छोटी सी बात
छोटी सी बात
विमला ब्रश करके चुपके से चाय बनाने किचन में जाने लगी, ताकि विदेश से तीन सालों पर आयी उसकी बहू मीनाक्षी, खटर -पटर की आवाज सुनकर उठ न जाए ।मीनाक्षी का बेडरूम किचन से सटा हुआ था।
लेकिन किचन में प्रवेश करते ही विमला स्तब्ध रह गई ! मीनाक्षी को देखा, वह चूल्हे के पास खड़ी चाय बना रही है।
"अरे बहू! इतनी भोर में तुम कैसे जग गयी ?आजकल के पढ़े-लिखे लोग तो बहुत लेट से उठते हैं । " विमला ने मजाकिया अंदाज में कहा ।
" माँ जी, मुझे पता है, आप सूर्योदय से पहले उठती हैं । सबसे पहले चाय पीती हैं, उसके बाद स्नान ,फिर पूजा । जब मैं पहली बार दुलहन बन कर यहाँ आई थी तो आप ही मुझे सवेरे चाय बना कर देती थीं । सच !उस समय मुझे बहुत आराम लगता था, ब्रश करने के बाद कोई एक प्याली गर्म चाय झट से थमा दे। लेकिन इस छोटी सी बात की अहमियत तब समझ में आयी , जब मैं पढ़ाई करने विदेश गई । आपने ही बड़े शौक से मुझे वहाँ भेजा था,यह कह कर कि "यदि मेरी बेटी पढ़ने के लिए विदेश जा सकती है तो बहू क्यों नहीं!"सुनकर मैं बेहद खुश हो गई थी।उस समय मुझे आपको पकड़ कर चूमने का मन हुआ।
विदेश में न मेड की सुविधा थी और न आप जैसी सासु माँ... ! सारा काम खुद ही करना पड़ता था !
कल यहाँ, आपके पास पहुँचते ही मैंने मन में ठान लिया कि आपको सुबह की चाय रोज मैं ही बना कर दूँगी ।"
सुनकर विमला मंत्रमुग्ध हो गई । एक हाथ बढ़ा कर उसने बहू के हाथ से चाय की प्याली ली और दूसरे हाथ उसके सर पर रखते हुए बोली , " बहू! तुम्हारी हर मनोकामना पूर्ण हो जाए।आज मेरी आत्मा तृप्त हो गई ।
हम औरतों की इन छोटी-छोटी बातों को समझना सचमुच इतना आसान नहीं होता है । बहुत से लोग इन बातों को या तो ठीक से समझते नहीं ,या समझ कर भी इग्नोर कर देते हैं! तुझ जैसी संवेदनशील स्त्री ही किसी दूसरी स्त्री के मन की बातों को अच्छी तरह से समझ सकती है।"
सास को बहू में अपनी बेटी नज़र आ रही थी.... और बहू को सास में माँ।