एकनाथ की लाड़ली
एकनाथ की लाड़ली
हर रोज की तरह एकनाथ सब्जियां बेचकर अपने खाली ठेले के साथ घर की ओर जा रहा था। अचानक से हृदय को चीर देने वाली एक रुलाई ने उसे चौंका दिया। उसने अपनी नजरें इधर-उधर दौड़ाई।
निकट ही कूड़े के ढेर के पास, झाड़ियों की ओट में उसे एक नवजात शिशु नजर आया। एकनाथ ने उसे अपनी गोद में उठा लिया। वह एक मासूम सी सुंदर लड़की थी। एकनाथ को आस-पास कोई नजर नहीं आया और वह बच्ची को उठाकर अपने घर ले आया।
शायद अवैध संतान समझ फेंक दिया हो इसके माँ बाप ने। नंगी हवस के अधीन बिन ब्याही माँ ने बदनामी के डर से उसे इस कूड़े के ढेर पर फेंक दिया। या हो सकता है अनचाही लड़की जनने के कलंक से बचने और भविष्य की जिम्मेदारी से मुक्त होने के लिए ये कर्म किया हो। कुछ भी हो उसे एक प्यारी बेटी मिल गई।
उस समय एकनाथ की उम्र लगभग 28 वर्ष थी और वह अविवाहित था। उसे बच्ची से ऐसा स्नेह लगा कि उसने जीवन में कभी शादी ना करने का एक कठोर फैसला लिया और पूरे मन व दुलार से उस नन्ही बच्ची का लालन-पालन करने लगा। उसने बच्ची का नाम प्रेम ज्योति रखा। सुबह काम पर जाते वक्त वह ज्योति को अपनी बूढ़ी मां के पास छोड़ जाता। शाम को घर आते ही वह बच्ची से खूब लाड़-दुलार करता।
समय पंख लगाकर उड़ा और अब एकनाथ ने ज्योति का दाखिला एक बढ़िया स्कूल में करवा दिया। वह ज्योति की हर छोटी से छोटी जरूरत का पूरा ख्याल रखता। ज्योति भी पढ़ने में खूब होशियार निकली। उसने पढ़ाई में दिन रात कठिन मेहनत की और कंप्यूटर साइंस से स्नातक कर लिया और फिर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुट गई। अपनी लगन और मेहनत के बल पर ज्योति ने प्रदेश लोक सेवा आयोग से पीसीएस की परीक्षा में सफलता पाई और उसे एस डी ओ के पद पर पोस्टिंग मिली।
अपनी गुड़िया की इस सफलता को देखकर एकनाथ का चेहरा आंसुओं से भीग गया। उसकी ज्योति ने उसके जीवन का सपना साकार कर दिया था।
आज ज्योति अपने पिता को हरदम अपने साथ रखती है और उनकी हर छोटी से छोटी जरूरत व ख्वाहिश का ध्यान रखती है।