Harish Sharma

Others

4.5  

Harish Sharma

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एक शाम रास्ते में

एक शाम रास्ते में

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उन्होंने कार की खिड़की से एक खेत मे चलता ट्यूबवेल देखा और गाड़ी रोक ली ।शाम का वक्त,हल्की हवा और थोड़ी सी छाई हुई बदली ने मौसम खुशगवार कर दिया था । अभी दो घण्टे का रास्ता बाकी था घर पहुंचने के लिए । बैग में दो बोतल विहस्की और गिलास उनके पास थे । आगे किसी ढाबे पर रुकने का प्रोग्राम था पर जाने क्यों मौसम की करवट और मन की तरंग ने उन्हें इस प्राकृतिक दृश्य में ही रोक लिया ।

वे सड़क पर एक साइड गाड़ी खड़ी कर के खेत में नीचे उतर गए । शहतूत और नीम के पेड़ों से घिरा ये ट्यूबवेल और साथ ही बना एक छोटा सा कमरा । इसमें शायद किसान या उसका खेत मजदूर देर सवेर रुक जाते होंगे । गांवों के खेतों में ये आम चलन है और इसमें जरूरत का सामान जैसे चूल्हा,गैस सिलेंडर,कुछ बर्तन,एक चारपाई और नमक मिर्च रख लेते । तीनो दोस्तो ने देखा कि बारिश होने के पूरे आसार है,बादलों के झुंड आकाश और खेतों की हरियाली के बीच ऐसे लग रहे हैं जैसे स्लेटी रंग की स्याही उड़ रही हो । 

ट्यूबवेल के सामने चारपाई पर एक बुजुर्ग किसान बैठा है । कमरे में एक मजदूर शायद कुछ पका रहा है ।

"हाँ जी अंकल जी,हम लोग आपका ट्यूबवेल देख कर रुक गए,दो मिनट रुक सकते हैं न यहाँ ?" एक दोस्त बोला ।

"हाँ भई जवानों,आ जाओ आ जाओ, पूछने वाली क्या बात है । आओ बैठो ।" किसान ने वही पड़े एक तख्त पोश पर उन्हें बैठने का इशारा किया ।

"बहुत शुक्रिया जी ।" दोस्त ने धन्यवाद किया ।

"कोई बात नही,और बताओ चाय पानी की सेवा ।"

"नहीं जी चाय पानी का तो टाइम निकल गया,अब तो कुछ रौनक मेला लगाएंगे,आपकी भी सेवा कर देते हैं ।कोई परेशानी तो नही?"कहते हुए एक दोस्त ने बैग से बोतल और गिलास निकाल कर तख्तपोश पर टिका लिए ।

"वाह भई जवानों दिक्कत क्या होनी,वक्त है मौका है,देसी भी पड़ी है अंदर कमरे में,वो मंगवाऊं ।" किसान ने मुस्कुराते हुए कहा । 

सब हसने लगे और महफ़िल जम गई । 

खाने के लिए नमकीन थोड़ा था तो एक दोस्त बोला ।

"ऐसा लग रहा है कि अंदर कमरे में मजदूर भाई कुछ पका रहा है? बड़ी अच्छी महक आ रही है ।" 

"हाँ, उसे जल्दी खाना खाने की आदत है,सवेरे चार बजे से काम करता है ,फलियां तोड़ के लाया था, वही बना रहा होगा ।" किसान ने गिलास से घूंट लेकर कहा ।

"एक बार उसको भी बुला लेते हैं,वो भी कुछ गला तर कर लेगा ।"एक दोस्त ने सलाह दी ।

"हा हा क्यो नही,रोज देसी पीता है,आज तुम लोगो के साथ अंग्रेजी लगा लेगा.....रामे ओ रामे,बाहर आना ।'"किसान ने आवाज लगा दी ।

रामा बाहर आया तो उसकी तरफ एक गिलास बढाते हुए एक दोस्त बोला,"भाई हमारे साथ भी बैठो यार,आपको अच्छा नही लगा हमारा आना ।" 

" नही नही बाबू जी ,यहां तो पहले भी कोई न कोई रुक जाता है, और मालिक के साथ बैठकर मनोरंजन करता है,मुझे तो खुशी होती है,मालिक का भी दिल बहल जाता है ।यहां एक किलोमीटर पर ढाबा है एक ,अगर कहे तो वहां से कुछ खाना ला देता हूँ । अच्छा बनाता है तड़का लगा कर ।"रामे ने कहा ।

"ओ यार ,जो तू अंदर बना रहा है न ,हमे तो वो दे दे और ये ले पैसे, तू जा और आज ढाबे पर बैठ कर आराम से खाना खा के आ ,जा ऐश कर ।' एक दोस्त ने सौ का नोट रामे को देते हुए कहा ।

"बाबू जी क्यो शर्मिंदा करते हूँ,मुझ गरीब का पकाया क्या खाओगे ,आपको ढाबे से लाकर देता हूँ । दस पन्द्रह मिनट में आ जाऊँगा । "रामे ने गिलास पकड़कर एक ही घूंट में पीकर कहा ।

"ओ धीरे भाई धीरे,इतनी क्या जल्दी है,हमे तो निकलना है जल्दी,तुम जाओ और फिक्र मत करो अपने खाने की,इतनी अच्छी महक आ रही है,हमे पता है तुमने अच्छा पकाया है,हम तो वही खायेंगे ।" दोस्त ने कहकर रामे का गिलास फिर भर दिया ।

"हा हा,ओ भई रामे ने तो देसी पी है,इसको अंग्रेजी क्या करेगी । ...रामे तू कटोरी में जो सब्जी बनाई है वही ले आए और ढाबे पर खाना खा आ,इनका भी दिल रख ले यार, प्यार से दे रहे हैं ले ले ।" किसान ने मूछों पर हाथ फेरते हुए कहा ।

रामा अंदर से सब्जी एक बड़े कटोरे में डाल लाया । 

"वाह क्या स्वाद है,यार तूने तो ढाबे वाले मात कर रखे हैं ।"एक दोस्त ने चम्मच से सब्जी का स्वाद लेकर कहा ।

"ओ जी ये तो छुपा रुस्तम है,मुर्गा हो या दाल सब्जी । कई बार यहाँ खेत मे बना देता है हमारे लिए । बस उंगलियां चाटते रह जाते है मेहमान । " किसान ने भी अपने नौकर की तारीफ की ।रामा हल्का सा मुस्कुरा दिया ।

सबने रामे की प्रशंसा की और मजे ले लेकर फली की सब्जी खाने लगे ।रामा साइकिल उठाकर ढाबे की ओर चल दिया ।

"क्या बताए जी, रामा तो बेचारा गऊ आदमी है,पिछले साल अपने शहर से उजड़कर भूखा प्यासा यहाँ गांव पहुंचा था । सारा परिवार लॉक डाउन में भूख प्यास से लड़ता सड़क पर चलता चलता मर गया । इसने रास्ते मे ही संस्कार किया सबका । पहले छह महीने तो बस चुपचाप काम करता रहा,कभी अकेला रोने लगता तो मैं यहाँ खेत में इसके साथ बैठ कर पीता और इसका सारा दुख सुनता । अब तो ये मेरे बेटे जैसा है,इसका रहने का इंतजाम भी यही खेत मे कर दिया । सुबह चार बजे घर मे पशु डंगर संभालता है, सानी पानी चारा सब इसके जिम्मे है । मेरा लड़का दो साल पहले कनाडा चला गया । बस ये यहां मेरा भी ख्याल रखता है और सब काम करता है । 

बस इसके लिए हम ही इसका परिवार हैं,कहता है कि आप लोग चाहे मुझे दो वक्त की रोटी दे दिया करो,जिंदगी तो अब अकेले ही बसर करनी है ।"किसान ने रामे की जिंदगी का ब्यौरा दे दिया । 

"आप सही कर रहे हो बापू जी,लाकडाउन में तो बहुत घर उजड़े,यहां पंजाब में तो लंगर और सेवा ने लोगो को बचा लिया,वरना बाकी जगह तो गरीब लोग बेचारे भगवान भरोसे रहे ।खैर अब इजाजत,कभी फिर इधर आना हुआ तो आपके पास रुक कर जायेगे । आपसे मिलकर अच्छा लगा और रामे को भी हमारी तरफ से थैंक्यू कहना जी ।" सभी दोस्त गाड़ी की तरफ चल पड़े ।

ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट की तो बारिश जोरो से शुरू हो गई । 

"ले भाई ,अब ध्यान से आराम से चलते रहना ,तेरे ही भरोसे है हम सब । " एक दोस्त ने चुस्त ड्राइवर के कंधे पर हाथ रखकर कहा ।

गाड़ी चल दी , रामे और किसान की याद सभी दोस्तों के बीच अभी भी बनी हुई थी ।


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