Sudershan kumar sharma

Tragedy

4  

Sudershan kumar sharma

Tragedy

गहरी चोट

गहरी चोट

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हरि और शंकर बहुत गहरे मित्र थे! दोनों  आस -पड़ोस के गांव में रहते थे! उनका उठना! बैठना ! एक साथ होता था एक पल भी एक दुसरे के वगैर नहीं रह सकते थे! पढ़े लिखे होने के कारण लोग हर बात उनको पूछ कर ही करते थे! शंकर और हरि भी अपने इलाके को कोई कमी महसूस नहीं होने देते थे जो बात हरि कर देता शंकर भी उसी को हां कर देता था! उनकी ईमामदारी वा अच्छाई की बातें राजा तक अक्सर प हूँ च ही जाती थीं इसलिए राजा भी उनको इज्जत देता था वो कभी भी दरबार आ जा सकते थे! इसलिए लोगों को कभी भी कोई ठेस प हूँ चती वो हरि और शंकर को बता देते थे! 

एकबार वहां के राजा ने जमींदारों पर टैक्स कुछ ज्यादा ही लगा दिया जो उनकी पुंजी से बहुत अधिक था! फिर क्या था हर किसानपरेशान था सभी ने मिल कर हरि और शंकर के आगे गुहार लगाई लेकिन राजा के सामने जाने के लिए कोई राजी नहीं था! हरि और शंकर ने कहा हमसे कोई एक राजा के आगे बात रखेगा की इस पर गौर परमाई जाए! आखिरकार शंकर जाने को मान गया कि मैं सभी की तरफ से राजा के आगे बात रखूंगा! इसलिए दुसरे दिन शंकर राजा के आगे पेश हुआ और सारी बात कर डाली की जनता मे़ विद्रोह हो सकता है! 

राजा को बात अच्छी नहीं लगी और उसने उल्टा शंकर को कह दिया आप ही जनता को उकसा रहे हैं! 

शंकर ने फिर बातको दोहराया कि मेरे इलाके की जनता हमारे पास आई थी और मजबूरी की गुहार लगा रही थी! 

राजा ने कहा प्रजा मेरी है प्रजा को कोई तकलीफ नहीं होगी अगर होती तो मेरे गुप्तचर मुझे बताते आप सरासर गल्त बोल रहे हो! 

राजा ने अपने सिपाहियों को हुक्म दिया कि शंकर को बंदी बना लिया जाये! ऐसा ही हुआ! 

 राजा ने शंकर को यह भी कह दिया अगर एक भी व्यक्ति आपके हक में बात करेगा की आप सही कह रहे हो तो मैं आपको आपना बाजीर बना दूंगा नहीं तो आपको उम्र कैद होगी! शंकर ने सिर हिलाया! 

फिर क्या था राजा ने दूसरे दिन फरमान निकाला शंकर और हरि के इलाके का हर किसान अपने घर से बाहर निकल कर शंकर को एक एक चोट लगाएगा! 

दूसरे दिन शंकर को उसके इलाके में नंगे घुमाया गया हरेक किसान आता उसको जो हाथ में आता उसकी एक चोट लगा जाता! सभी राजा के डर से ऐसा ही कर रहे थेशंकर चोट लगने पर मुस्कराता और चल देता लगभग सभी घर के किसानों ने ऐसा ही किया शंकर का शरीर छलनी हो चुका था लेकिन वो मुस्करा रहा था क्योंकी मसला एक आदमी का था राजा के कहने पर अगर एक आदमी भी उसके हक में आता तो वो बाजीर बन जायेगा ! 

शंकर के मन में यही विचार था कि मेरा दोस्त हरि तो कहीं नहीं जायेगा वो तो मेरे लिये अपने प्राण भी नौशावर कर देगा हम दोनों मिलकर अपनी जनता को न्याय तो दिलवा दिया करेंगे इसी सोच में शंकर आगे बढ़ता जा रहा था उसके दोनों हाथों मे़ हथकड़ियां थी शंकर ने दूर से देखा अब उसके दोस्त हरि का ही आखिरी घर बचा था जिसकी शंकर को अभिलाषा थी शंकर को हरि के घर के आगे खड़ा कर दिया हरि को शंकर का जिस्म छलनी देख कर बहुत घबराहट सी महसूस हुई लेकिन शंकर अभी भी मुस्करा रहा था शंकर ने सोचा अब तो मैं सही जगह प हूँ च चुका हूँ कम से कम मेरे दोस्त को तो पता है मैं सही बोल रहा हूँ ! 

हरि ने एकबार सिपाहियों की तरफ देखा और एकबार शंकर की तरफ और फिर अपनी झौली में से एक फूल की जोर से शंकर के सिर पर मार दी! ज्यों ही फूल शंकर से टकराया शंकर फूट फूट कर रोने लगा मानों उसके सारे जख्म हरे हो गये हों हरि ने सोचा फूल की तो क्या चोट लगेगी लेकिन शंकर को मानो ऐसा लगा की किसी ने उस पर तलवार का बार किया हो उसने कहा दोस्त मुझे आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी आपने मेरे दिल पर बार किया है शंकर वेहोश जमीन पर गिरा पड़ा था उसकी आंखे खुली हुई आपने दोस्त हरि को पुकार रही थीं शायद यही कह रही थीं की मेरे दिल में आपके लिए अभी भी वोही जगह है देखो मैं आंखें विछाए आपका इन्तजार कर रहा हूँ आखिरबार तो मेरे छीने से लग जाओ अगले दो मिन्ट में शंकर को मृत घोषित कर दिया गया। 

सच कहा है सच्चा दोस्त तो भगवान का रूप होता है जो दोस्त के प्राण तक बचा सकता है। 


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