Dr. Pradeep Kumar Sharma

Drama Tragedy Crime

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Dr. Pradeep Kumar Sharma

Drama Tragedy Crime

एमर्जेंसी ड्यूटी

एमर्जेंसी ड्यूटी

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यह इत्तफाक ही था कि जिस दिन उसे सावधि जमा योजना के पैसे मिले, उसी दिन गाँव से पिताजी का तार आया- ‘‘तुम्हारी माँ की हालत बहुत खराब है, अच्छा होगा कि उसे इलाज के लिए शहर ले जाओ।’’


वह सोच ही रहा था कि पत्नी ने कहा- ‘‘देखो जी अब तो कुछ पैसे इकट्ठे मिले है, क्यों न किसी अच्छी जगह घूम आएँ।’’

‘‘लेकिन .....।’’


वह कुछ कहता, इसके पहले ही पत्नी बोल पड़ी- ‘‘उनको यहाँ लाने से पहले मुझे मेरे मायके छोड़ देना। मैं आखिर कब तक तरसती रहूँगी। उनकी बीमारी के कारण ही आपने मुझे एक बार भी कहीं बाहर नहीं घुमाया ....... अब बड़ी मुश्किल से चार पैसे हाथ आये हैं तो तुम फिर वही सब .....।’’

और वह रो पड़ी।


‘‘अच्छा बाबा, अब चुप भी करो ..... मैं पिताजी को लिख देता हूँ कि दफ्तर में इमर्जेन्सी ड्यूटी के कारण मैं नहीं आ सकता ....।’’


और फिर दोनों पर्यटन के लिये कुल्लू-मनाली चले गये।

एक महीने बाद जब वापस आये तो पिताजी का तीन दिन पुराना संदेश मिला- ‘‘तुम्हारी माँ गुजर गयी।’’



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