हाउसवाइफ़

हाउसवाइफ़

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आज मैं अपनी आप बीती सुनाना चाहती हूँ जब भी हसबैंड के साथ उनके कलिग या साथ वाली लेडीज जो सर्विस करती हैं। उनसे मेरा इन्ट्रोडक्शन करवाते हैं इरफ़ान मेरे पति तो उनके लहज़े में हिकारत सा रहता है ये राबिया है मेरी वाइफ "साथ में जोड़ दिया जाता है हाउसवाइफ है मुझे बहुत आकवर्ड फील होता है

वो चाहे पूछे या ना पूछे भाभी क्या करती हैं मगर हाउसवाइफ तमाचा पड़ना चुका होता है।

आज राबिया घड़ी के अलार्म के साथ ही 5:00 बजे उठ गई सुबह उठते से ही घर के कई काम उसके आंखों के सामने घूम गए। 

राबिया जल्दी- जल्दी हाथ चलाने लगी, सबसे पहले उसने बच्चों को उठाया और उन्हें स्कूल के लिए तैयार करने के साथ उनका लंच बाक्स भी तैयारी पहले ही कर ली बच्चों को उठाने से पहले, 6:30 स्कूल वेन आ गई बस स्टाप तक छोड़ कर आते ही पति सुबह नीबू पानी लेते हैं, गरम पानी नीबू और शहद टेबल पर रख कर पति का नाश्ता बनाने लगी, इतने में छोटी ननद ने भी पुकार लगाई भाभी मेरे लिए भी नाश्ता लगा देना, आज मुझे कॉलेज जल्दी जाना है। राबिया ठीक है, कह अपने हाथों को और तेज़ी से चलने लगे, अभी नाश्ता टेबल पर लगा ही पाई थी के देवर भी आ गया, भाभी मुझे भी आँफिस जल्दी निकलना है मेरा भी नाश्ता लगा दो सबके लिए नाश्ता लगाते हुए राबिया को ध्यान आया, सास -ससुर का भी परहेज़ी नाश्ता तैयार करना है पति का लंच बाक्स देना है, राबिया के हाथों में सब्जी ढूंढने में तेज़ी आ गई। 10 बजते जैसे ही घर की घंटी बजते ही राबिया ने मेनगेट खोला तो काम वाली आ गई उसके साथ घर की साफ-सफाई और बिस्तर की चादर और बलेंकेट तय करती सोच रही थी, अभी खाने की तैयारी करना है, सबके नाश्ते के बर्तन समेटती घर की घंटी फिर बजी देखा तो, चाचा ससुर, चाची सासु आ गए है। 

 उनकी आवभगत करते 12 बज गए अम्मी ने आवाज़ दी अरे भई दुल्हन खाना बन गया? राबिया झट से उठकर किचन में गई दाल, चावल धो कर एक -एक कुकर पकने चढ़ाए और सब्जी काटने लगी, खाना तैयार कर टेबल पर लगा कर सास, ससुर चच्चा ससुर और चच्ची सास को खाने का बोल कर जल्दी से रोटियाँ सेकने लगी उन सब का खाने के बर्तन समेट ही रही थी 3 बज गया था, बच्चों को लेने स्टाप तक जाना था, अपनी सास को बोल कर बच्चों को लेने चली गई। 

बच्चों को नहला कर, खाना देकर किचन समेट कर, रोटी का डिब्बा देखा तो रोटी बची नहीं थी, अभी सोच ही रही थी, राबिया के रोटी बना लेती हूँ, इतने में उसके पति इरफ़ान आ गए आते ही कहने लगे राबिया खाना लगाओ आज मुझे आँफिस में मिटिंग में बिज़ी था खाना नहीं खा पाया बहुत भूख लगी है। 

4 बज गए थे राबिया ने इरफ़ान को खाना दिया तो इरफ़ान ने कहा तुमने खाना खाया आ जाओ मेरे साथ ही खा लो, राबिया का सुबह से पहला कौर खाते हुए उसके आंखों में आँसू आ गए। इरफ़ान ने पूछा क्यों रो रही हो राबिया ने कहा कुछ नहीं, इरफ़ान ने गर्दन झटक हुए कहा तुम औरतें भी कभी भी रोने लगती हो समझ ही नहीं आता है हमें तो....! 

राबिया सोचने लगी हां हम औरतें यूँ ही तो रो पड़ती है, इरफ़ान का अक्सर ये कह देना अरे तुम दिन भर घर में बैठे- बैठे करती क्या हो ?  

इस गृहणी का सुबह उठने से एक पल सांस लेने तक की फ़ुर्सत नहीं मिलती उसके लिए बड़े हलके में ये कह देना....! 

तुम दिन भर करती क्या हो? .... ज़रा बाहर निकल कर कमा कर देखो....! 

ये मेरी ओर हर उस हाउसवाइफ को सैल्यूट है राबिया जैसी हर गृहणी इतनी ज़िम्मेदारी से घर-बच्चों और घर के हर मेम्बर की देखभाल करती हैं तभी तो इरफ़ान जैसे पति बेफिक्री से नौकरी कर पातें है....! 



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