Kunda Shamkuwar

Abstract Fantasy

4.7  

Kunda Shamkuwar

Abstract Fantasy

चमकता चाँद

चमकता चाँद

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इस चाँद की फ़ितरत अजीब है, नहीं ? रात में आसमाँ में चमकनेवाला यह चाँद सारी दुनिया को केवल और केवल उसका अपना लगता है....और यही ख़याल लेकर हर कोई गहरी नींद में सो जाता है...

हक़ीक़त में चाँद किसी का भी नही होता है...ताउम्र वह सबको भरमाता रहता है... और हर रात अपनी मस्ती में आसमाँ में चलता ही जाता है.....

सदियों से चाहने के बावजूद यह चमकता चाँद न तो बड़े बड़े राजाओं के हाथ आया है और न ही किसी रंक की झोली में समाया है...

आज रात में न जाने क्यों मुझे उस क़िताब की याद आयी जिसका टाइटल था...एक बूँद चाँद का...

बेहद खूबसूरत टाइटल लगा था मुझे वह...

काश इस चमकते चाँद का एक बूँद ही हमें मिल जाए....

मेरा मन मुझे सवाल करने लगा....

उस एक बूँद चाँद से तुम क्या करोगी ? 

मैं भला क्या करुँगी ?

एक क्षण सोचने के बाद ही मुझे लगा कि अमीरों के घर तो चाँद के बूँदों जैसे  हज़ारों लाइट्स से बने महँगे झूमर से सजे होते है....

तो फिर ट्रैफिक सिग्नल पर रहते लोगों को गर चाँद के एक बूँद को दे पाऊँ तो? और तो और झुग्गी झोपड़ी में रहनेवाले लोगों को मैं एक बूँद चाँद दे पाऊँ तो?

शायद उनकी जिंदगी उस चाँद जैसी ही चमकदार हो जाये....


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