rekha karri

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गोद भराई

गोद भराई

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सुहानी के तीन बेटे थे। पति की मृत्यु हो गई थी तब से बच्चों को उन्होंने ही पढ़ाया लिखाया था। बच्चे भी होनहार थे और आज्ञाकारी भी थे। बड़े बेटे को नौकरी नहीं लगी थी परंतु उनके दूसरे और तीसरे लड़के को चेन्नई में सरकारी ऑफिस में नौकरी मिल गई थी इसलिए सुहानी अपने बड़े बेटे और उसके परिवार को भी अपने साथ चेन्नई ले गई थी। वहीं पर रहते हुए उसने दूसरे बेटे की शादी करा दी थी बहू छोटे से गाँव से आई थी। वैसे बड़ी बहू भी गाँव से ही आई थी। सुहानी की इन दोनों बहुओं के पिता वकील थे। 

सुहानी की मुँह बोली ननंद उसके तीसरे बेटे के लिए एक रिश्ता लाई जो नार्थ की थी उसके पिता रेलवे में नौकरी करते थे अब रिटायर हैं। सुहानी को भी वह लड़की बहुत पसंद आ गई थी। मध्यम वर्गीय परिवार की लड़की थी दसवीं पास थी सुंदर थी। 


सुहानी की बड़ी बहू और दूसरी बहू के मायके वालों के पास बहुत पैसा था दोनों को अपने मायके के पैसे का घमंड था। 

मैं सुहानी के बहुओं के नाम बता देती हूँ। बड़ी बहू रमणी, दूसरी बहू प्रभा, तीसरी बहू सुजाता। 

सुहानी के बड़े बेटे की नौकरी गुंटूर में एक कंपनी में लग गई थी। वह अपनी पत्नी और दोनों बच्चों को लेकर गुंटूर चला गया था। 

इधर सुहानी अपने दोनों बेटों और बहुओं के साथ चेन्नई में रहने लगी। प्रभा की शादी हुए पाँच साल हो गए थे परंतु उनकी कोई संतान नहीं हुई थी। इसी बीच सुजाता प्रेगनेंट हो गई जिससे प्रभा को ईर्ष्या होने लगी थी। वह जान बूझकर उससे काम कराती थी यह कहकर मुझसे नहीं हो रहा है या मैं नहीं कर सकती हूँ कहते हुए। 

सुहानी सुजाता की गोद भराई करना चाहती थी। उसने सारी तैयारियाँ शुरू कर दी। साउथ में गोद भराई के समय लड़की के हाथों में रंगबिरंगी चूड़ियाँ पहनाने का रिवाज है। सुजाता को सातवाँ महीना चल रहा था उसकी गोद भराई की रस्म में बहुत लोगों को बुलाया गया था और सबने मिलकर उसके दोनों हाथों में चूड़ियाँ पहनाईं। 

जया इधर ईर्ष्या से जली भुनी जा रही थी। उसे जो खुशी नहीं मिली वह सुजाता को मिल रही थी यह उससे सहन ही नहीं हो रहा था। जैसे ही सारे पड़ोसी चले गए थे और सुहानी ने सुजाता की नज़र उतारी और रसोई में काम करने गई थी। उसी समय उसे दूसरे कमरे से प्रभा की आवाज़ सुनाई दी वह सुजाता से कह रही थी कि वाह रे सुजाता आज तेरी गोद भराई तो बहुत अच्छे से हो गई है लेकिन सोच कल तेरा एबार्शन हो गया तो तुझे कैसा महसूस होगा। सुजाता की तो आँखों से आँसू बहने लगे थे। 


सुहानी ने तो सोचा भी नहीं था कि प्रभा ईर्ष्या की आग में इतना नीचे गिर जाएगी। वह झट से रसोई से बाहर आई और प्रभा को डाँटने लगी। प्रभा बिना कुछ कहे अपने कमरे में चली गई थी। 

सुजाता ने एक सुंदर सी लड़की को जन्म दिया था। घर में बच्चे की किलकारियाँ गूँजने लगी थी परंतु प्रभा में कोई बदलाव नहीं आया था। 

दोस्तों जो हमें नहीं मिला उसके लिए अफ़सोस करना के बदले जो मिला उससे संतुष्ट होना सीखना चाहिए न कि दूसरों को देख कर ईर्ष्या करें। 



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