Charumati Ramdas

Horror Crime

3  

Charumati Ramdas

Horror Crime

धनु कोष्ठक - २६

धनु कोष्ठक - २६

10 mins
186


लेखक: सिर्गेइ नोसव 

अनुवाद: आ. चारुमति रामदास 

17.22


 “वह कहता था, कि एक बिल्लोचन ने उससे कहा था कि वह 99 साल जिएगा.”  

 “मगर जिया सिर्फ 58.”

तब काल-भक्षक ने कहा:

 “ये मैंने उसके 41 साल खा लिए.”

आधे मिनट के लिए सब ख़ामोश रहते हैं. आख़िर में माइक्रोमैजिशियन एस्त्रोव उठता है.

 “मैं नहीं रह सकता इसके साथ...इसके साथ...एक ही छत के नीचे!”

उसके पीछे निगलू-जादूगर मैक्सिम नेगराज़्दक और अन्य दो माइक्रोमैजिशियन भी चले जाते हैं.

कपितोनव और काल-भक्षक अकेले रह जाते हैं.

कपितोनव सुनता है:

 “अपने आप को दोष मत दीजिए. मैं महसूस कर रहा हूँ, कि मैंने उसे, न कि आपने.”

 “सुनिए, आप यहाँ कैसे आए?”

 “ ‘तालाब’ के माध्यम से. वैसे ही जैसे आप भी आए हैं.”

 “हाँ, उसने बताया था.”

 “मुझे ‘पागल’ समझे जाने की आदत नहीं हुई है. मुझे पता है, वो सब कहते हैं : चार पागल! देखिए – ये रहे चार पागल! मगर चार कहाँ हैं? चलिए, मान लेते हैं, ईवेन्ट्स आर्किटेक्ट और महाशय नेक्रोमैन्सर, वे सचमुच में सामान्य नहीं हैं. मगर वे दो ही हुए. और वो? वो कहते हैं : ये रहे चार!”

 “माफ़ कीजिए, और चौथा कौन है?”

 “आप.”

 “मैं?”

 “क्या आपको नहीं मालूम, कि आपको चौथा पागल कहते हैं?”

17.30

 “हाँ, मेरा जी हमेशा मिचलाता है. पहले ऐसा नहीं था. मगर, क्या इसमें मेरा कोई दोष है, कि समय ही ऐसा है? ये भयानक है. समय ख़राब हो गया है. ये समय नहीं है. शैतान ही जानता है ये क्या है.”

17.35


 “सोएँ नहीं.”

 “क्या आपकी राय में, मैं सो रहा हूँ?”

 “मैंने ऐसा तो नहीं कहा.”

 “आपने ऐसा ही कहा: सोएँ नहीं.”

 “कपितोनव, क्या आपने ग़ौर किया कि मेरी उपस्थिति में आपका समय किसी और तरह से गुज़र रहा है?”

17.39

 “तुम्हें तो मार डालना भी कम है.” कोई कह रहा है.

 17.40

 

कपितोनव अन्दाज़ा लगाता है कि ये काल-भक्षक के लिए कहा गया है और कहने वाला नेक्रोमैन्सर है. 

 

17.45

 

काल-भक्षक ग़ायब हो गया, और महाशय नेक्रोमैन्सर कपितोनव की बगल में बैठ गया.

17.47                        

समय आगे-आगे चल रहा है.

इस लिहाज़ से सब ठीक है.

नीनेल फिर से आ गई.

 “आप यहाँ क्या कर रहे हैं,” वह नेक्रोमैन्सर से पूछती है.

17.54

 

महाशय नेक्रोमैन्सर:

“मैं सिर्फ दिवंगत और मृतकों के साथ ही काम करता हूँ, और वो भी रूसी बोलने वालों से, मगर लाशों के साथ कदापि नहीं.”

 “ये आप क्या बकवास कर रहे हैं?” नीनेल परेशान हो जाती है. “कैसे रूसी बोलने वाले? लाशें दिवंगतों और मृतकों से कैसे अलग हैं?”

 “सिर्फ रूसी भाषा में ही दिवंगत और मृतक – सजीव वस्तुएँ हैं, जबकि लाश – निर्जीव चीज़ है.”

 “क्या बकवास है!”

 “बिल्कुल बकवास नहीं है. पुल्लिंगी शब्द, जो स्वर से समाप्त होते हैं, कर्म कारक में अंत में ‘आ’ लगा लेते हैं (ये रूसी व्याकरण का नियम है – अनु.) , यदि वे सजीव हैं; और अंत में कुछ नहीं लगाते, यदि वे निर्जीव हैं... जैसे, बैल, छछूंदर, पायलेट. सजीव हैं. किसको देखता हूँ? बैल-को, छछूंदर-को, पायलेट-को. और ये देखिए: खंभा, कुकुरमुत्ता, छिद्रक. निर्जीव हैं. क्या देखता हूँ? खंभा, कुकुरमुत्ता, छिद्रक. अंत में कोई व्यंजन नहीं है.”

 “क्या आप देख नहीं रहे हैं, कि कपितोनव की तबियत आपके बगैर भी ख़राब है? ये सब किसलिए?”

 “ इसलिए. क्या देखता हूँ? लाश देखता हूँ. मगर ये नहीं कह सकते कि ‘लाश को देखता हूँ’. मतलब, निर्जीव. दूसरी ओर: किसको देखता हूँ? मृतक को, दिवंगत को देखता हूँ. मगर ऐसा नहीं कह सकते कि ‘मृतक देखता हूँ’, ‘दिवंगत देखता हूँ’. मतलब, सजीव वस्तुएँ हैं. समझ रही हैं? लाश – जैसे मेज़ और ईंट, निर्जीव चीज़ है. मगर दिवंगत और मृतक – जैसे बढ़ई और बाज़, सजीव वस्तुएँ हैं. दिवंगत और मृतक के साथ फिर भी काम किया जा सकता है.”

 “दिवंगत और मृतक में क्या फ़रक है?”

 “सूक्ष्म अंतर है. मगर ज़्यादा महत्वपूर्ण वो है, जो इन्हें एक श्रेणी में रखता है. सजीवता. हाँ, वे सब बेजान हैं – लाश भी, दिवंगत भी, मृतक भी; मगर इसके बावजूद दिवंगत और मृतक सजीव हैं. लाश – निर्जीव है. और, मुख्य बात ये है. निर्जीव को ज़िन्दा नहीं किया जा सकता, क्योंकि वो अपरिहार्य रूप से निर्जीव है. और बेजान को, यदि वह सजीव है, तो जीवित किया जा सकता है. लाश को – नहीं, और दिवंगत और मृतक को – संभव है.”

 “बकवास.”

”ध्यान दें, कि ये रूसी भाषा की प्रकृति के अनुरूप है, इसीलिए मैं विशिष्ट रूप से सिर्फ रूसी-भाषियों के साथ काम करता हूँ...सिर्फ इसीलिए, न कि राष्ट्रभक्ति की भावना से, कोई ऐसा भी सोच सकता है. और ये है महत्वपूर्ण बात : पुनर्जीवित, मतलब जो अब मृतक या दिवंगत नहीं है, उसे रूसी भाषा निश्चित रूप से भुला देती है और वह किसी और भाषा में चला जाता है. अगर वह रूसी-भाषी बना रहता है, तो उसे फिर से ज़िन्दा किया जा सकता है, यदि वो कभी फिर से मृतक या दिवंगत बन जाए तो, और ऐसा अनगिनत बार हो सकता है. मगर, अफ़सोस, कि ऐसा संभव नहीं है. दिवंगत को और मृतक को सिर्फ एक बार जीवित किया जा सकता है, और वह फिर कभी भी रूसी नहीं बोलेगा.”

 “बकवास, बकवास, बकवास.”

“ बहरहाल, मूखिन की प्रॉब्लेम को मैंने क़रीब-क़रीब हल कर लिया है.”

 “मूखिन – वो कौन है?” नीनेल चौंकन्नी हो गई.

 “ये वो है, जिसके सामने अब कोई प्रॉब्लेम नहीं है,” कपितोनव कहता है, जो अब तक बातचीत में हिस्सा नहीं ले रहा था.

 “बहस नहीं करूँगा,” महाशय नेक्रोमैन्सर कहता है. “मगर, ‘तालाब’ की प्रॉब्लेम भी इसी तरह से हल हो रही है.”

 “आप वाक़ई में बकवास कर रहे हैं,” कपितोनव मुँह फेर लेता है.

 “मैं और क्या कह रही हूँ!” नीनेल चहकी.

 “नहीं, दोस्तों, बकवास आप लोग कर रहे हैं, न कि मैं. और आप, कपितोनव , औरों से ज़्यादा.”

18.09

आँखें अपने आप बन्द हो रही हैं, और नज़र आ रहा है मूखिन, जैसा कि, शायद, उसे अठारह मंज़िल की बिल्डिंग की समतल छत पर पाया गया था. हिंसक मृत्यु के कोई चिह्न नहीं हैं. उसके बदन पर नया सूट है, जिसके अस्तित्व के बारे में मरीना को पता नहीं था. कपितोनव को दिखाई देता है, कि मूखिन पीठ के बल पड़ा है और हाथ फ़ैलाए हुए है.

 ‘बोलेरो’ गरज रहा था.

 “पापा, नमस्ते. सब ठीक तो है? अच्छी तरह एडजस्ट हो गए?”

 “हाँ, सब बढ़िया है. कुछ कहना चाहती हो?”

 “पहली बात, तुम चाभियाँ छोड़ गए.”

 “उम्मीद है, कि मुझे कोई-तो फ्लैट में आने देगा...”

 “अफ़कोर्स, कोई तो. मगर तुमने चाभियाँ बाहर से ताले में छोड़ दीं. मैं अन्दर से दरवाज़ा ही नहीं खोल पाई. पड़ोसियों की मेहेरबानी से...”

उसे बड़ा सदमा लगा. वह कहता है:

 “ग़लती हो गई.”

फ़ोन कट गया.


18.17

 

 “इन्वेस्टिगेशन टीम” – ‘तालाब’ के मृत शरीर वाले कमरे की ओर जाते हुए लोगों को देखकर माइक्रोमैजिशियन एस्त्रोव कहता है. “मतलब, ये कोई हल्की-फ़ुल्की बात नहीं है.”

 “काँव-काँव मत करो,” नीनेल कहती है. “इसका कोई मतलब नहीं है.”

 “आप ऐसा सोचती हैं? कल काल्पनिक बॉम्ब, आज वास्तविक मौत.”

18.20

 

 “ध्यान दीजिए, कपितोनव, अब आपसे सवाल पूछे जाएँगे... ध्यान रहे...” नीनेल अपनी बात पूरी नहीं कर पाई – वो आ भी गया :

 “क्या आप प्रत्यक्षदर्शी हैं?”

 “हाँ, मैं गवाह हूँ.”

 “फ़िलहाल प्रत्यक्षदर्शी.”

 “क्या कोई फ़रक है?” न जाने क्यों कपितोनव पूछता है.

 “बहुत बड़ा.”

 “और आप?” नीनेल बीच में कूदती है. “क्या आप इन्वेस्टिगेटर हैं?”

 “ऑपरेशन्स ऑफ़िसर.”

 “माफ़ कीजिए, समझ नहीं पाई.”

 “ऑपर...” ऑपरेशन्स ऑफ़िसर ने कहा.

 “और इन्वेस्टिगेटर कहाँ है? इन्वेस्टिगेटर को होना चाहिए. मुझे इन्वेस्टिगेटर दिखाइए.”

 “मैं इन्वेस्टिगेटर के बदले आया हूँ.”

 “आह, ये बात है, पूरा ग्रुप नहीं आया! चलिए, हाँ, आज तो इतवार है.”

 “ये हम ख़ुद ही सुलझा लेंगे.”

 “हाँ, बेशक, मैं तो भूल ही गई थी कि इतवार के दिन मरने की सिफ़ारिश नहीं की जाती है.”

 “कौन नहीं करता है सिफ़ारिश? किसीने ऐसी सिफ़ारिश नहीं की है!”

 “और, क्या ये सही है, कि इन्वेस्टिगेटर के अभाव में ऑपरेशन्स ऑफ़िसर क्रिमिनल केस शुरू करे?”

 “माफ़ कीजिए, मैं क्रिमिनल केस शुरू नहीं कर रहा हूँ. और क्रिमिनल केस शुरू मैं नहीं करता.”

 “ख़ैर पूछिए...”

 “मैं पूछ नहीं रहा हूँ, मगर आप मुझे बहुत डिस्टर्ब कर रही हैं.”

 “अपना काम जारी रखें. मगर मैं उसके साथ रहूँगी. कपितोनव, मैं यहाँ हूँ!”

 “क्या आप एडवोकेट हैं?”

 “मैं ट्रिक्स-डाइरेक्टर हूँ!”

 “नीनेल,” कपितोनव कहता है, “प्लीज़, मैं ख़ुद ही संभाल लूँगा.”

 “ठीक है. बस इतना याद रखिए, कि मैंने क्या कहा था.”

वह दूर जाती है.

18.25

 

छोटे कमरे में.

“मैं यहाँ खड़ा था, वो – यहाँ. पार्टीशन के पीछे. मैं उसे नहीं देख रहा था, और हमने तय किया था कि वह चुप रहेगा. उसने संख्या सोची. मैंने उससे कहा...कुछ करने के लिए. फिर मैंने कहा: 99. वह गिरने लगा, पार्टीशन मुझ पर गिरा दिया, और ख़ुद मर गया.

 “कुछ करने के लिए – मतलब, क्या करने के लिए?”

 “पाँच जोड़ने के लिए, तीन घटाने के लिए...सही सही संख्याएँ तो याद नहीं हैं. भूल गया.”

 “क्या ये जादू है?”

 “पता नहीं. शायद, जादू है. यहाँ सभी जादूगर हैं.”

 “सब के बारे में जानना ज़रूरी नहीं है. अभी हम आपके बारे में और उसके बारे में बात कर रहे हैं. ठीक है, मोटे तौर पर समझ में आ गया है.”

18.29

 

वह काफ़ी देर तक किसी से फ़ोन पर बात करता रहा.


18.35

 

 “जहाँ तक इन्वेस्टिगेटर का सवाल है... मैं लिखकर देता हूँ कि क्या नाम है” ऑपरेशन्स ऑफ़िसर फ़ाइल से ’नोट-पैड’ निकालता है. “आपको कल आना पड़ेगा.”

 “कल मेरी फ़्लाईट है...क़रीब दो बजे के कुछ बाद.”

ऑपरेशन्स ऑफिसर ने ऊपर के कागज़ पर नाम और पता लिखा. पैड में से वह कागज़ फ़ाड़ता है.

 “तो, ग्यारह बजे आइए,” नीनेल पर नज़र डालते हुए कागज़ कपितोनव को देता है.

 “क्या ये नोटिस के बदले है? ध्यान रखें, कपितोनव , आपके लिए वहाँ जाना ज़रूरी नहीं है!”

 “एक अच्छी सलाह देता हूँ. आ जाइए, इन्वेस्टिगेटर चिर्नोव आपका इंतज़ार करेंगे, मैंने अभी अभी उनसे बात की है. ये आपके लिए बेहतर होगा.

 कपितोनव पूछता है:

 “सम्मन पे?”

 “आप क्या सम्मन लगवाना चाहते हैं?”

 “नहीं, सम्मन लगाएँगे, तो नहीं आऊँगा,” कपितोनव दृढ़ता से जवाब देता है.

 “ठीक है, आप सिर्फ यूँ ही आइए.”

18.40

 

ऑपरेशन्स ऑफ़िसर के जाने से कॉन्फ्रेन्स में जान आ गई. ‘तालाब’ की लाश अभी कमरे में ही पड़ी है, और उसके लिए मुर्दाघर से कर्मचारी आने वाले हैं, और डेलिगेट्स, बिना कुछ कहे हॉल में अपनी-अपनी कुर्सियों पर बैठने लगते हैं. कपितोनव इसमें से कुछ भी नहीं देखता. वह, जैसे बैठा था, वैसे ही बैठा है. वह गौर करता है, जब उससे उठने के लिए कहा जा रहा है.

अध्यक्ष ‘तालाब’ के सम्मान में एक मिनट का मौन रखने का प्रस्ताव रखता है.

सब खड़े हो जाते हैं, और एक मिनट मौन रहकर ‘तालाब’ को श्रद्धांजली देते हैं.

 “कृपया बैठ जाइए,” अध्यक्ष कहता है.

सारे लोग बैठ भी नहीं पाए थे, कि माइक्रोफोन के पास महाशय नेक्रोमैन्सर आता है.

 “कुछ लोग मेरी प्रोफेशनल योग्यता पर ऊँगली उठाते हैं. तो, मैं तैयार हूँ. मैं इसी समय सिद्ध करने के लिए तैयार हूँ...”

 “बैठ जाइए, प्लीज़, मैंने आपको बोलने के लिए नहीं कहा है...”

“दोस्तों, मैं आपके दिल और दिमाग़ से कह रहा हूँ, मौत – ये हमेशा एक अप्रत्याशित घटना होती है, और उसके लिए कोई नियम नहीं होता...”

 “बैठ जाइए!...बस हो गया!... अपनी जगह पे!” हॉल से आवाज़ें आती हैं.

 “तब, एक ऐतिहासिक भूल-सुधार!” चिल्लाहट को, तालियों को, हूटिंग को दबाते हुए महाशय नेक्रोमैन्सर आवाज़ ऊँची करता है. “छठी विश्व-परिषद में...मेरे पूर्ववर्तियों में से एक को... इजाज़त दी गई थी...एक मृत व्यक्ति को पुनर्जीवित करने की...ये पुनर्जीवन की प्रक्रिया कितनी यशस्वी रही, मैं मानता हूँ, कि इस बारे में कोई प्रमाण नहीं हैं...कुछ स्रोतों के अनुसार, प्रयोग यशस्वी नहीं हुआ...मगर महत्वपूर्ण बात कुछ और है...छठी विश्व-परिषद ने...जो अपने नियमों की कठोरता के लिए जानी जाती है... पुनर्जीवन की प्रक्रिया को इजाज़त देने को संभव समझा....जबकि हम...”

हॉल में भयानक हो-हल्ला होने लगता है, ऊपर से कई जादूगर ख़तरनाक इरादों के साथ नेक्रोमैन्सर के पास दौड़ते हैं – एक ने माइक्रोफ़ोन का स्टैण्ड पकड़ लिया और उसे वक्ता के हाथों से खींचने लगा, दूसरे दो जादूगर नेक्रोमैन्सर को हाथों से रोकने की कोशिश करते हैं, एक और जादूगर तो स्वयँ को बचाने की कोशिश कर रहे नेक्रोमैन्सर की गर्दन पकड़ कर उसकी पीठ से लटक गया. नेक्रोमैन्सर के हाथ से माइक्रोफ़ोन छूट गया, मगर कुछ देर तक तो वह अपने ऊपर टूट पड़ने वाले जादूगरों का मुक़ाबला करता रहा. मगर असमान ताक़त के चलते, और हॉल में उसके प्रति कोई समर्थन न होने के कारण, और, हालाँकि, वह दमनकारियों से स्वयम् को मुक्त करने में सफ़ल हो जाता है, मगर अपने भाषण को जारी रखने का उसका इरादा नहीं है – वह ग़रूर के साथ स्टेज से उतरता है और हॉल में अपनी कुर्सी की ओर जाता है.  

 “साथियों, मैं समझ रहा हूँ कि हमारी मानसिक परेशानी चरम सीमा तक पहुँच चुकी है, मगर आइए, हम सब गिल्ड के बोर्ड के चुनावों पर अपने वोट देकर उनका अनुमोदन करें. हमारे पास समय बेहद कम है! मैं ऑडिट कमिटी के प्रेसिडेंट से दरख़्वास्त करता हूँ कि वोटिंग के परिणामों का निष्कर्ष बताएँ.

 “नतीजे बड़े दिलचस्प रहे,” ऑडिट कमिटी का प्रेसिडेण्ट रिपोर्ट पेश करता है, “ कई पहलुओं से असाधारण. मुझे डर है, कि आप मुझ पर विश्वास नहीं करेंगे, मगर आँकडों के लिहाज़ से निष्कर्ष इस प्रकार है: तेरह उम्मीदवारों में से सात को एक समान वोट मिले हैं, हरेक को ठीक 51 (उसने नाम गिनाए).

हॉल में परेशानी की लहर दौड़ गई.

“ऐसा थोड़े ही होता है!”

 “मेन्टलिस्ट कपितोनव को दो वोट मिले हैं. और अन्य पाँच उम्मीदवारों को एक-एक वोट मिला है.” 


 “जादू, जादू!” हॉल में लोग चिल्लाते हैं. 



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