाना हैं ना... तुम जाओ.... मैं समय समय पर मैसेज करतीं रहूंगी...। 


साक्षी अंकित से हाथ छुड़ाकर खड़ी हुई...।


अंकित भी खड़े होकर :- नाराज होकर जाना हैं..! 


साक्षी पलटी और अंकित के करीब जाकर उसके गाल पर किस करके बोली :- ट्रस्ट मी अंकित...। बाय एंड टेक केयर...। 


साक्षी सामान लेकर सीढ़ियों से नीचे उतर गई...। अंकित भी दूसरा बैग लेकर नीचे उतरा...और फोन से कैब बुक करने लगा...। 


साक्षी नीचे उतरी और डाइनिंग टेबल पर बैठे अपने सास और ससुर के पांव छुकर बोलीं :- चलतीं हूँ मम्मी पापा.... अपना ध्यान रखना.... आप दोनों की दवाइयाँ अंकित को समझा दी हैं ..... फिर भी कोई दिक्कत हो तो फोन कर दीजिएगा...। 


सास :- हां हां ठीक है ठीक हैं.... इतने सालों से हम ही ले रहे हैं... हमको भी तो याद हो गया होगा ना... हर बार ये मास्टरी मत जाड़ा कर...। तुझे क्या लगता हैं.... तेरे बिना हम कुछ कर नहीं सकते क्या... अरे तुझसे पहले ये घर मैं ही संभालती थीं... ओर तुझसे कई गुना बेहतर संभालती थीं...। 


साक्षी :- जानती हूँ मम्मी.... मैं भी सब कुछ आपसे ही तो सीखा हूँ... । पिंकी.... मोहित.... चलो बेटा... दादु दादी को बाय करो....। 


बच्चे साथ में :- बाय दादू... बाय दादी...। 


इतनी ही देर में कैब भी आ गई थीं.... अंकित ने सामान कैब में रख दिया था...। साक्षी बच्चों के साथ बाहर आ गई थीं...। वो बच्चों को कैब में बिठाकर अंकित के पास गई :- अपना ध्यान रखना और मम्मी पापा का भी.... लव यू.... बाय....। 


अंकित :- हम्म्..... तुम भी ध्यान रखना... और जो मैंने समझाया उनको भूल मत जाना.... सामान कुली से.... 


साक्षी बीच में टोकते हुवे :- बस अंकित.... प्लीज....। 


अंकित :- .... बैठो....चलो.....बाय.....। 


साक्षी कैब में बैठी ओर स्टेशन के लिए रवाना हो गई....। मन ही मन सोच रहीं थीं.... दुनिया भर का ज्ञान दे देंगे..... लेकिन वो नहीं कहेंगे जो मैं सुनना चाहती हूँ....। पता नहीं अंकित को.... मम्मी पापा को कभी मेरी कमी खलेगी भी या नहीं...। हम लड़कियां इन सब रिश्तों को कितनी आसानी से अपना लेती हैं.... हमें अपनाने में इन सब को इतना वक्त क्यूँ लगता हैं..!! 


साक्षी का अगला सफ़र अगले भाग में जरूर पढ़ें...। 



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