SANGEETA SINGH

Inspirational

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SANGEETA SINGH

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गुलाबी योद्धा संपत पाल

गुलाबी योद्धा संपत पाल

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  हमारी नायिका आधुनिक कपड़े पहने स्टेज पर कैटवॉक नहीं करती,इतनी सुंदर भी नहीं कि लोग उसकी सुंदरता के कसीदे पढ़ें,कविताएं बनाएं,न ही घोड़े पर सवार हो, तलवार लिए दुश्मनों का सामना करती है,वो हमारे ही बीच की सामान्य लेकिन एक अद्भुत नारी है।

 हमारी नायिका ने अपने दम पर अपना जीवंत इतिहास बनाया और महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी।

 कहते हैं_"औरत मोहताज नहीं,किसी गुलाब की।

वो खुद बागबान है इस कायनात की"।

 गुलाबी रंग को कोमलता का प्रतीक माना गया है,लेकिन इस नायिका ने इस रंग को अपनी पहचान बना दी।आप समझ ही गए होंगे की हम बात कर रहे हैं, गुलाबी गैंग की मुखिया संपत पाल की।

 2011में अंतराष्ट्रीय पत्रिका ,"द गार्जियन "में इन्हें सौ प्रभावशाली प्रेरक महिलाओं में शामिल किया गया। इनके जीवन पर देसी , विदेशी संस्थाओं ने डॉक्यूमेंट्री बनाई।

फ्रांस की एक पत्रिका "ओह" ने 2008 में संपत पाल के ऊपर एक पुस्तक लिखी।


आप सबने माधुरी दीक्षित अभिनीत बॉलीवुड फिल्म गुलाब गैंग जो संपत पाल के जीवन पर आधारित थी देखी होगी।


संपत पाल एक रीयल नायिका के साथ साथ रील नायिका भी बन गईं।अपने जुझारू व्यक्तित्व और समाज में नारियों के उत्पीड़न को रोकने के लिए ये नारियों की प्रेरणाश्रोत हैं।

 संपत पाल का शुरुवाती सफर कांटों भरा रहा । इनका जन्म 1960 में बांदा जिले में एक गरीब परिवार में हुआ।

महज 12साल की उम्र में उनका विवाह चित्रकूट जिले के एक सब्जी वाले से कर दिया गया। 4 साल बाद  गौना होने के बाद ,वो अपने ससुराल पहुंची।

रूढ़िवादी सोच का परिवार था।

 उस समय ऊंच नीच,अमीर गरीब,बाल विवाह जैसी कुरीतियां हावी थी , सिर्फ एक हरिजन को पानी पिलाने के कारण उन्हें गांव से निष्कासित कर दिया गया था।वो परिवार के साथ फिर बांदा के एक गांव में रहने लगी।

 एक बार वो अपने घर में खाना पका रही थीं,पड़ोस के घर से किसी महिला के रोने की आवाज आ रही थी ,उन्होंने पति से कहा ,लगता है रमिया का पति उसे पीट रहा है ,चलो देखते हैं,पति ने मना कर दिया _"देखो संपत ,किसी के घरेलू मुद्दों पर बोलना सही नहीं है।"

 पर रोने की आवाज तेज तेज आने लगी ,तो संपत से रहा नहीं गया ,वे पहुंच गई ,हुआ वही ,जैसा पति ने कहा था ,रमिया के पति ने संपत को अपमानित कर कहा ,"जाओ तुम अपना काम देखो,हमारे घरेलू मामले में टांग अड़ाने की जरूरत नहीं।"

 संपत उस पल लौट आई ,लेकिन वो बहुत व्यथित थीं,उन्होंने कुछ महिलाओं से बात की,उन सबने भी यही बताया_दीदी ये बात बहुत आम है,पति ज्यादातर बिना बात के ,या नशा करके आते हैं और हम सबको मारते हैं,हम सब तो अब आदी हो चुकी है,और ये क्रम तो चलता रहेगा ,क्योंकि हम महिलाएं हैं न।पुरुष प्रधान समाज में हमारी यही औकात है।

 "तुम सब इतनी जल्दी हालात से समझौता कैसे कर सकती हो,हम भी इस समाज को चलाते हैं ,बिना हमारे सहयोग के पुरुष एक पग भी नहीं चल सकते । हमें आवाज उठानी होगी ,तुम सब अगर साथ दो ,तो समाज में कुछ बदलाव आ के रहेगा"_ संपत ने कहा।

 उन महिलाओं में जोश तो भर दिया था ,संपत ने ,लेकिन पतियों का डर उन्हें आगे बढ़ने नहीं दे रहा था।

कुछ महिलाएं जो अपने जीवन में अब कुछ भी चमत्कार होने की उम्मीद छोड़ चुकी थीं।वो आगे बढ़ीं ,और एक गैंग की शुरुवात हुई, महज 6 लोगों के साथ शुरू हुआ उनका सफर ।गुलाबी साड़ी को उन्होंने अपनी पहचान बनाई ,और बना गुलाबी गैंग।

 उन्होंने पत्नियों का उत्पीड़न करने वाले पतियों को सबक सिखाना शुरू किया ।धीरे धीरे पुरुषों में इस गैंग का खौफ बढ़ा,।और भी महिलाएं शामिल हुई,। स्त्री शिक्षा पर संपत ने जोर दिया। उन्होंने पिछड़ों,बेरोजगारों,पीड़ितों के लिए लड़ाई लड़ी।

वह इलाका बीहड़ का डाकुओं के आतंक का पर्याय था ,वो न डाकुओं से डरी न प्रशासन से।मनमानी वसूली,अवैध खनन,के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई ।एसडीएम,थानाध्यक्ष जिसने भी गलत किया ,इस गैंग ने किसी को नहीं छोड़ा।


एक समय ऐसा आया ,जब उन्हें नक्सली संगठन घोषित कर गिरफ्तार करने आदेश तत्कालीन पुलिस मुखिया ने दिया,और उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया।हर तरफ विरोध शुरू हो गया।देश विदेश तक यह गैंग अपने कार्य से मशहूर हो चुका था कि इसलिए हर तरफ भारी विरोध के कारण ,उनसबको छोड़ दिया गया।


आज संपत पाल किसी नाम की मोहताज नहीं ,उन्होंने वो सब कर दिखाया जो आज भी महिलाएं बंद दरवाजे के पीछे सिसकी लेते सोच भी नहीं पाती ।

ऐसी नायिकाओं के लिए किसी ने क्या खूब लिखा है_____


"कोमल है

कमजोर नहीं तू,

शक्ति का नाम ही नारी है

जग को जीवन देने वाली

मौत भी तुझसे हारी है।"


      



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