Diya Jethwani

Inspirational

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Diya Jethwani

Inspirational

गरीब कौन...!!

गरीब कौन...!!

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सेठ :- ए... लड़के ये स्कूटर कितने में दिया..? 

बच्चा :- बीस रुपया साहब...। 

सेठ :- बीस रुपये... लूट मचा रखी हैं तुम लोगों ने तो..। मेले में मौके का फायदा उठाते हैं तुम जैसे लोग...। सही सही बोल... वरना ओर भी लोग हैं यहाँ बेचने वाले..। 

बच्चा:- साहब अठारह रुपये दे दिजिएगा... बोनी करवा दो साहब... मेहरबानी करो साहब..। 

सेठ :- दस रुपये में देनी हैं तो बोल...। 

बच्चा :- क्या साहब पन्द्रह रुपये तो खरीद हैं हमारी..। 

सेठ :-चल छोड़ फिर... नहीं चाहिए..। 

बच्चा :- साहब सत्रह रुपये दे दिजिएगा...। दो रुपया कमाएंगे तो रात का खाना खा पाएंगे...। 

सेठ :- अरे छोड़ो ये तुम लोगो का फिल्मी डायलॉग...। साले तुम जैसे लोगो की असलियत अच्छे से जानता हूँ मैं...। हम जैसे लोगो को लूटकर रात को चरस गांजा पीते हो... शराब पीते हो..। हमारा देश... हमारा समाज तुम जैसे हरामियों की वजह से पीछे होता जा रहा हैं...। 

बच्चा :- साहब गाली काहे दे रहे हो..। 

सेठ :- अरे तुम जैसे लोग इसी लायक हो...। अभी आखरी बार बोलता हूँ दस रुपये में देना हैं या नहीं..! 

बच्चा :- नहीं साहब इतने में तो नहीं आएगा..। आप पन्द्रह रुपये ही दे दिजिए साहब...। 

सेठ :- दस रूपये से एक पैसा ज्यादा नहीं दुंगा...। बोल देना हैं..! 

बच्चा :- नहीं साहब.... दस रूपये में नहीं पोसाएगा अपने को..। 

सेठ :- चल एक रुपया दान करता हूँ... अब बोल ग्यारह रुपये में..। 

बच्चा :- साहब.... नहीं हो पाएगा इतने में.. आप समझने की कोशिश करो..। बच्चे के लिए पन्द्रह में ले जाओ साहब...। देखो बच्चा कितने प्यार से देख रहा हैं..। नहीं तो साहब आप ये साइकिल ले जाओ... ये सिर्फ दस रूपये की हैं साहब..। 

सेठ :- अबे साले... हम लोग साइकिल नहीं चलाते... कार चलाते हैं कार..। कभी देखी हैं तुने असली कार...। (खिलखिलाकर हंसते हुए )तुने तो असली मोटरबाइक भी नहीं देखी होगी... मैं भी किस भिखारी से पूछ रहा हूँ...। तेरी साइकिल और तेरी मोटरबाइक तू ही रख...। चल बेटा तुझे दूसरी दुकान से इससे भी बढ़िया दिलवाता हूँ...। 


सेठ दूसरी दुकान पर जाने के लिए मुड़ा ही था की बच्चें ने आवाज लगाई... साहब :- तेरह रुपया... ले जाईये साहब...। 

सेठ सुनी अनसुनी कर अपने कदम बढ़ाने लगा... तभी एक महिला ने उनको आवाज दी... जो काफी देर से पास में ही खड़ी होकर उस सेठ और बच्चे की सारी बातें सुन रहीं थीं :- एक मिनट साहब... मुफ्त में ले जाइये..। 


मुफ्त शब्द सुनते ही सेठ रुक गया और वापस पीछे की ओर आया और उस बच्चे के पास आकर बोला :- क्या बोला इस औरत ने.. मुफ्त में...! 

वो औरत बोलीं :- हां सेठ... ले जा मुफ्त में...। वरना तू फिर दूसरी किसी दुकान पर जाएगा.. वहाँ मोलभाव करवाएगा.. बेचने वाले को भला बुरा कहेगा.. दो चार गालियाँ भी सुनाएगा.. अपने पैसे और रुतबे का रोब़ जाड़ेगा... इससे तो बेहतर हैं तू यहीं से मुफ्त में ले जा..। इस खिलौने के पैसे मैं इस बच्चे को दे दूंगी... और हाँ ये खिलौना मैं तेरे बच्चे को दान नही कर रहीं... बल्कि तौहफा दे रहीं हूँ...। क्योंकि जितना मजबूर ये खिलौने बेचने वाला बच्चा हैं ना.. उतना ही मजबूर तेरी गोद में बैठा बच्चा भी हैं...। पिछले आधे घंटे से इंतजार कर रहा है....की कब उसे खिलौना मिलेगा...। ये मासूम सा बच्चा खिलौने की दुकान पर होतें हुए भी एक खिलौने से भी खेल नहीं सकता.. क्योंकि इसे इस उम्र में जिम्मेदारी थमा दी गई हैं..। कभी सोचा हैं सेठ कितना मजबूर होगा ये... और क्या बितती होगी इन जैसे बच्चों पर...। कारो में घुमने वाला इतना बड़ा ये सेठ... अपने बच्चें के लिए बीस रुपये खर्च नहीं कर सकता..। मेले में फायदा ये लोग नहीं बल्कि तुझ जैसे बड़े लोग उठाते हैं... इनकी गरीबी का... इनकी मजबूरी का...। माना सेठ कुछ लोग होते होंगे चरस ,गांजा ,शराब पीने वाले... पर इस बच्चे की उम्र तो देखो सेठ..। इस उम्र में चरस - गांजा पीकर ये जिंदा रह पाएगा...! 

खैर छोड़ो ये लो खिलौना अपने बच्चें को दो... (मोटरबाइक उठाकर सेठ को देते हुए )कबसे उसकी आंखें उसी पर अटकी हुई हैं...। उसे तुम्हारे मोलभाव और रुतबे का कुछ पता नहीं हैं... ना इसकी कीमत का पता हैं.. वो सिर्फ खेलना चाहता हैं इस खिलौने से...। 


मेले में ये सब तमाशा होतें देख वहाँ तमाशबीन लोगों का जमावड़ा हो गया था...। लेकिन ऐसे में भी सेठ बिना कुछ जवाब दिए... वो खिलौना उस औरत के हाथों से लेकर वहाँ से चला गया...। 

उस औरत ने भीड़ को चिल्ला कर वहाँ से दूर किया फिर उस बच्चे को अपने पर्स मे से बीस बीस के दो नोट निकालकर मुस्कुरा कर देते हुए बोली :- एक उस सेठ के पैसे हैं और दूसरे तुम्हारे लिए हैं...। घर जाकर एक खिलौने से तुम भी खेलना...। 

बच्चे ने नोट लिए और उस औरत से लिपट गया....। 


उस औरत ने उस बच्चे को गोद में उठाकर गले से लगाया और उसके गाल पर एक किस करके बोलीं :- पक्का एक अपनी पसंद का खिलौना रखना हां...। 


बच्चे की आंखों में आंसू तैर रहे थे पर अपने आप को संभालते हुए बोला :- हां मेमसाब पक्का...। 


फिर उस औरत ने उसे नीचे उतारा और उसके सिर पर हाथ फेरकर वहाँ से चली गई और मन में बोली.... असल में गरीब कौन हुआ... ये बच्चा या वो सेठ...! 


(कभी ऐसे ही किसी की मदद करके देखो.... किसी को चंद पलो की मुस्कुराहट देकर देखो.... सच में बहुत सुकून मिलता हैं...। ) 






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