Charumati Ramdas

Horror Crime

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Charumati Ramdas

Horror Crime

धनु कोष्ठक - २४

धनु कोष्ठक - २४

12 mins
137


लेखक: सिर्गेइ नोसव 

अनुवाद: आ. चारुमति रामदास 

15.05

 

खाना खाने के बाद कपितोनव शो-केस की तरफ़ आता है. मुरब्बे से भरे डिब्बे रखे हैं – रास्पबेरी, स्ट्राबेरी, ब्लूबेरी के. क्या आन्का के लिए खरीदूँ – पीटर से गिफ्ट? याद आया उसका झाँइयों भरा, ब्लूबेरी के धब्बे पड़ा चेहरा, जब वे तीनों जंगल में बेरीज़ चुन रहे थे – तब नीन्का का मुँह भी बैंगनी हो गया था, और शाम को, जब वे बरामदे में बैठकर बाऊल में से खा रहे थे, तो नीन्का के होंठ और भी गहरे काले हो गए थे, जैसे ख़ूबसूरत डायन के होते हैं, और, आन्का को सुलाने के बाद भी उसने उन्हें धोया नहीं था...मगर, कपितोनव अपने आप से कहता है, ये डिब्बा ब्रीफ़केस में नहीं समाएगा, फ़िलहाल इसे कहीं रखने की जगह भी नहीं है. ख़रीदना चाहिए, मगर बाद में.

किनीकिन उसके पास आता है:

 “वो इंतज़ार कर रहा है.”


15.07

 “और आप इतने परेशान हो रहे थे. चलिए.”

ये बड़ी बेपरवाही से कहा गया था. अपने समूचे हाव-भाव से किनीकिन कपितोनव को यह जता देना चाहता है कि ब्रीफ़केसों की अदला बदली उसके मुक़ाबले कपितोनव के लिए ज़्यादा ज़रूरी है, और इस बात से कपितोनव सहमत होने के लिए तैयार है – वह समझ नहीं पा रहा है कि इस हेरा फ़ेरी वाले- उचक्के जादूगर को कैबेज के कटलेट्स में क्या ख़ास बात नज़र आई है.

बर्फ़ के ढेरों से बचते हुए वे रास्ता पार करते हैं, भूतपूर्व दीवालिया लोगों की सहायता करने वाली सोसाइटी की बिल्डिंग में जाते हैं. चलते हुए “सी-9” के कॉरीडोर में आते हैं.

 “नहीं, बेशक, मैं समझता हूँ,” किनीकिन के पीछे-पीछे चलते हुए कपितोनव कहता है, “बिल्लियाँ खाना चाहती हैं, आप बिल्लियों से प्यार करते हैं...मगर आप इन कटलेट्स के पीछे इतने बदहवास क्यों हो रहे हैं? हो सकता है, आपने उन पर कुछ कर दिया हो? हो सकता है, वो ज़हरीले हों?”

 “मैं आपको सुन नहीं पा रहा हूँ,” किनीकिन बिना मुड़े कहता है.

 “सच? और, मैं ये कह रहा हूँ कि पैसा कमाने के सैंकड़ों बेहतर तरीके हैं...आप जैसी योग्यता के चलते...जैसे लंच में मछली दी गई थी...इन कटलेट्स में ऐसी क्या बात है?”

 “मुझे डर है, कि आप नहीं समझ पाएँगे,” अपनी चाल धीमी करते हुए किनीकिन जवाब देता है, “हरेक का अपना अपना एजेंडा होता है. मेरा – कटलेट्स हैं. और मैं इसे किसी फ़ूहड़ ग़लतफ़हमी की वजह से बदलना नहीं चाहता. बहुत सारी चीज़ों पर ध्यान केन्द्रित नहीं करना चाहिए, बिल्कुल नहीं.”

 ‘वाक़ई मैं, मुझे क्या फ़रक पड़ता है’ - बेकार की उत्सुकता के लिए अपने आप को उलाहना देते हुए कपितोनव सोचता है. और वाक़ई में, इस बात से उसे क्या फ़रक पड़ता है, कि अपने कार्यकलापों के लिए किनीकिन को कहाँ से प्रेरणा मिलती है. और किनीकिन के दिमाग़ में एक नया विचार आता है – अचानक वह रुक जाता है और एकटक कपितोनव की ओर देखता है.

 “मुझे ऐसा लगता है कि आप मुझे कोई छोटा-मोटा बदमाश, चोर समझ रहे हैं. आप समझ रहे हैं, कि आप मुझसे क्या कह रहे हैं? क्या आप समझते हैं कि बुफ़े और ‘ला कार्ते’ में क्या फ़रक होता है? उस समय बुफ़े चल रहा था. हर कोई, जिसके कटलेट्स ग़ायब हो गए थे, दुबारा जाकर वैसा ही एक या ज़्यादा भी, कटलेट्स ले सकता था. ताज्जुब की बात है, और अगर अभी आपकी प्लेट से मछली ग़ायब हो जाती, तो क्या – दुबारा देने की मांग करते, हाँ? अगर मैं वैसा करता, जैसा आप कह रहे हैं, तो मैं आपका खाना ही ग़ायब कर देता. मगर, मैं चोर नहीं हूँ. बेहतर है, आप ये बात समझ लें.”

 “मगर,” मगर इस ‘मगर’ के आगे क्या कहे, कपितोनव नहीं जानता.

 “मेरे पीछे-पीछे आइए,” किनीकिन कहता है.

नेक्रोमैन्सर कॉरीडोर में खड़ा है और दीवार पर लगे मंगोलियन चित्र देख रहा है. उसके हाथ पीठ के पीछे हैं, और दोनों हाथों से उसने हैण्डिल से ब्रीफ़केस पकड़ रखी है.

 “तो,” किनीकिन कहता है, “नेक्रोमैन्सर महाशय, कृपया प्रेमपूर्वक मेहेरबानी करें.”

 “अच्छी एक्ज़िबीशन है,” नेक्रोमैन्सर कपितोनव से कहता है. “गोबी का रेगिस्तान, स्तेपी, तालाब. कहते हैं कि उनके यहाँ भेड़ों की संख्या वहाँ के निवासियों की संख्या से दस गुना ज़्यादा है. क्या आप मंगोलिया गए हैं?”

कपितोनव ने संक्षेप में उत्तर देने का फ़ैसला किया:

 “नहीं.”

 “मैं भी,” किनीकिन ने जवाब दिया, हालाँकि उससे किसीने पूछा नहीं था. “क्या आपने खाना नहीं खाया?”

 “मैंने किसी के घर में खा लिया,” नेक्रोमैन्सर महाशय ने लापरवाही से कह दिया.

 “चलिए, तब बदल लेते हैं. आपके पास कपितोनव महाशय की ब्रीफ़केस है, मेरे पास – आपकी, और कपितोनव महाशय के पास – मेरी. हर कोई खिड़की की सिल पर ब्रीफ़केस रखेगा, और हर कोई अपनी अपनी ले लेगा.”

रख दीं – ले लीं.

किनीकिन फ़ौरन अपनी ब्रीफ़केस लपक लेता है, खोलता है और, कटलेट्स को देखकर, राहत की सांस लेता है:

 “सब ठीक है, मैं चला.”

कपितोनव किनीकिन के दूर जाने का इंतज़ार करता है, और तब अपनी ब्रीफ़केस खोलता है.

 “मैंने ऐसा ही सोचा था!” कपितोनव चहका. “और, मेरी नोटबुक कहाँ है?”

 “वो आपकी नोटबुक नहीं है,” नेक्रोमैन्सर महाशय जवाब देते हैं. “ये मरीना वालेरेव्ना मूखिना की प्रॉपर्टी है.”

 “आपको कैसे मालूम?”

 “उसमें उसका विज़िटिंग कार्ड पड़ा था. स्वाभाविक है, कि मैंने वो नोटबुक उसे लौटा दी, मरीना वालेरेव्ना को फ़ोन करके, उससे मीटिंग फ़िक्स करके. आपको ये मालूम है.”

 “आपको कैसे पता कि मुझे मालूम है?”

 “आपको मरीना वालेरेव्ना का मैसेज आया था. उसने आपको सूचित किया था कि नोटबुक उसके पास है, और ये भी लिखा कि किसने उसे दी थी.”

 “इन्नोकेन्ती पित्रोविच.”

 “हाँ, उसके लिए,” नेक्रोमैन्सर कहता है, “मैं इन्नोकेन्ती पित्रोविच हूँ. साथियों के बीच मुझे मेरे विशिष्ठ नाम से बुलाया जाता है – नेक्रोमैन्सर महाशय. दुनिया के लिए मैं – इन्नोकेन्ती पित्रोविच हूँ.”

सब ठीक है, वह सही कह रहा है: कपितोनव तभी, लंच से पहले ही समझ गया था, कि इन्नोकेन्ती पित्रोविच – ये नेक्रोमैन्सर महाशय ही है.

मगर.

 “रुकिए. आपको कैसे मालूम कि मुझे मैसेज मिला है?”

 “मरीना वालेरेव्ना ने मेरे सामने ही लिखा था. और, कुछ हद तक मेरी ही सलाह पे.”

 “आपने उसे सलाह दी – मुझे मैसेज भेजने की?! आपने – उसे?!”

 “वह आपको तसल्ली देना चाहती थी. उसे मालूम था, कि नोटबुक की वजह से आप परेशान हो जाएँगे और आप अंदाज़ भी नहीं लगा पाएँगे कि नोटबुक वापस लौटा दी गई है. आपको तो मालूम ही है कि नोटबुक के लिए वह कॉन्फ्रेन्स में आने की तैयारी कर रही थी – आपके पास, यहाँ, मगर परिस्थितियाँ बदल गईं. मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि आप क्यों उत्तेजित हो रहे हैं. सब कुछ ठीक ठाक हो गया है. हम कुछ देर बैठे, बातें कीं. उसका किचन बड़ा आरामदेह है. वह, बाइ द वे, मेरे द्वारा आपको नींद वाली दवाई लौटाना चाहती थी, जो आप उसके यहाँ भूल आए थे. मगर मैं सैद्धांतिक रूप से वालोकोर्दीन के ख़िलाफ़ हूँ. माफ़ कीजिए, मैंने नहीं ली.”

 “ये सब, न जाने क्यों मेरे दिमाग़ में नहीं बैठ रहा है...सुनिए. मगर ये मेरी ब्रीफ़केस है, नोटबुक मेरी ब्रीफ़केस में पड़ी थी!...ये मेरा मामला है, न कि आपका, कि उसके अन्दर रखी हुई चीज़ों का क्या किया जाए!...नोटबुक मुझे लौटानी चाहिए थी, न कि आपको.”

 “अफ़सोस की बात है कि ब्रीफ़केस पे ये नहीं लिखा था कि वो किसकी है. मगर विज़िटिंग कार्ड ने मुझे सही निर्णय लेने में मदद की : मैं उस पते पर गया. मरीना वालेरेव्ना और कन्स्तान्तिन अन्द्रेयेविच बड़े भाग्यवान हैं, कि नोटबुक मेरे हाथों में पड़ी.”

 “कन्स्तान्तिन अन्द्रेयेविच इस दुनिया में नहीं है.”

 “मुझे मालूम है.”

 “तो फिर ये मत कहिए कि वो भाग्यवान है. मैंने नोटबुक की मालकिन से वादा किया था, कि मेरे अलावा कोई और इन नोट्स को नहीं देखेगा. और आप, स्वीकार करते हैं कि आपने नोटबुक में झाँका है, हाँ?”

 “झाँका है? मैंने पूरा पढ़ भी लिया है – शुरू से आख़िर तक. फ़ौरन – जैसे ही नोटबुक को खोला. इसीने मुझे फ़ौरन हरकत में आने की प्रेरणा दी.”

 “आपने बिना इजाज़त ग़ैरों के नोट्स पढ़ लिए.”

 “मरीना वालेरेव्ना ने न सिर्फ मुझे माफ़ किया, बल्कि बड़ी दिलचस्पी से उसके बारे में मेरी राय भी सुनी. पहले तो वह सतर्कता से पेश आ रही थी, मगर, जब समझ गई कि किससे पाला पड़ा है, तो उसने काफ़ी सारी बातें मुझे बताईं. उसे बहुत सारे सवाल पूछने थे.”

 “ऐसा कैसे?... और आपने सारे सवालों के जवाब दिए?”

 “कई सवालों के जवाब न जानना ही उसके लिए बेहतर है. ऐसे सवालों के, स्वाभाविक है, मैंने जवाब नहीं दिए.”

 “हाँ, बेशक...और भी...” कपितोनव अपने आप से बुदबुदाता है, ये देखकर, कि नेक्रोमैन्सर को अपनी ब्रीफ़केस खोलने की कोई जल्दी नहीं है.

“और फिर,” नेक्रोमैन्सर महाशय, वही इन्नोकेन्ती पित्रोविच है, कहते हैं, “चलिए, ईमानदारी से बात करें. “इस सवाल के संदर्भ में आपको मरीना वालेरेव्ना से कुछ नहीं कहना था. और मुझे कुछ कहना था.”

 “क्या इस बात में आपको यक़ीन है?”

 “पूरा-पूरा.”

 “और पति?”

“क्या पति?” नेक्रोमैन्सन ने प्रतिप्रश्न किया.    

“क्या आपकी मुलाक़ात के दौरान वह उपस्थित था?”

 “सौभाग्य से, पति घर पे नहीं था. वर्ना बातचीत नहीं हो पाती. उसे तो नोटबुक के बारे में कुछ भी मालूम नहीं है.”

 “आपको ये जानकारी भी है...तो, ये ‘डेवलपर’ कौन है?”

 “संशोधक,” नेक्रोमैन्सर महाशय ग़लती सुधारता है. “आपको इस बारे में सोचने की क्या ज़रूरत है? आप संख्याएँ बूझते रहिए. और उस मामले से आप को दूर रहना चाहिए. मैं ख़ुद ही सुलझा लूँगा. बेहतर है कि आप सोने की कोशिश करें, आपको सोना चाहिए. बिना टैब्लेट्स और वालोकार्दीन के.”

 “पता है, मुझे लगता है, कि आप अपने ऊपर बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी ले रहे हैं!”

 “ओह, हाँ,” नेक्रोमैन्सर सहमति दिखाता है. “मैं वाक़ई में अपने ऊपर बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी ले रहा हूँ.”

 

कपितोनव ब्रीफ़केस बन्द करने ही वाला था, मगर तभी उसे लगा कि किसी चीज़ की कमी है. डेलिगेट्स के नामों वाला ब्रोशूर, नोटपैड, पेन्स, पीटरबुर्ग के स्मारकों की रहस्यमय ज़िन्दगी के बारे में किताब-सुवेनीर – ये सब तो था, मगर जादुई-छड़ी नहीं थी. इस ‘जादुई-छड़ी की उसे ज़रा भी ज़रूरत नहीं थी, मगर नेक्रोमैन्सर इन्नोकेन्ती पित्रोविच ने उसके भीतर इतनी घृणा भर दी थी, कि जब मौका मिला है, तो उसे प्रकट न करना पाप होता.

 “मेरे हिसाब से इसमें एक और चीज़ थी,” प्रतिशोध वाली मुस्कान के साथ कपितोनव कहता है.

 “आह, हाँ,” थोड़ी देर सोचने के बाद नेक्रोमैन्सर को याद आता है. “उसे मैंने ले लिया. माफ़ी चाहता हूँ.”

वह कोट के अन्दर की जेब से एक चमड़े का ‘केस’ निकालता है, ऐसा जैसे तालों की चाभियों के लिए होता है, मगर उसमें न तो चाभियाँ थीं, न ही कैंची, अगर, मिसाल के तौर पर वह चाकुओं का ‘केस’ होता, बल्कि उसमें से दो छड़ियाँ बाहर निकल रही थीं. कपितोनव की ओर बढ़ाता है, और जब कपितोनव पहली छड़ी की ओर हाथ बढ़ाता है, तो उसे सुधारता है:

 “ये मेरी है. आपकी दूसरी है.”

कपितोनव जो अपनी नहीं है, वह छड़ी लौटाता है और अपनी, दूसरी वाली, एकदम वैसी ही छड़ी ले लेता है. छड़ियों में ज़रा भी फ़र्क नहीं है. उसे अफ़सोस हुआ कि उसने क्यों ये खेल शुरू किया – अपने आप को बेवकूफ़ महसूस करना ख़ुशी नहीं देता.

15.21

 

इंटरवल ख़त्म हुआ. हॉल में लोग कुर्सियों पर बैठने लगे हैं. कपितोनव भी एक ख़ाली कुर्सी की ओर बढ ही रहा था कि ‘तालाब’ ने उसे रोक दिया:

 “आपने कल पार्टीशन के साथ अपना कार्यक्रम दिखाने का वादा किया था. चलिए, हो जाएगा. अभी पाँच मिनट हैं.”

’तालाब’ के साथ हॉल के अंत तक जाना ही पड़ता है. एक दरवाज़ा प्रकाश-व्यवस्था वाले कमरे की तरफ़ जाता था, और दूसरा उस कमरे में जहाँ माइक्रोफ़ोन्स, फ़ालतू की कुर्सियाँ और हर तरह का कबाड़ पड़ा था, - दरवाज़ा खोलकर ‘तालाब’ कपितोनव को यहीं लाता है.

 “आप कुछ नाराज़ लग रहे हैं. क्या आपको ख़ुश करूँ? तो सुनिए. जैसा कि आप चाहते थे, बोर्ड के लिए आपका चुनाव नहीं हुआ है. अभी अभी रिज़ल्ट्स सुनकर आया हूँ. मगर, ये सीक्रेट है. ख़ैर, अभी घोषणा हो ही जाएगी.”

 “वाक़ई में, ये ख़ुश-ख़बर है,” कपितोनव सहमति दर्शाता है.   

 दीवार से कुछ दूर, दो टांगों, और क्रॉस के आधार पर प्लायवुड की एक फ्रेम खड़ी है – उस पर नये साल के क्रिसमस ट्री का इश्तेहार चिपका है: सांता क्लाज़, बायाँ हाथ छड़ी पर टिकाए और दायाँ हाथ लेनिन की स्टाइल में फ़ैलाए खड़ा है. फ़रवरी के आरंभ में ये अटपटा लगता है.

 “ये पार्टीशन तो नहीं है, मगर चलेगा,” ‘तालाब’ कहता है और उस फ्रेम की टांग उठाता है.

कपितोनव दूसरी टांग उठाता है.

 “आपके पक्ष में सिर्फ दो वोट थे. एक मेरा था.”

दोनों मिलकर पार्टीशन सरकाते हैं.

 “मगर, आपको, उम्मीद है कि चुन लिया गया है?”

 “बेशक. प्लीज़ इजाज़त दीजिए, मैं ये नहीं बताऊँगा कि मेरे पक्ष में कितने वोट पड़े. जल्दी ही पता चल जाएगा. आप यहाँ खड़े हो जाइए, और मैं वहाँ रहूँगा – ‘तालाब’ निर्देश देता है और पार्टीशन के पीछे कपितोनव से छुप जाता है.

 “मैं अभी भी नहीं समझ पा रहा हूँ कि मेरा नाम क्यों देना था,” कपितोनव कहता है.

 “हमने सब ठीक ही किया था. और आपने हमारी मदद इस तरह से की, कि अपनी उम्मीदवारी का विरोध नहीं किया. समझाने में लम्बा समय लगेगा. मगर आपको – धन्यवाद.”

 दरवाज़ा थोड़ा सा खोलकर हॉल से कोई भीतर झाँका.


 “प्लीज़ डिस्टर्ब न करें! हमारे बीच मर्दों वाली बातचीत हो रही है!” पार्टीशन के पीछे से ‘तालाब’ चिल्लाता है, और पलक झपकते ही दरवाज़ा बन्द हो जाता है.

 “आप तैयार हैं?” कपितोनव पूछता है.

 “मैं हमेशा तैयार रहता हूँ. मुझे क्या करना है. और क्या आप तैयार हैं? ध्यान केन्द्रित करेंगे?”

 “नहीं करूँगा.”

कपितोनव गहरी साँस लेता है.

 “दो अंकों वाली संख्या सोचिए,” हमेशा की तरह कपितोनव कहता है.

 “सोच ली.”

 “उसमें 13 जोड़िए.”

 “जोड़ दिए.”

 “11 निकाल दीजिए.”

 “निकाल दिए.”

 “आपने 21 सोचा था.”

 “ब्लैक जैक.” (ताश का एक खेल – अनु.)

 “क्या ब्लैक जैक?”

 “फिर से ताश.”

 “ आप समझ रहे हैं कि मेरे पास सुपर-इन्ट्यूशन है.”

 “ठीक है. सोच ली.”

 “उसमें 8 जोड़िए.”

 “और अगर न जोडूँ तो?”

 “आप जोड़िए भी!”

 “ठीक है, जोड़ दिए.”

 “4 निकाल दीजिए.”

 “यही तो, किसलिए, किसलिए? ठीक है, निकाल दिए.”

 “73”

’तालाब’ आधा मिनट चुप रहता है, फिर निर्णयपूर्वक घोषणा करता है:

 “सब साफ़ है. आप चेहरा नहीं देखते, मगर आवाज़ सुनते हैं. ये, आवाज़ से. फिर से, मगर इस बार मैं चुप रहूँगा.

 “संख्या सोचिए,” कपितोनव कहता है, “दो अंकों वाली.”

’तालाब’ जवाब नहीं देता. तब कपितोनव कहता है:

 “उसमें पांच जोड़िए.”

’तालाब’ चुप रहता है.

 “तीन निकाल दीजिए,” कपितोनव कहता है.

उसे जवाब नहीं मिलता.

 “आपने सोची थी 99.”

उस तरफ़ से पार्टीशन पर ज़ोर की मार पड़ी. ये ‘तालाब’ नीचे गिर रहा है. कमज़ोर आधार के कारण एक कोने से कपितोनव के चेहरे को छूते हुए, पार्टीशन उछलता है.

पार्टीशन के साथ साथ तालाब भी धम् से फ़र्श पर गिरता है.

कपितोनव उसकी तरफ़ लपकता है, और डर के मारे जम जाता है. ‘तालाब’ पीठ के बल गिरा है. उसका चेहरा विकृत हो रहा है. उसकी आँखें खुली हैं. वह अभी तक सांस ले रहा है (या कपितोनव को ऐसा लगता है कि वह अभी तक सांस ले रहा है).

 “एम्बुलेन्स! एम्बुलेन्स!” कपितोनव चिल्लाता है, और हाथ के तेज़ झटके से जेब से निकला हुआ मोबाइल छत की ओर उछलता है.          

 दरवाज़ा धड़ाम से खुलता है, और कोई व्यक्ति फ़र्श से मोबाइल उठाते हुए कपितोनव से टकराता है. दो और जादूगर भागते हुए कमरे में आते हैं.

और, कपितोनव के हाथों से मोबाइल फिर से मेंढक के समान उछलता है.

 “उसने संख्या सोची थी...99...मैंने नहीं सोचा था...मैं नहीं चाहता था...कोई एम्बुलेन्स बुलाइए.”

उसे बुला लिया गया था.

आवाज़ें सुनाई देती हैं:

 “उसने उसके साथ क्या कर दिया?”

 “आपने उसके साथ क्या कर दिया?”

 “वो तो मर चुका है!”

 “क्या कोई हार्ट की मसाज कर सकता है?”

 “नेक्रोमैन्सर को बुलाइए!”

 “वो नेक्रोमैन्सर (ओझा) है, न कि जीवनरक्षक!”

 “देखिए, यहाँ खून है!”

खून कपितोनव के चेहरे पर है – पार्टीशन के कोने से उसकी ठोढ़ी पे खरोंच आ गई थी.


अंधेरा हो गया, कोहरा घना हो गया, धुंध छा गई, हर चीज़ तैरती सी लगने लगी, गहराने लगी – ये सब उसकी आँखों में था, वह एक के भीतर एक रखे गिलासों की तरह रखी गईं प्लास्टिक की कुर्सियों के टॉवर का सहारा लिए खड़ा है. ‘तालाब’ की खुली हुई आँखों के बारे में सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है : आँखों की पुतलियाँ स्थिर हैं.

कमरे में लोगों की भीड़ बढ़ने लगी. सबको यही परेशानी है कि कपितोनव कैसे बर्ताव कर रहा है, ‘तालाब’ कैसे पड़ा है.

विचार-विमर्श करते हैं :

 “क्या लड़ाई हुई थी?”

 “ ‘तालाब’ ने कहा था कि उनके बीच मर्दों वाली बातचीत होने वाली है!”

ज्युपितेर्स्की ने सबको बाहर निकालने की ज़िम्मेदारी ले ली.

प्रबंधक आता है, वह दुहराता है : “ये भयानक है! ये भयानक है!”

इस बात को सब लोग जान गए हैं कि ‘तालाब’ ने 99 संख्या सोची थी.   



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