Kumar Vikrant

Tragedy Crime

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Kumar Vikrant

Tragedy Crime

गुनहगार भाग : १

गुनहगार भाग : १

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गुलफाम नगर की मुख्य आबादी से आठ किलोमीटर उत्तर दिशा में विल सिटी मुख्य मार्ग पर स्थित लोरेंजा स्टीड फार्म जो आम बोलचाल में छत्तर दादा की घुड़साल के नाम जाना जाता है। छत्तर दादा जिसका वास्तविक नाम छत्रकेतु है, ने इस घुड़साल का नाम किस लोरेंजा के नाम पर रखा ये ऐसा रहस्य जिसके बारे में या तो छत्तर दादा जानता है या उसका अतीत।

गुलफाम नगर में छत्तर दादा के बारे में कोई खास जानकारी नहीं मिलती थी। लोग बस इतना जानते थे कि १० साल पहले छत्तर दादा जमींदार भुवन की व उसके परिवार के कत्लेआम से जुड़ा था, जिससे वो अदालत में बेगुनाह साबित हो कर बाइज्जत बरी हुआ था। घुड़साल के विशाल बरामदे में तख्त पर लेटे-लेटे छत्तर दादा की जिंदगी एक फिल्म की तरह उसकी आँखों के सामने आ गई।

अपने अमेरिका प्रवास के दौरान छत्रकेतु को नेरीसा नाम की लड़की से प्यार हो गया था, बात शादी तक जा पहुँची थी लेकिन छत्रकेतु की एक स्थानीय आंटी ने इस बात की शिकायत उसके माता-पिता से कर दी।

उसके माता-पिता आनन-फानन में अमेरिका पहुँचे और अपने एक एन आर आई मित्र की बेटी मीनू से उसका विवाह करा दिया। छत्रकेतु के जीवन यापन के लिए उसके माता-पिता ने टैक्सस प्रान्त में एक रैंच खरीद कर दिया। छत्रकेतु के दो बच्चे राशि और एकांश के जन्म होने तक उसके माता-पिता अमेरिका में डेरा डाले रहे। बच्चो के प्रेम में छत्रकेतु सब भूल गया और अपने रैंच बीवी बच्चो में खो गया। बच्चे बड़े हुए, स्कूल जाने लगे; इस दौरान कल्पनाशील बुद्धि छत्रकेतु ने अपराध लेखन में हाथ आजमाया और लगभग २१० नावेल लिखे जो ज्यादातर विल सिटी भारत के साथ लगी काली घाटी के भगोड़े दरिंदो के बारे में थे। अधिकतर नावेल बेस्टसेलर साबित हुए।

अपराध के विषय में लिखने वाले छत्रकेतु को पता न था कि जिस जुल्म से वो अपने नोवेल्स के माध्यम से लड़ता रहा है उसी जुल्म का शिकार भारत में काली घाटी के एक गाँव में रहने वाला उसका परिवार होगा। कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने उसके बुजुर्ग माता-पिता, दो भाइयो व उनके परिवार को गोलियों से भून डाला। छत्रकेतु भारत वापिस आया और अपने परिवार के अंतिम संस्कार के बाद उनके हत्यारो की तलाश में लग गया। कुछ ही दिनों में उसे पता लग गया कि एक स्थानीय जमींदार भुवन से भूमि का विवाद होने के कारण उसके परिवार की हत्या हुई थी।

एक दिन अचानक दो बंदूकधारियों ने छत्रकेतु पर जानलेवा हमला किया, छत्रकेतु के पास एक हंटिंग नायफ था। छत्रकेतु के पेट में दो गोलिया लगी लेकिन बेहोश होने से पूर्व उसके अपने चाकू से उन बंदूकधारियों के पेट फाड़ डाले थे। छत्रकेतु को हॉस्पिटल में होश आया, उसे किसी भले आदमी ने हस्पताल में भर्ती कर दिया था। वो पंद्रह दिन अस्पताल में रहा। उसके अस्पताल से डिस्चार्ज होने से दो दिन पूर्व दस अज्ञात बंदूकधारियों ने जमींदार भुवन की हवेली को चारो और से घेर लिया और हवेली के अंदर जो भी मिला उसे गोलियों से भून डाला। जब तक पुलिस पहुँची तब तक नकाबपोश बंदूकधारी गायब हो चुके थे। स्थानीय लोगो ने बताया कि बंदूकधारियों की अगुआई करने वाला नकाबपोशw  छत्रकेतु की कद काठी का था।

शक के आधार पर पुलिस ने छत्रकेतु को गिरफ्तार किया लेकिन मेडिकल कंडीशन के आधार पर छत्रकेतु का वकील जज के सामने सिद्ध करने में सफल रहा कि कत्लेआम की रात छत्रकेतु अस्पताल में इलाज करा रहा था। प्रतिपक्षी की और से कोई भी मुकदमा लड़ने वाला न होने की वजह से उसका मुकदमा सरकारी वकील ने लड़ा और हार गया। छत्रकेतु बाईज्जत क़त्ल के मुकदमे से बरी हुआ।

अदालत से बाहर निकलते ही पत्रकारों ने उसे घेर लिया और एक पत्रकार ने पूछा, "छत्तर दादा मुकदमा जीतने के बाद कैसा महसूस कर रहे हो?"

छत्रकेतु हँस कर बोला, "कौन छत्तर दादा? एक आजाद दरिंदे के सामान महसूस रहा हूँ।

उसकी बात का मतलब कोई न समझ सका सिवाय उसकी पत्नी मीनू के जिसने उसके अमेरिका वापिस आने पर उसके आजाद दरिंदे वाले वक्तव्य के बारे खोद-खोद कर पूछा। छत्रकेतु उसे संतुष्टिजनक उत्तर न दे सका। एक महीने तक मीनू लगातार रोती रही कि वो उससे ऐसा कुछ छुपा रहा है जो उसे छिपाना नहीं चाहिए था। मीनू को पूरा विस्वास था कि छत्रकेतु भुवन नरसंहार बारे में बहुत कुछ जानता था। नरसंहार में उसकी भूमिका संदिग्द थी।

अब मीनू अपने बच्चो पर छत्रकेतु की छाया भी नहीं पड़ने देना चाहती थी, वो छात्रकेतु से अलग होकर अपने बच्चो का पालनपोषण करना चाहती थी।

एक रात वो ख़ामोशी से अपने बच्चे लेकर अपने पिता के घर कैलिफोर्निआ चली गई। सुबह छात्रकेतु खाली घर देख कर हक्का-बक्का रह गया। उसे डायनिंग टेबल पर एक चिट्ठी मिली जो मीनू ने लिखी थी, चिट्ठी बहुत संक्षित थी जिसमे मीनू ने लिखा था- 

'मुझे पता है जो कुछ काली घाटी में हुआ उससे तुम अनभिज्ञ है। तुम एक खतरनाक दिमाग के व्यक्ति हो; ऐसे व्यक्ति का मेरे बच्चो या मुझ से कोई वास्ता नहीं हो सकता है। मै जा रही ही जल्दी ही तुम्हे तलाक का नोटिश मिल जाएगा। बच्चों की कस्टडी के बारे में कोर्ट में मत आना नहीं तो मैं तुम्हे नरसंहार से जोड़ने में गुरेज नहीं करूंगी।'


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