धनु कोष्ठक - २२
धनु कोष्ठक - २२
लेखक: सिर्गेइ नोसव
अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
12.12
मगर कपितोनव सोचता रहा. हॉल में अपनी पुरानी जगह पर बैठे हुए, वह इस बारे में नहीं सोच रहा है कि वक्ता क्या कह रहा है, वह अपनी ही किसी बात के बारे में सोच रहा है, जिसके बारे में दूसरे नहीं सोच रहे हैं. अध्यक्ष के सिर के ऊपर - छत से चिपके गुब्बारे की ओर देखते हुए कपितोनव ख़यालों में खो जाता है. गुब्बारे के प्रकट होने से किसी को अचरज नहीं हुआ. कपितोनव को छोड़कर कोई भी गुब्बारे की ओर ध्यान नहीं दे रहा है, कोई गुब्बारे को देखना ही नहीं चाहता, मगर उसे, कपितोनव को, कैसे पता कि कोई भी नहीं? ये सच नहीं है कि कपितोनव औरों की खोपड़ियों के डिब्बों में झाँक सकता है, - इस अंग के संबंध में वह सिर्फ इतना ही कर सकता है कि सोची गई संख्याओं को बूझे, और वो भी सिर्फ दो अंकों वाली. और, बेशक, वह कोई दिमाग़ में घुसने वाला चोर नहीं है – वैसे ही, जैसे वह रोशनदान में घुसने वाला, अटारी से घुसने वाला चोर नहीं है; न ही जेबक़तरा है, न घर में घुसने वाला और सबसे बड़ी बात, न ही ब्रीफ़केस में घुसने वाला चोर है. और अपनी ब्रीफ़केस की ही तरह, चाहे उसमें कुछ भी क्यों न पड़ा हो, वह किसी को भी अपनी खोपड़ी के डिब्बे में घुसने नहीं देगा, चाहे उसके बारे में कोई कुछ भी क्यों न सोचे. इसलिए, प्रस्तुत परिस्थिति में कपितोनव क्या सोच रहा है, ये उसका अपना मामला है, और कोई दूसरा कपितोनव के ख़यालों के बारे चाहे कुछ भी सोचे, वह, दूसरा, प्रस्तुत परिस्थिति में ग़लत ही होगा.
मध्यांतर में वेण्टिलेटर्स खोलकर ताज़ी हवा को हॉल में आने दिया गया, अब ताज़गी और ठण्ड महसूस होने लगी. लोगों के दिमाग़ भी ठण्डे हो गए, या फिर मुख्य वक्ता नेम्योत्किन के भाषण ने उन्हें शांत कर दिया था?...( नेम्योत्किन ...पदम्योत्किन?...अत्म्योत्किन?...कपितोनव अब अपने आस-पास हो रही घटनाओं में दिलचस्पी नहीं ले रहा था.) कपितोनव को यह भी नहीं मालूम कि ये मरियल नाम्योत्किन, इसका नाम गिल्ड के प्रेसिडेंट की पोस्ट के लिए किसने प्रस्तावित किया था – क्या जुपितेर्स्की की पार्टी ने, या फिर कालावन की पार्टी ने. कपितोनव को अचरज हो रहा है ( हालाँकि, अचरज से इस बारे में नहीं सोच रहा है), कि न तो जुपितेर्स्की, न ही कालावन (मगर वह इस बारे में नहीं सोच रहा है), न अध्यक्ष मोर्शिन, न ही ‘तालाब’, प्रसिद्ध व्यक्तियों में से कोई भी न जाने क्यों प्रेसिडेंट के पद का प्रत्याशी नहीं है. अण्ट-शण्ट लोगों को ही भेज रहे हैं. (और इस बारे में भी नहीं.) ज़ामेत्किन के मुक़ाबले में खड़ा किया है रेचूगिन को (...लाचूगिन?...पिचूगिन?...), उसका भाषण अभी होने वाला है.
आश्चर्यजनक ढंग से कपितोनव किसी और ही चीज़ के बारे में सोच रहा है.
“क्या आप सो रहे हैं?”
“नहीं.”
कुछ देर ख़ामोश रहने के बाद:
“और अगर ‘हाँ’ तो? क्या जगाना ज़रूरी है?”
“मैंने बस, यूँ ही देखा, कि आप सो नहीं रहे हैं.”
कपितोनव ने अपने आप पर क़ाबू किया कि बाईं ओर के पड़ोसी को कोई तीखी बात न कह दे. बुज़ुर्ग आदमी है और उसे मालूम होना चाहिए कि कुछ लोग खुली आँखों से सो सकते हैं, ऐसा अक्सर होता है, ख़ासकर आजकल. मगर कपितोनव अपना ध्यान वक्ता की तरफ़ मोड़ता है: वह योग्यता सूचकांक के बारे में बात कर रहा है, जादू के प्रभावों के योग्यता सूचकांक की गणना करने के प्रभावहीन तरीके के बारे में. ऐसा लगता है कि यह औद्यौगिक समस्या वहाँ एकत्रित लोगों को बेहद परेशान कर रही है. गिल्ड-प्रेसिडेंटशिप का उम्मीदवार वादा करता है कि जादूगरों को सर्टिफ़िकेट देने के लिए 100% से अधिक वांछित योग्यता-सूचकांक की प्रणाली को समाप्त कर देगा. प्रोग्राम के इस मुद्दे का हॉल में गर्मजोशी से स्वागत किया जाता है.
“बस, अब समय आ गया है, हमारे हुनर को नापने के पैमाने को बदलने का ! समय आ गया है संदिग्ध योग्यता-सूचकांक के दुरुपयोग को “ना” कहने का !
दो बार बीप-बीप हुआ.
कपितोनव को मैसेज मिला:
{{{ वो मेरे पास है }}}
कपितोनव प्रयत्नपूर्वक आँखें झपकाता है, जैसे इस इबारत पर आँखें झपकाई जा सकतीं हैं. पहली झलक में तो वह इबारत ही प्रतीत नहीं हुई, बल्कि जबरन घुस आई एक तस्वीर लगी, और कोई अप्रिय बात थी इन धनु-कोष्ठकों में, जो जबर्दस्ती की मुस्कुराहट के कारण फ़ैल गए मुंह के कोनों की याद दिला रहे थे. उसने अक्षरों को समझा और अब ख़ाली नज़रों से ‘वो मेरे पास है’ को देख रहा है, जो न जाने क्यों दोनों तरफ़ से मुस्कुराते धनु-कोष्ठकों के बीच में है.
एक डरावना सा ख़याल आता है कि उसे मूखिन से कोई मैसेज प्राप्त हुआ है, मगर ये मरीना ने भेजा था, और अब सवाल ये है – क्या उसे भेजा था?
ये - “वो” – कौन है – उसके पास?
कपितोनव लिखता है:
कौन?
मगर भेजता नहीं है. कोई चीज़ उसे फ़ौरन पूछने से रोकती है. वह हिचकिचाता है, अस्पष्टता से महसूस करते हुए, कि उसे कुछ और भी करना है. यह करने से पहले, वह मुड़ता है, कहीं लोग उसकी ओर देख तो नहीं रहे हैं. और अगर देख भी रहे हों, तो उन्हें क्या पता चलेगा? वह वो कर रहा है, जिसे ख़ुद को भी समझा नहीं सकता: प्रश्नार्थक चिह्न के बाद धनु-कोष्ठक बनाता है – पहला, दूसरा और तीसरा. इसके बाद वह कर्सर को बाईं ओर ले जाता है और आरंभ में तीन धनु-कोष्ठक बना देता है.
वह उसकी ओर देखता है, जो बना है, और उसे लगता है, कि उसने कोई सीमा-रेखा पार कर ली हो.
भेज दिया:
{{{ कौन? }}}
जवाब फ़ौरन आ जाता है:
{{{ इन्नोकेन्ती पित्रोविच }}}
चलिए, मज़ाक छोड़िए (अगर ये मज़ाक होता, तो सब कुछ समझ में आ जाता), मगर मरीना मज़ाक नहीं करेगी. मगर, क्या ये मरीना है? अचानक पता चले कि मरीना नहीं है?
मगर प्रेषक निश्चित रूप से “मरीना” ही है.
मगर, हो सकता है, कि उसके मोबाइल से उसे वह न लिख रही हो?
वह धनु-कोष्ठकों और नोटबुक के बारे में हुई कल की बातचीत को याद करता है, जिसके बारे में, अगर उसकी बात पर विश्वास किया जाए, तो कोई नहीं जानता था.
मरीना. सिर्फ मरीना.
और, उसी का एक और मैसेज:
{{{ थैंक्यू }}}
उसे ज़रूर फोन करना चाहिए. वह उठता है, और ब्रीफ़केस लेकर दरवाज़े की ओर बढ़ता है.
“जहाँ तक ‘माइक्रोमैजिशियन’ नाम का सवाल है. मेरे ख़याल से, वह ठीक नहीं लगता है, मुझे मालूम है कि बहुत सारे लोगों को ये अटपटा सा ‘माइक्रो’ अपमानजनक लगता है, मगर प्यारे साथियों...” उसे अपनी पीठ के पीछे सुनाई देता है.
शायद, उसके चेहरे पर कुछ बदहवासी है, क्योंकि फॉयर में मेज़ों की सफ़ाई करती हुई दोनों असिस्टेंट्स कप-प्लेट्स को छोड़कर कुछ भय से उसकी तरफ़ देखती हैं. वह उनके सामने से सीढ़ियों की लैण्डिंग पर जाता है, और वहाँ से, पहले ही की तरह, खिड़की से बाहर देखते हुए मरीना को फोन करता है. नीचे एक कार आकर रुकी, दो लोग डिक्की में से चुनाव-पेटियाँ निकालते हैं, वे जल्दी में हैं, यहाँ कार रोकना मना है, बर्फ़ के ढेर उनके काम में बाधा डाल रहे हैं. वह काफ़ी देर इंतज़ार करता है – बीप्स, और बीप्स, - हो सकता है, मरीना को सिग्नल नहीं सुनाई दे रहा हो, हालाँकि, ऐसा मुश्किल लगता है, अभी-अभी तो उसने कोष्ठकों से घिरा हुआ “थैंक्यू” भेजा था. क्या उससे बात नहीं करना चाहती?
वह फिर से फोन करता है, मगर उसका फोन स्विच-ऑफ है.
कपितोनव उनके सभी मैसेजेस को देखता है, शुरू से, और, जैसे कुछ-कुछ समझ में आ रहा है – कम से कम जहाँ तक मैसेजेस के मतलब का ताल्लुक है. “वो मेरे पास है” किसी इन्सान से संबंधित नहीं है, जैसा कि उसने सोचा था, बल्कि इसका संबंध नोटबुक से था, उसी ने तो इससे पहले नोटबुक के बारे में लिखा था – कि बाद में लौटाएगा. उस हालत में उसके सवाल “कौन?” को, जिसका सर्वनाम “वो” से ताल्लुक था, मरीना द्वारा यूँ समझा गया कि “किसने लौटाई?” और वह उस आदमी का नाम बताती है “इन्नोकेन्ती पेत्रोविच”.
इसके आगे कपितोनव का दिमाग़ वो समझने से इनकार करता है, जो, लगता है, कि समझ से परे है (मगर, ऐसा नहीं है कि कपितोनव ने सोचने से इनकार कर दिया हो).
12.55
वह देखता है कि उसके पास हेरा-फ़ेरी जादूगर किनीकिन आ रहा है (वह भी हॉल से बाहर आ गया था).
“ मैं आपके पीछे-पीछे ही चला आया. परेशानी के लिए माफ़ी चाहता हूँ. सिर्फ, यहाँ हम अकेले हैं, मैं सबके सामने आपसे मिलना नहीं चाहता था.”
“क्या बात है?” कपितोनव पूछता है.
“मुझे पहले ही स्वीकार कर लेना चाहिए था,” किनीकिन कहता है. “मगर, मैं डर गया कि कहीं मज़ाक का पात्र न बन जाऊँ. अपना गुनाह क़ुबूल करना चाहता हूँ.”
“आप किस बारे में कह रहे हैं?” कपितोनव पूछता है.
“वही, सब इन कटलेट्स की ही वजह से हुआ. ये बिल्लियों के लिए हैं, पालतू बिल्लियों के लिए. चौंकिए नहीं, वे कैबेज वाले भी खाती हैं. हम तो बस पुराने ढर्रे पर चलने के आदी हैं, मगर ख़ास पीटरबुर्ग में पालतू बिल्लियाँ कैबेज के कटलेट्स बेहद पसन्द करती हैं, वो भी मीट के और मछली के कटलेट्स से ज़्यादा. इस पर बहुत पहले ही ध्यान गया था, इस बारे में कुछ लेख भी प्रकाशित हुए हैं, मैं इस पर नज़र रखता हूँ. दूसरी बात, अब तो बिल्लियाँ भी क़रीब क़रीब हैं ही नहीं. हर जगह गोदाम बन्द कर देते हैं, ठण्ड कड़ाके की, चूहों का शिकार.....आप मुझे माफ़ कीजिए, मगर बिल्लियाँ मेरी कमज़ोरी हैं, मैं बिल्लियों का फ़ैन हूँ...और यहाँ आँगन में...बॉयलर रूम के पीछे...बस, प्लीज़ इस बारे में ढिंढोरा न पीटिए. मैं, मतलब, क्या कहना चाहता हूँ? मैं हेरा-फेरी करने वाला, उचक्का जादूगर हूँ, मुझे अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं. मैंने कटलेट्स बिल्लियों के लिए. आपको किसी ने धोखा नहीं दिया. ब्रीफ़केस के संबंध में. हम बस गड़बड़ा गए. हॉटेल में ही, हॉल में. आपके पास मेरी है.”
“और क्या आपके पास मेरी है?” कपितोनव जैसे जी उठा.
“एकदम आपकी नहीं. आप विश्वास नहीं करेंगे, मगर मेरे पास आपकी नहीं है. आपकी – मेरे पास नहीं है. दुहरी गड़बड़ हो गई है.”
“ऐसा कैसे? क्या ऐसा भी होता है?”
“बेशक, होता है! जैसे, डबल मर्डर भी होता है, तो फिर दुहरी गड़बड़ क्यों नहीं हो सकती?”
“मेरी – किसके पास है?”
“मेरे पास वाली के अन्दर की चीज़ों को देखते हुए, जो, आप समझ रहे हैं ना, कि मेरी नहीं है, आपकी ब्रीफ़ केस दबाए बैठा है, महाशय नेक्रोमैन्सर.”
“और आपके पास – नेक्रोमैन्सर की है?”
“एकदम सही फ़रमाया.”
“और नेक्रोमैन्सर ख़ुद कहाँ है?”
“ये कौन बता सकता है! अगर यहाँ होता, तो मैं फ़ौरन उससे बात कर लेता. और फिर आपसे. मगर वो यहाँ नहीं है, सुबह देखा था, मगर इसके बाद वो कहीं ग़ायब हो गया. आप परेशान न होईये. डर की कोई बात नहीं है. वो आ जाएगा.”
वो दोनों सीढ़ियों से ऊपर जाते हैं, हरेक के पास एक एक चुनाव-पेटी है.
“ ऐसे कैसे ‘डर की कोई बात नहीं’ है? और अगर मेरी ब्रीफ़केस में कोई ऐसी चीज़ हो, जिसे मुझे किसी को दिखाना नहीं चाहिए, तो?”
“सब ठीक हो जाएगा, विश्वास कीजिए. आप मुझे मेरी लौटाएँगे?”
“आपकी वाली दीजिए. मतलब उसकी.”
“नहीं दे सकता.”
“क्यों नहीं दे सकते?” फ़ॉयर में दोनों चुनाव-पेटियाँ ले जाते हुए ऑडिट कमिटी के सदस्यों को देखते हुए कपितोनव चौंक कर कहता है.
“नहीं दे सकता, ये पराई ब्रीफ़केस है. ना तो मेरी है, ना ही आपकी.”
“ इससे क्या फ़रक पड़ता है, कि वो किसके पास रहे – आपके पास या मेरे पास?” कपितोनव उचक्के जादूगर पर नज़रें गड़ाए कहता है.
“और अगर कोई फ़रक नहीं पड़ता, तो फिर सवाल किस बात का है? चलिए, नेक्रोमैन्सर के वापस लौटने तक सब ऐसा ही रहने देते हैं. वह आयेगा, मैं उससे बात करूँगा, उसे उसकी ब्रीफ़केस दे दूँगा, आपकी ले लूँगा और फ़ौरन आपकी ब्रीफकेस आपको सही-सलामत लौटा दूँगा, और हम ग़लफ़हमी दूर कर लेंगे. आप मुझे बस मेरी वाली दे दीजिए, कटलेट्स वाली, आप तो उन्हें खाएँगे नहीं?...”
“आपके पास दो-दो हो जाएँगी, और मेरे पास एक भी नहीं,” कपितोनव कल्पना करता है. “बड़ा दिलचस्प लॉजिक है.”
“आप मुझ पर यक़ीन नहीं करते?”
“मैं सिर्फ ये बात समझ नहीं पा रहा हूँ कि अभी मुझसे ब्रीफ़केस बदलने में आपको क्या परेशानी है; और खेल से बाहर होने में. नेक्रोमैन्सर से तो मैं आपके बग़ैर भी निपट लूँगा. आपके लिए ये ज़्यादा आसान रहेगा.”
“ठीक है, मैं जवाब दूँगा. ये बड़ा नाज़ुक सवाल है. अभी, इस पल, नेक्रोमैन्सर की ब्रीफ़केस के भीतर क्या है, इस बारे में ख़ुद नेक्रोमैन्सर के अलावा, सिर्फ एक आदमी जानता है, वो हूँ मैं, और अगर हम ब्रीफ़केसों की अदला बदली कर लेते हैं, तो दो लोग जान जाएँगे.”
“मैं नेक्रोमैन्सर की ब्रीफ़केस की चीज़ों पर थूकता हूँ! मैं जानना भी नहीं चाहता कि उसके अन्दर क्या है.”
“बिल्कुल सही! मगर आप स्वयम् को मेरी स्थिति में रखकर देखिए, मैं तो जानता हूँ ना, बस यही प्रॉब्लेम है! अगर मैं इस ब्रीफ़केस के भीतर की चीज़ों के बारे में न जानता होता, तो मैं बिना सोचे, आपकी ब्रीफ़केस से बदल लेता. मगर, अब, जब मैं जानता हूँ कि इसके भीतर क्या है – ऐसा नहीं कर सकता, मुझे नैतिक अधिकार नहीं है.”
“उसके भीतर आख़िर ऐसा क्या है? क्या किसी की हड्डियाँ हैं?”
“ नो कमेन्ट्स, प्लीज़.”
“बहुत अच्छे,” कपितोनव ने कहा, “आपकी बिल्लियों को भूखा रहना पड़ेगा.”
सख़्ती से. क्रूरता से. मगर यही तरीक़ा है. कपितोनव अपने आप से कहता है.