chandraprabha kumar

Children Stories

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chandraprabha kumar

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चरवाहा लड़का

चरवाहा लड़का

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   एक समय की बात है कि एक छोटे से गॉंव में एक बरगद का पेड़ उग आया था। वह पेड़ समय के साथ बहुत बड़ा और मज़बूत हो गया। उसकी पत्तियॉं इतनी घनी थीं कि उसमें से होकर सूर्यकिरणों में से एक भी किरण नीचे धरती पर नहीं आ सकती थीं। गर्मियों की तपती दोपहर में उसकी शीतल छाया में आराम करने लोग आ जाते थे और बैठकर बातें करते थे। आते जाते राहगीर भी उसकी छाया में बैठ जाते थे। वे जानते थे कि बरगद का पेड़ बहुत पुराना और बुद्धिमान् है। उसकी बहुत लम्बी उम्र और अनुभव था। 

   एक दिन एक चरवाहा लड़का आकर उस पेड़ की छाया में बैठा। पूरे दिन धूप में मवेशियों के पीछे घूमता हुआ वह बहुत थक गया था और गर्मी से परेशान हो रहा था। हवा धीरे- धीरे चल रही थी ,जिससे उस लड़के को आराम मिला और वह धीरे धीरे ऊंघने लगा। जब वह थोड़ी देर झपकी ले चुका तो वह पेड़ की फैली हुई शाखाओं को देखने लगा। 

    वह लड़का थोड़ा घमण्डी था। वह शेखी बघारा करता था कि कैसे उसकी होशियारी से उसके मवेशी बहुत अच्छे हो गये थे और बढ़ गये थे। तभी उसका ध्यान गया कि बरगद के पेड़ के फल कितने छोटे थे। उसे बहुत आश्चर्य हुआ। वह उपहास पूर्वक बोलने लगा -" इतना बड़ा मज़बूत पेड़ और इतने छोटे से फूल और फल !" 

  वह कहने लगा-" भगवान् को बहुत बुद्धिमान् कहते हैं। पर मुझे तो इसमें कोई बुद्धिमत्ता दिखाई नहीं देती। इतने बड़े मज़बूत पेड़ में इतने छोटे से फल लगा दिये। और वहॉं उस तरबूज़ की पतली सी बेल में बड़े बड़े तरबूज़ लगा दिये।उनकी बुद्धिमत्ता की इतनी तारीफ़ किसलिये होती है ?"

  लगता था कि बरगद के पेड़ ने जिसे वट वृक्ष भी कहते हैं , उसकी बात सुन ली थी। लेकिन वह चुप रहा और उसने अपनी पत्तियॉं हिला दीं जिससे कि उसके बीच से धीरे से हवा बह जाये। इस बीच लड़का खर्राटे लेने लगा था। 

  " टप!"  ऊपर से कोई चीज़ गिरी। 

  बरगद का एक छोटा फल लड़के के माथे के ठीक बीच में गिरा। वह चौंक कर जग गया। वह बड़बड़ाया-" ओह! मैं अभी झपकी ले रहा था।" और उसने वह फल उठा लिया। 

  अचानक उसने दबी हुई हँसी सुनी। " क्या तुम्हें चोट लगी "? पेड़ उससे पूछ रहा था। उस प्राचीन समय में पेड़ और पक्षी प्राणी बात कर सकते थे। 

 " नहीं, लेकिन तुमने मुझे जगा दिया।" लड़के ने कहा। 

  " इसे तुम्हारे लिये एक सबक़ होना चाहिये। तुम हँसे थे कि मेरे फल बहुत छोटे हैं।"बड़ (बरगद) वृक्ष ने कहा। 

 बड़ पेड़ ने आगे कहा-" घमंड करना कोई बुद्धिमत्ता की बात नहीं है। मेरी पत्तियॉं तुम्हें आराम करने के लिए छाया देती हैं। मेरे फल यद्यपि छोटे हैं पर देखो कितनी कुशलता से प्रकृति काम करती है। अगर मेरे फल एक तरबूज़ जितने बड़े होते या नारियल जितने बड़े होते तो यदि वे तुम्हारे सिर पर गिरते तो तुम्हारा क्या हाल होता ?"चरवाहे का लड़का चुप रह गया। इसके बारे में तो उसने कभी सोचा ही नहीं था। 

पेड़ ने कोमलता से कहा-" जो लोग विनम्र होते हैं , वे अपने आस-पास की चीज़ों को देखकर बहुत कुछ सीख सकते हैं।"

 "सही कहा है, आगे बताओ।"लड़के ने कहा। 

बरगद पेड़ ने कहा -" अपनी आस-पास की चीज़ों के प्रति मित्रभाव रखो। हमें एक दूसरे की ज़रूरत है। मक्खियों को देखो, वे मेरे फूलों को फल बनने में मदद करती हैं। और चिड़ियों को देखो, वे मेरी पत्तियों के बीच घोंसला बनाती हैं। वे बहुत मेहनत करती हैं , अपने बच्चों को खिलाने के लिये केटरपिलर खोजती हैं। और जानते हो मुझे उससे कैसे फ़ायदा होता है ?"

 "नहीं , कैसे ?" लड़के ने पूछा

 " केटरपिलर मेरी पत्तियों को खाता है, इसलिये चिड़िया मेरी दोस्त हैं। वे तुम्हारी भी सहायता करती हैं। तुम्हारी भेड़ों को खाने के लिये बहुत सी घास और पत्तियॉं चाहियें। यदि चिड़िया कीड़ों को नहीं मारें तो कीड़े घास व पत्तियों को नष्ट कर दें। और भी बहुत कुछ है। "

लड़के ने कहा-"ठीक है, और क्या?"

बरगद के पेड़ ने कहा-" जो पत्तियां ज़मीन पर गिरती हैं ,वे खाद बन जाती हैं ।उन्हें खाने के लिये केंचुए ज़मीन खोदते हैं ।इससे मिट्टी में छेद हो जाते हैं और हवा को मिट्टी में जाने का रास्ता मिलता है। इससे मेरी जड़ों को मज़बूती मिलती है और मैं ज़्यादा मज़बूत बन जाता हूँ।क्या तुम अब समझ गये?"

चरवाहे के लड़के ने कहा -" मुझे यह सब पता नहीं था,मुझे तुम्हारे छोटे फलों को देखकर हँसी नहीं उड़ानी चाहिये थी। ईश्वर के सब काम बुद्धिमत्ता के होते हैं। "

चरवाहे का लड़का घर आया। उसे पता चल गया था कि हम एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते ।और यह भी उसे ज्ञात हुआ कि बरगद का वृक्ष पवित्र माना जाता है। इसे भारत का राष्ट्र वृक्ष भी कहा जाता है। कई लोग इसकी पूजा करते हैं। इसे घरों और मन्दिरों के आसपास भी लगाया जाता है। 



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