डैड अब डांटते नहीं ।
डैड अब डांटते नहीं ।
डियर डैड,
मैं जानता हूँ कि इस बार भी मंथली पेपर्स में कुछ अच्छा नहीं कर पाया। छह महीने से घर से दूर इस कोचिंग संस्थान में मेरे पास पढ़ने के सिवा है भी क्या? कोई डिस्टर्बेंस भी नहीं। न ही कन्नू परेशान करने के लिए है और न ही पड़ोस के ऊंचे बजते लाउडस्पीकरों का मुहल्ला।
मुझे याद है कि मैट्रिक परीक्षा के दिनों में ही आप कहा करते थे कि आप मुझे कोटा भेज देंगे, जहां मैं अपनी पढ़ाई पर बिना किसी परेशानी के पूरी तरह फोकस कर सकूँगा। फिर चाहे दुकान से होने वाली कमाई भी ठीक ठाक ही थी पर आपने पता नहीं कैसे भी करके सबसे प्रसिद्ध और बेस्ट कोचिंग संस्थान में मेरा एंट्रेंस दिलवाया। मैं पढ़ाई में अच्छा था और आप को मुझसे बहुत सी उम्मीदें।
आप अक्सर कहते है कि आप के समय मे वो गइडेन्स और मदद नहीं मिलती थी जो अब इंटरनेट के युग में घर बैठे मिलती है और अब माँ बाप भी बहुत कोशिश करते हैं कि बच्चे सेट हो जाएं। मेरा गणित थोड़ा कमजोर था पर आपने सबसे महंगी ट्यूशन दिलवाकर उसमें मुझे सुधारा। आप अक्सर सुंदर पिचाई की उदाहरण देते हैं, हमारे टीचर ने भी यू ट्यूब पर उसकी जिंदगी के बारे में दिखाया। आदमी कहाँ से कहाँ पहुंच जाता है अगर मेहनती हो।
पर सच पूछिए मैं पिछले छह महीने से केमिस्ट्री और फिजिक्स के साथ जूझ रहा हूँ, फोकस कर रहा हूँ। देर रात तक पढ़ कर उसे समझने की कोशिश कर रहा हूँ पर न जाने क्या बात है, मेरे समझ में कुछ नहीं आ रहा। क्लास में भी पढ़ने पढ़ाने वाले अच्छे है, सब के सब अपनी संस्थाओं के टॉपर। शायद कम्पीटिशन ही ज्यादा है जिस लिये कठिन से कठिन सवाल पूछे जाते हों। पर सबके साथ ये कठिनाई नहीं है, मेरा ही दिमाग खराब है। पहले पहल आप समझाया करते थे, गुस्सा भी करते कि टाइम टेबल बनाओ।
पर अब पिछले तीन महीनों से जब आपके मोबाइल पर कोचिंग वाले टेस्ट का रिजल्ट भेजते हैं तो आप मेरे मोबाइल पर बिना कुछ कहे सिर्फ उस मेसेज को फारवर्ड कर देते हैं। मैं खुद अपनी परफॉर्मेंस देखकर शर्म और भय से सिकुड़ जाता हूँ। आपका पैसा और सपने सब को बर्बाद करता महसूस करता हूँ। आप फोन भी करते हैं तो बस खाने पीने और मेहनत करते रहने की संक्षिप्त नसीहत देते हैं, पहले की तरह झिड़कते नहीं। इस तरह से मैं आपकी चुप्पी को और भी गहराई से सुनता हूँ। आप डांटते थे तो थोड़ी देर बाद मन हल्का हो जाता, कि कुछ बुरा नहीं कहा, सही ही कहा।
पर मैं कभी कभी पछतावे से भर जाता हूँ। कल रात सो ही नहीं सका। पी जी में रहने वाले सभी छात्रों में मेरा ही रैंक टेस्ट में बहुत पिछड़ गया था।
मैं क्या करूँ, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, पढ़ने में कोई कमी नहीं है पर प्रश्न पत्र सामने आते ही लगता है कि जो नहीं पढ़ा, वही आ गया है।
अब तो आपको फोन करने की सोचता हूँ तो समझ नहीं आता कि क्या सफाई दूं। मां से बात हो जाती है, उसे भी फिक्र है पर शायद आपने कहा हो कि ज्यादा स्ट्रेस नहीं देना। इसलिए माँ को भी मेरे खाने पीने की फिक्र ज्यादा है, वो भी अक्सर यही कहती है कि मन्नू तू मेहनत करता रह, धीरे धीरे सब सेट हो जाएगा। यहां बहुत से बच्चे जोर जबरदस्ती से भेज दिए गए हैं, कई बार रोने लगते है या चुपचाप रहते है। आपने तो कोई जोर जबरदस्ती भी नहीं की। अब कोई शिकायत भी नहीं करते। मुझे खुद से ही खीझ आने लगी है। फिर भी मैं कोशिश करूंगा, कि लगातार सुधार की राह पड़ सकूं।
एक विनती है कि आप को मुझ पर गुस्सा आये तो कर लिया करो, मैं किसी भी तरह का प्रेशर नहीं लूंगा। आप मुझ पर इतनी मेहनत कर रहे हैं तो कुछ अच्छा करने के लिए कोशिश जारी रखूंगा। अगले हफ्ते चार छुट्टियां है, तीन महीने हो गए घर देखे। लौट कर ढेर सारी बाते करूंगा, आप भी थोड़ा नाराज होना और बहुत सा समझाना।
आपका स्पोर्ट नहीं मिलेगा तो कुछ पाकर भी अच्छा नहीं लगेगा।
बहुत से प्यार के साथ।
आपका मन्नू।