दक्षिण भारत तुम्हें सलाम
दक्षिण भारत तुम्हें सलाम
लालिमा ऑफिस से लौटी तो बहुत खुश थी , “माँ , मेरा प्रोमोशन हुआ है , मुझे चेन्नई जाना है “.
“नहीं , इतनी दूर और तमिल बोलने वाले लोगों के बीच तुझे बहुत परेशानी होगी ? इसलिये अपने बॉस से मना कर दो . तुम हिंदी बोलने वाली हो वहाँ तुम्हारी बात को कोई नहीं समझेगा और फिर डोसा इडली साँभर से क्या तुम्हारा पेट भरेगा ? नहीं .. नहीं मैने कह दिया तुम्हें नहीं जाना... तो नही जाना...”
मां को घबराया देख उसने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह अपनी जिद् पर अड़ी रहीं .
लालिमा को दक्षिण के मंदिऱों की वास्तुकला बहुत लुभाती थी वह चाहती थी कि वह समुद्र के किनारे लहरों को अठखेलियाँ करते देखे . वह उत्तर प्रदेश के हिंदी भाषी शहर में पैदा हुई , वहीं पली बढी और अब नोयडा में सर्विस कर रही थी ... इसलिये वह किसी भी हालत में अपने जीवन में मिले इस अवसर के रोमांच को नहीं छोड़ना चाहती थी . जब वह ऑफिस में अपने मित्रों से बात कर रही थी तो उसकी सहेली निया बोली,” चेन्नई बिल्कुल मत जाना, न अपनी बोली बोलने वाला और न ही अपनी तरह का खाना मिलने वाला . तुझमें टैलेंट है तो बहुत सारे मौके मिलेंगें ...”
वह समझ नहीं पा रही थी कि आखिर चेन्नई जाने से सब लोग इतना क्यों मना कर रहे है ... सबका एक ही कहना था कि वहाँ हिंदी न कोई समझेगा और न ही बोलेगा .. अपने ही देश के एक भाग के बारे में इतनी नकारात्मक बातें सुन कर उसका निश्चय और भी दृढ हो गया था. उसने अपनी माँ को समझा दिया था कि मैं कुछ दिनों तक रह कर आती हूँ , यदि ठीक नहीं लगेगा तो मैं रिजाइन करके पुरानी जॉब ले लूँगीं .
मेरी माँ जो उत्तर प्रदेश के उन्नाव में रहतीं थीं और हिंदी के सिवा कुछ नहीं जानतीं उन्होंने आँसुओं के साथ मुझे विदा किया था . वह जोर से हँसते हुए बोली ,” ऐसा लग रहा था कि वह जेल की सजा काटने जा रही थी ,” सब हँस पड़े थे .
“नहीं मान रही हो तो जाओ दुखी होकर लौटना पड़ेगा! “
लालिमा आई टी प्रोफेशनल थी. वह मन ही मन थोडा घबराय़ी हुई थी लेकिन उसके मन में नई जगह को जानने के प्रति सुलभ उत्सुकता थी. वहाँ की कुछ विशेष बातें जो देखने को मिलीं.
चेन्नई की तपती उमस में महिलायें की नाइटी सबसे प्रैक्टिकल ड्रेस दिखाई देती है . यहाँ की हर उम्र की महिला बालों में गजरा लगाती हैं . अधिकांश दुकानों के बाहर जूते उतारने का रिवाज वहाँ मैंने देखा . मुरुगन इडली रेस्टोरेंट में आपके पहुँचते ही आपके ऑर्डर देते ही चटनी साँभर ,बड़ा, इडली ,डोसा, रसम की विविधता मिनटों में परोसी जाती है , जो काबिले तारीफ है , समुद्र तट की हवा , चंचल माहौल , चाँद की रोशनी आपके मूड को तरोताजा महसूस कराते हैं . यहाँ पर राजनेताओं के लिये बड़े बड़े कटऑउट सड़क के किनारे दिखाई पड़ते हैं . यहाँ की जनता अपने नेताओं को जी जान से प्यार करती है . यहाँ पर प्रत्येक गली में कम से कम एक नृत्य और संगीत एकेडमी है . यहाँ नृत्य और संगीत से लोगों को बहुत प्यार है .यहाँ पर लोगों के पास बहुत पैसा है काँजीवरम् साड़ी यहाँ की पहचान है और चेन्नई में सोने की खरीदारी के बारे कौन नहीं जानता . ये तो चेन्नई की सूक्ष्म विशेषताय़ें ... अब हिंदी भाषा के अपने अनुभव पर चर्चा करती हूँ . एक डरी सहमी उत्तर भारतीय के जीवन का खुशनुमा अनुभव ...
जब चेन्नई के हवाई अड्डे पर उतरी तो भाषा को लेकर थोड़ा नर्वस थी प़रंतु एक तमिलियन के साथ मेरी बातचीत सबसे पहले मेरे कैबड्राइवर के साथ एयरपोर्ट से मेरी कंपनी के गेस्टहाउस तक जाते समय हुई थी . मैने डरते हुए इंग्लिश में उससे गूगल पर सर्च करते हुए रास्ता समझाया , जो उनके पल्ले नहीं पड़ा था . उन्होंने कहा , “हिंदी में बोलो , मुझे थोडा हिंदी समझौता हु “( हिंदी में बोलें , मैडम , मैं हिंदी थोडा समझ सकता हूँ) एयर पोर्ट से गेस्टहाउस की लगभग 40 मिनट की यात्रा मैंने हिंदी में बात करते हुए की . और आप सब मेरा विश्वास करिये कि उनकी टूटी फूटी हिंदी सुनना वाकई सुखद और संतोष जनक अनुभव था .
अगली सुबह जब मैं अपने बॉस के पास रिपोर्ट करने पहुँची तो वह महोदय भी तमिल थे. हमनें उनसे नमस्कार किया तो वह हिंदी में बोले , “हेलो , ज्यादा मुश्किल तो नहीं आईना ऑफिस सर्च करने में (मुझे उम्मीद है कि ऑफिस खोजनें में ज्यादा कठिनाई तो नहीं हुई होगी ) यह सिर्फ मुझे सहज बनाने का उनकी ओर से किया गया प्रयास था . . उन्हें भी ज्यादा हिंदी नहीं आती थी य़े मुझे बाद मालूम हुआ . लेकिन वह मुझसे अक्सर हिंदी में बात करने की कोशिश करते रहते हैं यद्यपि कि वह अपने प्रयास में असफल हो जाते हैं , इससे कोई फर्क नहीं पड़ता परंतु उनके हिंदी बोलने और सीखने के प्रयास को देख कर मुझे बहुत खुशी होती और हिंदी भाषा की स्वीकार्यता देख उसका भविष्य उज्जवल समझ कर मेरी अंतरात्मा को संतोष के साथ खुशी का अनुभव होता ...
वहाँ रहते हुए मैंने बहुत सारे दोस्त बनाये जो हिंदी नहीं जानते थे लेकिन मुझे कोई समस्या नहीं हुई बल्कि वह लोग मेरे साथ रह कर टूटी फूटी हिंदी बोलने और समझने लगे थे . मुझे सबसे अच्छा लगता था कि जब वह मेरी हिंदी में कही बात को नहीं समझ पाते थे तो वह खीझते नहीं थे वरन् मुस्कुराते थे . वह सिर्फ मेरे लिये एक वाक्य बनाने के लिये कुछ हिंदी के शब्दों को एकसाथ रखने की कोशिश करते हैं , उसका कारण है कि हिंदी का उनका शब्दकोष बहुत सीमित है .
मेरा अनुभव रहा कि यह सिर्फ मेरे ऑफिस के लोग और मेरे दोस्त नहीं हैं जो तमिल हैं , यहाँ के स्थानीय दुकानदार, ऑटो चालक ,सब्जी विक्रेता भी आपकी बात को समझने का पूरा प्रयास करता है . वह आपके लिये जो कुछ भी कर सकते हैं वह करने की पूरी कोशिश करते हैं . यह देखते हुय़े कि आप उनका सम्मान करते हैं तो वह भी आपका सहयोग और सम्मान करते हैं . यह हिंदी , तमिल , तेलुगू, कन्नड़ या किसी अन्य भाषा की बात नहीं है , यह तो आपसी सम्मान देने और लेने की बात है . पिछले एक साल में मैंने तमिल लिखना और पढना सीख लिया और अपने ऑफिस और आस पास के बहुत से लोगों को हिंदी बोलना भी सिखा दिया है . और जब भी मैं तमिल में लिखा हुआ कुछ भी पढती हूँ तो वहाँ पर बैठे लोगों के चेहरे पर जो चमकीली सी मुस्कान दिखाई पड़ती है , वह लोग मेरे प्रयास की सराहना करते हैं वह मुझे आनंद की अनुभूति से भर देती है . वैसे ही जब वह लोग हिंदी बोलने या पढने सीखने की कोशिश करते हैं तो मुझे अपना चेन्नई प्रवास सार्थक और उपयोगी प्रतीत होता है .
जब आप हिंदी बोलते हैं , तो वह आपसे प्यार करते हैं और जब आप उनसे उनकी भाषा में संवाद करने की कोशिश करते हैं तो वह आपसे बहुत ज्यादा प्यार करते हैं. जब मैंने तमिल थोड़ी थोड़ी सीख ली थी और एक दिन मैंने अपनी दोस्त को मेसेज किया ,”दोपहर का भोजन पोलामा ? ( क्या हम दोपहर के भोजन के लिये जाते हैं ) “
दोपहर के भोजन के दौरान , मुझे जो उत्तर मिलता है ,” वह है , पाँच मिनट में चलो ( हम 5 मिनट में चले जायेंगें ) ढेर सारी स्माइलीज के साथ “. जब मैं कॉफी काउंटर पर महिला से पूछता हूँ , “रेड कॉफी एक्का (दो कप कॉफी , बहन)” वह जवाब देती हैं , “सर 5 मिनट प्रतीक्षा करेगा, दूध उबालो हो रे अबी ( सर ,कृपया 5 मिनट प्रतीक्षा करें , दूध उबाला जा रहा है ) “
यदि आपके मन में यह सोच है कि आप हिंदी में बात कर रहे हैं , इसलिये आपके साथ बुरा व्यवहार किया जायेगा , या वहाँ आपको अपमानित किया जायेगा तो मैं कह सकती हूँ कि आप गलत सोचते हैं . यहाँ मैं सीख सकती थी
“त्रि मरप्पदु नत्रत्रु नत्रल्लदु
अत्रे मरप्पदु नत्रु “
(किसी की सहायता को भूल जाना अच्छा नहीं है , बुरी घटना को भूल कर भी उसी क्षण भलाई करना अच्छा है , जिसमें उसे फँसाया गया हो )
बहुत जल्दी ही मैं चेन्नई से बाहर जाऊँगी , अपने साथ लेकर जाऊँगी यहाँ के लोगों की अद्भुत यादें , मेरी टूटी फूटी तमिल और उनकी टूटी फूटी हिंदी और ढेर सारी खुशियाँ और लोगों के खुश चेहरे , चाहे मेरे सहकर्मी साथी हों या दैनिक ऑटो चालक , या मेरे पानी की आपूर्ति करने वाला लड़का , या मेरे फ्लैट के बगल में होटल में काम करने वाला लड़का , उनसे मैं बार बार हिंदी में बात करती थी , उन लोगों ने मुझे कभी भी अपमानित नहीं किया और न ही अस्वीकार किया .
“हिंदी वजह , तमिल वजह और हर दूसरी भाषा वजह। “
दक्षिण भारत में इतने साल बिताने के बाद मैंने एक स्मार्ट नवयुवक जो कन्नड़भाषी है , उसके साथ शादी कर ली . मेरे जीवन में खुशियाँ लाने के लिये दक्षिण भारत तुम्हें मेरा सलाम .
मैं सोचती हूँ कि हिंदी दिवस की शोशेबाजी से बच कर , हिंदी भाषा को जबर्दस्ती थोपने के बजाय जन सामान्य अर्थात् हम सभी मिलकर हिंदी की स्वीकीर्यता के प्रति ईमानदारी से प्रयास करें और हम दूसरी भाषाओं को सम्मान की दृष्टि से देखें ऒर सीख कर उनके उत्कृष्ट साहित्य को हिंदी भाषियों को उपलब्ध करवायें, तो वह दिन दूर नहीं जब हिंदी सर्वग्राह्य बन कर असलियत में राष्ट्र भाषा बन सकेगी .