एक दूजे के लिए
एक दूजे के लिए
रजनी पिछले आधे घंटे से कमरे में चहलकदमी कर अपना ध्यान बंटाने की कोशिश कर रही थी। वो कभी अपने आपको आईने में देखती, तो कभी सोफे पर बैठती, तो कभी टीवी ऑन करती लेकिन उसका ध्यान नहीं बंट रहा था। अंत में वो तकिया में अपना मुंह दबाकर पलंग पर लेट गई।
बेटी को परेशान देख मां ने पूछा,
"बेटा रजनी! क्या बात है आज कुछ ज्यादा परेशान दिख रही हो, स्कूल में कुछ हुआ क्या? बताओ ना बेटा। माना कि मैं तुम्हारा दर्द दूर नहीं कर सकती लेकिन हो सकता है कहीं तुम मेरे साथ अपना दर्द बांटो तो कम हो जाए।"
"नहीं मां, कुछ नहीं हुआ बस यूं ही!"
इतना बोल वह अपने आप को कमरे में बंद कर लिया। पिछले 2 घंटे से उसके दिमाग में बस एक ही बातें गूंज रही थी, "अरे! तुम ने शादी नहीं की मैंने तो कर ली, एक बच्चे का पिता भी हूं।" याद आते ही बेचैनी सी हो जाती और आंखों से आंसू निकल पड़ते। बार-बार यही सोच रही थी कि सोहम ने चुपचाप क्यों और किससे शादी कर ली? कौन है वो, क्या वह भारतीय है या फिर विदेशी? क्या मुझे एक बार मिलना चाहिए उससे?? नहीं! मिलना ठीक नहीं। वो अपनी जिंदगी में बहुत आगे निकल चुका है। कहीं मैं मिलूंगी और मेरे मुंह से कुछ निकल गया तो उसके साथ उसकी पत्नी को भी बहुत बुरा लगेगा।
यही बातें सोचते सोचते मन अतीत की गलियारों में विचरने लगा। सोहम उसका क्लास मेट था। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद दोनों ने एक ही कॉलेज में एडमिशन लिया। कॉलेज की पढ़ाई पूरी होते- होते दोनों एक दूसरे के काफी करीब आ गए। तब दोनों ने अपना करियर बनाने के बाद पूरा जीवन एक दूसरे के साथ निभाने का वादा किया।
कॉलेज के बाद जहां सोहम इंजीनियरिंग के लिए दूसरे शहर चला गया वहीं रजनी अपने ही शहर में आगे की पढ़ाई करने लगी।
पढ़ाई पूरी होने के बाद जब रजनी के घरवाले उसकी शादी के लिए लड़का देखने लगे तब रजनी ने अपनी मां से सोहम के बारे में बताया। उसके घर वाले जब सोहम से मिलने गए तो पता चला उसकी शादी हो गई है और वह विदेश में सेटल हो गया है। सुनकर पहले तो रजनी को यकीन नहीं हुआ क्योंकि सोहम जब भी कॉल करता तो उसे यही कहता कि इंडिया आकर सबसे पहले तुम्हारे घर आऊंगा अपनी शादी की बात करने के लिए। लेकिन जब मां और मामा ने जोर देकर कहा तो उसे भी यकीन करना पड़ा।
वह बार-बार एक ही बातें सोच रही थी अगर उसे कोई लड़की पसंद आ गई, शादी कर ली तो मुझे क्यों नहीं बताया, झूठी तसल्ली क्यों दे रहा था? इन बातों का जीवन पर इस कदर असर हुआ कि लगा अब जीवन में आगे बढ़ना मुश्किल हो जाएगा। तब अपना समय बिताने और ध्यान बंटाने के लिए एक स्कूल में पढ़ाने लगी।
आज स्कूल से आते समय अचानक उसकी मुलाकात सोहम से हुई। रजनी ने तो नजर अंदाज किया पर सोहम पूछा बैठा, "अरे! तुमने अभी तक शादी नहीं की? मैंने कर ली और अब एक बच्चे का पिता भी हूं।"
रजनी बिना कुछ जवाब दिए तेज कदमों से आगे बढ़ गई।
"रजनी! अरी ओ रजनी!! बाहर निकलो देखो कोई तुमसे मिलने आया है।"
"कौन है मामी?" रजनी अपने अतीत से बाहर निकलते हुए बोली।
"पता नहीं पर वो अपना नाम सोहम बता रहा है।"
सोहम का नाम सुन ना चाहते हुए भी वो बाहर निकली, "जी आप कौन और क्या काम है मुझसे?" रजनी ने जानबूझकर अनजान बनते हुए कहा।
"ज्यादा कुछ नहीं, क्या आप 2 मिनट अकेले में बात करेंगी? प्लीज मना मत करिए!"
"जी ठीक है!"
फिर जब वे अकेले में बात करने गए थे तो सोहम ने रजनी का हाथ पकड़ते हुए कहा, रजनी! तुमने अब तक शादी क्यों नहीं की? अगर नहीं की तो फिर मुझे क्यों कहा कि तुम किसी और से...! मेरा मतलब कि तुम अपने जीवन में आगे बढ़ गई हो।"
"देखिए मैंने शादी क्यों नहीं की आपको बताना जरूरी नहीं समझती। आपकी शादी हो चुकी है, एक बच्चे के पिता हैं तो अब आप अपना परिवार संभालिए, मेरे जीवन में दखलअंदाजी मत करिए।"
"अरे, मेरी शादी नहीं हुई है। मैंने जो अभी कुछ देर पहले तुमसे कहा बस तुम्हें चिड़ाने के लिए ताकि तुम सच बोलो और कुछ नहीं! मैं तो अभी भी तुमसे प्यार करता हूं।"
"फिर तुम्हारे घर वालों ने क्यों कहा कि तुमने शादी कर ली है और विदेश में सेटल हो गए हो।"
"मेरे घर वालों ने कुछ नहीं कहा। हां, तुम्हारे मामा मामी और तुम्हारी मां मेरे घर आए थे। वे मेरे बारे में जानकारी प्राप्त कर यहां से निकलने के बाद फोन किया कि रजनी मुझसे शादी नहीं करना चाहती वो किसी और को पसंद करती है। मुझे तो बिल्कुल यकीन नहीं हुआ। मैंने तुम्हें कई बार कॉल लगाया लेकिन तुमने मेरा कॉल ब्लॉक कर दिया था। मैंने मैसेज भी किया पर तुमने रिप्लाई नहीं किया।"
"हां, मैंने मैसेज देखा लेकिन तुम्हारी शादी वाली बात जानकर बहुत गुस्से में थे इसलिए रिप्लाई नहीं किया लेकिन यह झूठ किसने बोला? मामा जी ने पर क्यों?"
तभी मामा सामने आकर बोले, "हां बेटा! मैंने झूठ बोला।"
"लेकिन क्यों?" दोनों ने साथ में पूछ लिया।
"क्योंकि मुझे विदेशी दामाद नहीं चाहिए था।"
पर मैं विदेशी कहां मैं तो पूरी तरीके से भारतीय हूं।"
"बेटा, तुम जैसे विदेश में काम करने वाले भारतीय से एक बार धोखा खा चुका हूं। इसलिए। ये तो तुम जानते हो कि रजनी के सर पर पिता का साया नहीं है।"
"हां, वो तो स्कूल के समय से ही पता है कि रजनी के पापा इसके जन्म से पहले ही गुजर गए।"
"नहीं बेटा, गुजरे नही।"
"मेरे पापा गुजरे नहीं है। क्या मतलब मामा जी!" रजनी ने चौंकते हुए पूछा।
"बेटा, हमने तुमसे एक बात छुपाई है। सालों पहले तुम्हारी मां की शादी भी बड़ी धूमधाम से हुई थी और वह लड़का भी विदेश में काम करता था। मेरे पिताजी ने अपनी हैसियत से ज्यादा दहेज दिया। शादी के कुछ ही महीनों बाद वह वापस विदेश गया यह कहकर कि कुछ महीनों बाद आकर मालती यानी तुम्हारी मां को लेकर जाएगा पर वो अब तक आया नहीं। फिर बाद में हमें पता चला कि उसने पहले से ही शादी कर ली है किसी विदेशी लड़की से। उसने अपना नाम भी तुम्हें नहीं दिया बेटा। तब मैं तुम्हारी मां को लेकर यहां आ गया। बेटा, यही कारण है कि जब मैंने सुना कि तुम विदेश में काम कर रहे हो तो हम सभी रजनी की शादी तुमसे करने से पीछे हट गए और झूठ बोला कि उसने शादी कर ली है। क्योंकि मैं नहीं चाहता था जो तकलीफ मेरी बहन ने झेला वो मेरी भांजी को भी झेलना पड़े।"
सारी बात सुनते ही रजनी की आंखों से आंसू बहने लगे मालती जी भी खूब रोने लगी।
"मामा जी, इंजीनियरिंग करने के बाद जब मुझे यूएसए से ऑफर मिला, अच्छा पैकेज मिला तो मैं अपने आप को वहां जाने से रोक नहीं पाया। मैंने विदेश में काम किया पर एक बेहतर अनुभव प्राप्त करने के लिए। मेरा 3 साल का कॉन्ट्रैक्ट था वह पूरा होते ही 6 महीने पहले मैं हमेशा के लिए भारत आ गया हूं। मेरा कांट्रैक्ट और पैकेज बढ़ाकर वहीं रहने के लिए कहा गया पर मैं नहीं रुका क्योंकि मैं पूरे तन मन धन से भारतीय हूं। मेरे रग-रग में भारतीय सभ्यता संस्कृति दौड़ रही है। मैं आज जो कुछ भी बना हूं, अपने देश में रहकर बना हूं तो अपने देश के लिए ही काम आऊंगा। अगर कभी विदेश गया भी तो भारतीय बन कर ही रहूंगा। मैं पूरी तरह से स्वदेशी हूं मामा जी।"
"तुम्हारी बातों पर मुझे यकीन हो रहा है लेकिन अब क्या करें तुम दोनों बताओ?"
"करना क्या है मामा जी! अभी भी देर नहीं हुई है । बस आप आज्ञा दीजिए हम दोनों अभी भी एक-दूसरे का हाथ थामने को तैयार हैं। क्योंकि हम दोनों एक दूजे के लिए ही बने हैं।"
"हां बेटा, तुम सही कह रहे हो। पिछले 2 सालों में कितने रिश्ते इसके लिए आए और मैंने भी कितने देखे पर एक भी मन को नहीं भाया। अब मुझे भी लगता है कि तुम दोनों एक दूजे के लिए ही बने हो। मैं आज ही पंडित जी के पास जाता हूं शादी के लिए शुभ मुहूर्त निकलवाने।"