Dr Jogender Singh(jogi)

Others

4.5  

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दो रंग

दो रंग

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हीरन ने अपनी टेढ़ी पीठ को तानने की नाकाम कोशिश की ।नाटे क़द की हीरन का गोल चेहरा झुर्रियों से भरा । कान औसत से बड़े , उसमें लटके सोने के बाले । गोल फ़्रेम का गाँधी चश्मा , साफ़ नीले बॉर्डर वाली सफ़ेद साड़ी । पीठ के कूबड़ ने छोटे क़द को और छोटा कर दिया । खुरदरे हाथों में रेखाओं का जाल सा बना हुआ । कॉलोनी के प्रवेश द्वार के एक कोने पर हीरन की छोटी सी सब्ज़ी की दुकान ।फटी एड़ियाँ और उनको छिपाते काले रंग के एक जोड़ी चमड़े के जूते ।सुबह नौ से बारह बजे तक और शाम को पाँच से सात बजे तक हीरन को दुकान पर बैठना होता है । सात के बाद और सुबह छः से नौ तक कैलाश दुकान पर बैठता ।

“ आंटी पाँच रुपये की धनिया दे दीजिए ” परी ने पाँच का सिक्का हीरन की तरफ़ बढ़ाया । 

धनिये के पत्तों का छोटा सा गट्ठर बना परी को दिया , पाँच का सिक्का मेज़ में बने गल्ले में डाला । हीरन को पीठ में हलकी सी अकड़न महसूस हो रही है सुबह से ।कैलाश के पापा शराब पी कर जब तब लातों से उसको कूट देते । कितना गिड़गिड़ाती थी हीरन , पर कलिराम का दिल कभी नहीं पसीजता । वो उसको जी भर कूट कर ही रुकता । “ अच्छा हुआ मर गया ” हीरन बुदबुदाई । 

"क्या हुआ हीरन ?" श्रीबाला ने प्यार से पूछा । 

"कुछ नहीं बहन जी , पीठ में थोड़ी अकड़न सी है , क्या दे दूँ ?" 

"कोई दवा ले लो ।"

“ घर जा कर सिकाई कर लूँगी , रात भर में आराम मिल जायेगा ।" हीरन मुस्कुराई । 

“ राजेंद्र झोला ले आ ।" श्रीबाला ने ड्राइवर को आवाज़ दी । 

राजेंद्र जूट का झोला ले कर आ गया । दो किलो आलू , एक किलो प्याज़ , एक किलो टमाटर , धनिया , चार नीबू , सौ ग्राम अदरक , एक फूल गोभी और मशरूम दो पैकेट । श्रीबाला ने हाथ में ली पर्ची को पढ़ कर सुनाया । हीरन मनोयोग से सामान तौलने लगी ।

श्रीबाला ने अपने कार्बन फ़्रेम के चश्मे को ठीक किया और मोबाइल पर वट्सअप देखने लगी । लम्बे क़द की श्रीबाला के बाल कमर तक आते हैं , गोरा गुलाबी रंग , बालों में हलकी सफ़ेदी , चेहरे पर एक आध झुर्री ध्यान से देखने पर दिख जाती । इस उम्र में भी चेहरे पर ग़ज़ब की चमक ,कुल मिलाकर एक आकर्षक व्यक्तित्व । उपेन्द्र अक्सर कहता था “ मेरी शादी एक नायिका से हुई है ” । उपेन्द्र श्रीबाला पर जान छिड़कता था । श्रीबाला ने भी उपेन्द्र का भरपूर ख़्याल रखा था । बस उपेन्द्र को खाने पर ज़ोर नहीं था , मनपसंद खाना देख कर वो खाता चला जाता । वज़न ज़्यादा होने और कोई शारीरिक श्रम ना करने की वजह से उपेन्द्र को हार्ट अटैक आया , अस्पताल तक भी तो नहीं पहुँच पाये थे । श्रीबाला ने सृष्टि और रजनीश की परवरिश अकेले की , बहुत अच्छी तरह । सृष्टि बैंक में मैनेजर है और रजनीश का अपना कारोबार ।

"कितना हुआ ?" श्रीबाला ने पर्स खोलते हुए पूछा ।

“दो सौ तीस ” हीरन ने जोड़ कर बताया । 

श्रीबाला ने दो सौ तीस रुपये हीरन को पकड़ा दिए । दो सौ एक नोट,दस दस के तीन ।” राजेंद्र !! थैला ले लो बेटा ।"

राजेंद्र ने सब्ज़ी का थैला आगे की सीट पर रख लिया । श्रीबाला के लिए पिछला दरवाज़ा खोल दिया । लम्बी गाड़ी धीरे से आगे बढ गयी ।

"क्या हुआ माँ ?" हीरन को नीचे लेटा देख कैलाश परेशान हो गया । 

"कुछ नहीं , पीठ में थोड़ी अकड़न सी है , ख़ाली थी सोचा लेट लूँ । अब तू आ गया मैं घर जा रही हूँ ।" 

"मैं छोड़ देता हूँ , “ विकास !! कैलाश ने आवाज़ लगाई , "थोड़ी देर दुकान पर नज़र रखना मैं माँ को छोड़ कर अभी आता हूँ ।"

“ मैं चली जाऊँगी , पास में ही तो है" , हीरन ने ज़िद्द की ।

"आओ , कैलाश बाइक स्टार्ट करते हुए बोला ।" हीरन पीछे बैठ गयी ।

"माँ की पीठ में दर्द है , गर्म पानी दे देना और चाय भी ।" कैलाश ने हीरन को सहारा दे कर कुर्सी पर बिठाते हुये मालिनी से कहा । 

"मैं दुकान बढ़ा कर आता हूँ" , फिर डॉक्टर को दिखा लाऊँगा । 

"रहने दे , डॉक्टर को दिखाने की ज़रूरत नहीं । थोड़ा आराम करूँगी , ठीक हो जायेगा , एक तेरा बाप था जिसको मेरी कोई चिन्ता ही नहीं थी , एक तू है !! लगता ही नहीं उसका बेटा है ।" हीरन की आँखों में आँसू आ गए ।

"रहने दे माँ , उस आदमी की बात मत कर , मैं अभी आता हूँ , विकास परेशान हो रहा होगा दो दो दुकान कैसे देखेगा ? "

“ कोई भी दिक़्क़त लगे तो फ़ोन कर देना , कैलाश मालिनी से बोला और रित्विक कहाँ है ? उससे कह देना दादी को परेशान न करे ।"

 

दुकान बढ़ा कर कैलाश हीरन को डॉक्टर राजेश को दिखाने ले गया । 

"डॉक्टर साहब पीठ में भारीपन है और जी भी मिचला रहा है ।"

डॉक्टर राजेश ने आला लगा कर सुना , ब्लड प्रेशर देखा , एक ई॰ सी॰ जी॰ किया । 

"कैलाश इनको तुरंत भर्ती करा दो ।"

"क्या हुआ डॉक्टर साहब ?" कैलाश परेशान हो गया ।

"परेशान मत हो , तुमने समझदारी का काम किया जो इन्हें दिखाने ले आए । दिल में हलकी दिक़्क़त है , दवा मिल जायेगी ठीक हो जायेंगी ।

हार्ट अटैक है माइनर सा ।"

कैलाश ने हीरन को तुरंत भर्ती करा दिया , मालिनी को फ़ोन पर बताया, मालिनी परेशान होने लगी ।

"परेशान मत हो , आराम से है माँ , इंजेक्शन लगने के बाद माँ को आराम है ।"दूसरे दिन हीरन की छुट्टी हो गयी । एक हफ़्ते बाद फिर से दिखाने आ जाना , तब तक यह दवा चलेगी सिस्टर ने पर्चा कैलाश को पकड़ाते हुए हिदायत दी ।

रित्विक हीरन को देख दादी दादी करता उस से चिपक गया । 

दस दिन बाद हीरन फिर से दुकान पर बैठने लगी । तीन चार दिन तक जब श्रीबाला नहीं दिखी , तो हीरन ने विकास से पूछा “ श्रीबाला मेम साहिब नहीं दिख रही , मेरे पीछे आती तो थी ना ? 

चाची आप को नहीं पता ? श्रीबाला मैडम को हार्ट अटैक पड़ा ,, लोग बताते है बेचारी रात भर दर्द से चिल्लाती रही पर बेटे बहू के कान पर जूँ तक नहीं रेंगी ,कितना तड़पी होंगी ।"

"लोग बातें बनाते है विकास , नहीं पता लगा होगा उनकी बहू बेटे को , रात में आँख लग गयी होगी" हीरन की आवाज़ में दुःख था । 

"मेरी मालिनी और कैलाश कितने अच्छे हैं और हाँ रित्विक भी ।" हीरन धीरे से मुस्कुरा दी ।


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