फ़टीचर आशिक़
फ़टीचर आशिक़
"नेहा, मैं तुमसे प्यार करता हूँ। मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।" "अमन प्यार से पेट नहीं भरता। ज़िन्दगी जीने के लिए और भी चीज़ें चाहिए होती है, जैसे कि पैसा या यूँ कहो तो एक सिक्योर्ड लाइफ।" "तो वो भी हो जाएँगी न एक दिन। बस थोड़ा सब्र कर लो।" अमन ने विनती करते हुए कहा। "अमन हम काफी समय से साथ है। दोनों एक साथ लॉ कर रहे हैं और तुम जो यह साथ में आई. ए.एस. की तैयारी कर रहे हो, भला तुम्हें इससे कुछ मिलने वाला है। तीन बार तुम पेपर दे चुके हो। अभी तक तुम्हारा पेपर क्लियर होने पर नहीं आया है। तुम कॉलेज के बाद या कोई लॉ फर्म ज्वाइन कर लेना या फिर किसी सरकारी नौकरी में लग जाना। "नेहा वक़्त एक सा नहीं रहता। आखिर तुम्हें ज़ल्दी क्या है? जल्दी? हमारा लॉ का यह आख़िरी साल है। मेरे लिए अच्छे-अच्छे रिश्ते आना शुरू हो चुके हैं। अब मैं चलती हूँ, मेरी क्लास है। नेहा सुनो ! सुनो! अमन पुकारता रह गया और नेहा बिना सुने ही चली गई।
नेहा सीधे कैंटीन में अपने ग्रुप में पहुँचकर धम्म से कुर्सी पर बैठ गई। क्या हुआ यार ? वही अमन से झगड़ा ? रिंकी ने पूछा। पागल हो गया है, शादी करना चाहता है। ठीक है अफेयर है, घूम-फिर लिए, थोड़ी मस्ती कर ली, दो-चार गाने गा लिए। इसका मतलब यह नहीं कि उसके साथ घर बसा लूँ।" नेहा एक ही साँस में बोल गई। उसकी बातें सुनकर रम्या, साक्षी और रिंकी सभी ज़ोर से हॅसने लगे। "बेचारा! अमन अच्छा तो है, कर लियो यार! शादी दिक्कत क्या हैं ? "तू कर ले, उस फ़टीचर आशिक़ से शादी। क्या ! फ़टीचर आशिक़ ? साक्षी बोली। "और नहीं तो क्या ! कब उसकी ज़ेब में पैसे होते हैं। दोस्तों से उधार माँगकर तो मुझे गिफ्ट देता है। मनाली भी मनीष से पैसे माँगकर ही ले गया था। शायद अभी तक इ.एम.आई. ही भर रहा होगा। कहकर नेहा हँसने लगी। पर तूने तो पूरे मज़े लिए न दूसरे के पैसे पर। हाँ, लिए तो? नेहा ने अँगड़ाई लेते हुए कहा। देख, अभी तक थकान उतरी नहीं मैडम की। रम्या तपाक से बोल पड़ी। सब ज़ोर से हँसने लग गए। चले ? देर हो रही है। लेक्चर तो बंक हो गया। नेहा किताबें उठाते हुए बोली।
दिन गुज़रे और लॉ कॉलेज का आख़िरी दिन आ गया। फेयरवेल वाले दिन सब एक दूसरे से मिल रहे हैं। अमन नेहा के लिए उसके मनपसंद लाल गुलाब लाया । पर नेहा अपने सभी दोस्तों से मिलने में लगी हुई है। उसने देखकर भी अमन को नहीं देखा। आख़िर वह अपने क्लासमेट श्याम से अलविदा कह अमन के पास पहुँची। "तुम अभी तक गए नहीं अमन ? " "कैसी बातें कर रही हो नेहा ? तुमसे मिले बैगर मैं कैसे जा सकता हूँ ? इस बार आई.ए.एस. क्लियर होते ही मैं तुम्हारे घर आऊँगा रिश्ता माँगने।" "दिमाग ख़राब हो गया, तुम्हारा। देखो! मेरा और तुम्हारा कोई मेल नहीं है। पहले अपनी बहनों की शादी कर लो। तुम्हारे पिताजी की पेंशन के पैसे से ही तुम्हारा घर चल रहा है। कोई नौकरी कर लेना। फ़िर अपने लिए अपने जैसी ही मध्यम वर्गीय लड़की देखकर घर बसा लेना।" नेहा! अमन चिल्लाते हुए बोला। मुझे तो पहले ही पता था, तुम्हारा प्यार सिर्फ दिखावा है। तभी तो तुम अपने दोस्तों के साथ मिलकर मेरा मज़ाक उड़ाती थी, 'फ़टीचर आशिक़' यही न? हाँ यहीं "फ़टीचर आशिक़, फ़टीचर आशिक़" और कुछ सुनना है तुम्हें।" नेहा पैर पटकती हुई चली गई और अमन को महसूस होने लगा कि गुलाब के फूलों से कांटे चुभने लगे हैं।
नेहा ने फ़ोन नंबर बदल दिया और निहाल से शादी कर कर घर बसा लिया। निहाल का घड़ियों का बिज़नस है। देश -विदेश में वह अच्छा कमा रहा है। नेहा को कोई कमी नहीं है। कभी निहाल का बिज़नेस उसे वक़्त नहीं दे पाता तो वह खीझ उठती और निहाल से लड़ने लगती। ऐसे ही ज़िंदग़ी गुज़र रही है । उसकी सारे दोस्तों की शादी हो चुकी है। एक श्याम बचा था, जिसकी शादी में रात को जाना है। पाँच साल बीत चुके हैं और सब दोस्त कैसे अपनी ज़िन्दगी में तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। वो भी तो कितनी आगे बढ़ चुकी है। यही सब सोचते हुए उसने टीवी चलाया। कितने दिनों बाद आज टीवी देखा है। वरना घर में लोगो का आना -जाना और कभी फुरसत मिले तो कंप्यूटर पर वक़्त गुज़र जाता।
अरे ! यह तो अमन है, ज़ी न्यूज़ पर क्या कर रहा है? उसके हाथ एकाएक रुक गए रिमोट पर। वहाँ से एंकर कह रही है, "मिलिए अमन कुमार आई.पी.एस. जिन्होंने छत्तीसगढ़ जैसे खरतनाक नक्सल क्षेत्र से नक्सलवादियों का सफ़ाया कर दिया और कितने ही ग्रामीण लोगों की जान बचाते होते अपना फ़र्ज़ बखूबी निभाया। देश को नाज़ है, ऐसे बहादुर अफ़सर पर। सरकार अगली 26 जनवरी को इन्हे सम्मानित करेगी।" अमन आई.पी.एस,! इसे तो आई.ए.एस. बनना था। अमन टीवी पर ? नेहा को यकीन नहीं हो रहा है। इसे बंद करो और तैयार हो जाओ। शादी छतरपुर के फार्म हॉउस पर है। हमें वहाँ जाने में वक़्त लगेगा। यह कल का इंटरव्यू दस बार दिखाएंगे। नेहा ने घूरकर निहाल को देखा और तैयार होने चली गई।
सारे रास्ते नेहा को अमन की वही बात याद आती रही कि 'वक़्त कभी एक सा नहीं रहता नेहा।' शादी में नेहा के सभी दोस्त मिले। श्याम भी नेहा को देखकर खुश हुआ। तभी उसकी नज़र भीड़ पर गई, जहां सभी किसी एक शख़्स को घेरकर खड़े हैं। जैसी ही भीड़ हटी तो देखा, यह तो अमन है। भीड़ से निकलकर कब वो नेहा के पास पहुँचा उसे पता ही नहीं चला। हैलो नेहा, कैसी हो? नेहा धीरे से बोली ठीक हूँ। तभी निहाल वहाँ आ पहुँचा। आप एक दूसरे को जानते है? जी बिलकुल। दोनों एक ही कॉलेज में थे। मेरा नाम अमन है। आपको कौन नहीं जानता, सर आपने तो कमाल कर दिया। यू आर ग्रेट। कहते हुए निहाल ने अमन से बड़ी ही गर्मजोशी से हाथ मिलाया।
आज पूरे देश को आप पर नाज़ है। नेहा तुमने बताया नहीं कि अमन को तुम जानती हो। तुम्हारे सभी दोस्तों से मिला हूँ। बस इन्हीं का ज़िक्र नहीं किया कभी। नेहा कुछ बोलती इससे पहले ही अमन बोल पड़ा, अरे ! इन्हें अमन नाम नहीं याद रहा होगा। वैसे भी मैं इनके लिए था "फ़टीचर आशिक़" कहकर अमन ज़ोर से हँसता हुए चला गया। नेहा की आँखें भर आई। यह अमन जी क्या कह रहे थे ? तभी निहाल को उसके परिचित ने बुला लिया और नेहा धीरे से आँसू पोंछते हुए बोली। 'फ़टीचर आशिक़' !!!!!!!!!!