गुजरता हुआ साल..!
गुजरता हुआ साल..!
आखिर ये साल भी घिसटते पिटते अपने अंतिम छोर पे आकर ठहर ही गया है। बस चंद फासलों में ये खुद में मशगूल हो जायेगा ।
खो जायेगा उस दीवार पर टंगे कैलेंडर में और छोड़ जाएगा इन आंखों में अनेक खट्टी मीठी यादों के मंजर।
दिल में एक कसक है। एक दर्द भरी टीस जो बार बार जहन में उभर आती है। कभी कभी सोचता हूं, कैसे इस साल को मैं अंतिम विदाई दूं..?
क्या इसे सहेज लूं अपनी जीवन की डायरी में या एक रिक्त पन्ना छोड़ कर मातम मना लूं।
आखिर इस साल के विदा होने में क्यों पहली सी खुशी नही या कहूं गम ज्यादा महसूस हो रहा है। पहले भी तो अनेक साल चुपचाप आते गए और छोड़ जाते थे अनेक हसीन स्वप्निल पल जिन्हें याद कर अक्सर गुदगुदी सी होती थी।
पर क्यों इस बार ये साल खामोशी से गुजर रहा है।
छोड़े जा रहा है एक अजीब सी हलचल इन दर्द में डूबे आंखों में...!!
आखिर क्या रिश्ता है इस गुजरते हुए साल से जो चाहे अनचाहे साथ बंध गया है ।
बेशक एक नया साल दहलीज पर दस्तक दे रहा है।
एक उम्मीद,एक उमंग दिल में हिलोरे लेने लगी है, पर पीछे मुड़कर जब देखता हूं, तो बीता वक्त हाथ थामे हुए है।
लगता है कहीं अटक सा गया हूं इन सुनसान विरानो में।
जहां धुंधली तस्वीर बार बार सामने आ जाती है, जो आगे बढ़ने से रोकती है मुझे...!!!
दिल दिमाग में अजीब सी उलझन है और आगे बढ़ने की चाह भी। पर ये जो सफर शुरू हुआ है इसे कहीं न कहीं तो ठहरना है, और व्यथित मन उसका क्या..?
वो तो अब भी बंधा है उसी डोर से जो थामे रहती थी उसकी कलाइयों को। उसकी यादों को, उसके साथ बिताए पलों को जिसे आखिरी सांस तक हर बदलते कैलेंडरों में ठहरना है, जब तक मै स्वयं अंतिम पथ पर अग्रसर न हो जाऊं....!
" ए वक्त तू बेशक बदल गया अपने मुकद्दर से,
पर ये जो आंसुओं का हिसाब तू छोड़ गया इन आंखों में...
बड़ी तकलीफ में
मैं शायद गुजरने वाला हूं"......!!