डायरी के पन्ने डे सिक्सटीन
डायरी के पन्ने डे सिक्सटीन


हर पल आने वाले समाचार सुन मन का परेशान होना बहुत लाजिमी है। अब मरकज वालों के प्रति मन क्रोद्ध से भर रहा है। किंतु जब आप कुछ कर नहीं सकते तो क्रोद्ध कर अपने आप को दंड देने से अच्छा है समय का साथ दें।
रामायण और महाभारत देख कर इतना तो समझ चुकी हूँ कि समय सबसे बलवान होता है। अतः मौन हो समय का साथ देने में ही भलाई है।
अब तो मैं व्हाट्स एप्प पर आने वाले कोरोना चुटकुला वाले एप्प भी देखना पसंद नहीं करती। यूँ भड़काऊ वीडियो देखना तो मैं पहले भी पसंद नहीं करती थी। यदि कोई भेज देता तो उसे मैं तुरत डिलीट कर देती थी पर अब सबों को कहना प्रारम्भ कर दी हूँ कि कृपया इस तरह के वीडियो ना भेजा करें। ये तो अच्छा हुआ कि सरकार ने भी इस तरह के वीडियो पर रोक लगा दी है। आज नियमित गृहकार्यों के बाद मैं कुछ पुराने सिलाई के कार्यों को लेकर बैठी। गृहकार्य फिर दो बार रामायण, दो बार महाभारत के बाद समय बहुत कम मिलता है कि कुछ नया करने का विचार करूँ।
आजकल मैं अपने पुराने नियम का पालन करने लगी हूँ - 'दिन में सोना वर्जित है।'
दिन में नहीं सोने के कारण कुछ समय मिल गया और मेरे सिलाई के बचे हुए कुछ कार्य आज सम्पन्न हो पाए।
शाम के न्यूज़ ने तो पुनः हिला दिया। इसलिए नहीं कि लॉक अप का समय बढ़ाए जाने की संभावना है। इन तबलिकी जमात के लोगों के धृष्टता को देख। उन्हें जब अपने जान की ही परवाह नहीं तो वे दूसरों की क्या सोचेंगे। कुछ लोग इसमें बिश्वास करते हैं कि -' न खुद जिएंगे न तुम्हें जीने देंगे।' इन जहरीली जमात पर तो इतना गुस्सा आ रहा है कि इनके लिए जो बोलें कम है। पर ये सोच शांत हो जाती हूँ कि मैं घर में बैठ इतना क्रोधित हो रही हूँ, सोचो उन डॉक्टर, पुलिस वाले, सफाई कर्मी, बैंक कर्मी आदि आवश्यक सेवा कर्मी जो रोज इनका सामना कर रहे हैं और अपने में धैर्य बनाए हुए हैं। भगवान इनलोगों की रक्षा करें।
हम जब अपने कार्य से संतुष्ट नहीं होते और किसी की जिंदगी पर बन जाती है तो वैसे समय में बरवश भगवान याद आ जाते हैं। आज पूरा देश भगवान को याद कर रहा है। एक बार इन जमातियों से पूछने की इच्छा होती है कि इतना अमानुषिक कार्य कर रहे हो, क्या तुम्हें कभी अल्लाह याद नहीं आते। डरो हमारे भगवान और तुम्हारे अल्लाह दो नहीं। वे एक ही आदि शक्ति हैं।
उम्मीद पर दुनिया जीती है। कल एक नया सवेरा होगा और नई राह दिखेगी