छोटा मेमना और उसकी ढोलकी
छोटा मेमना और उसकी ढोलकी
यह कहानी मैं हमेशा बच्चों को सुनाया करती थी जिसको सुनकर के बच्चों को बहुत मजा आता था और हिम्मत भी मिलती थी कि वह भी हिम्मत वाली बने तो मेरे शब्दों में यह काम है
मधुबन जंगल में सब जानवर इकट्ठे हुए खेल रहे थे। उनके बच्चे भी आपस में बहुत मस्ती कर रहे थे।
मस्ती करते करते एक दो बच्चों ने बोला हम आप मामा के घर जाने वाले हैं।
छुट्टियां हो रही है।
जो यह सुन छोटा मेमना भी अपनी मां से बोला मां, मां मुझे भी मामा के घर जाना है।
मां ने कहा तू अभी बहुत छोटा है।
तू अभी कैसे जाएगा अकेला।
मैं तो नहीं जा सकती हूं।
मेमना जिद पर अड़ गया।
ठीक है, मां ने हार मान ली।
बोला जा कर आ, पर ध्यान से जाना,
और तू मेरी एक बात को गांठ बांध ले।
सबसे सच बोलना और हिम्मत से काम लेना। किसी से भी घबराना मत।
मेमना ने कहा हां मां मैं ध्यान रखूंगा।
घर से मेमना रवाना हुआ।
थोड़ा सा आगे निकला कि उसको मोटा सा बागड़ बिल्ला भेड़िया मिला।
भेड़िया बोलता है मेमना मेमना मैं तुझको खाऊं। तो मेमना डरता नहीं है।
उसको बोलता है मैं तो इतना छोटा सा हूं।
मेरे में तो बिल्कुल मांस ही नहीं है।
तेरे को मजा नहीं आएगा।
मामा के घर जाने दे,
दूध मलाई खाने दे,
मोटा होकर आने दे,
फिर तू मुझको खाना,
फिर तू मुझको खाना।
भेड़िया बोलता है, तू वापस आएगा क्या
मेरे पास।
तो मेमना बोलता है मैंने मेरी मां को हमेशा सच बोलने को बोला है।
तो मैं तुमको सच बोल रहा हूं।
मैं जरूर आऊंगा। तो भेड़िया उसको जाने देता है।
आगे उसको एक शेर मिलता है। शेर उसको बोलता है मेमना मेमना मैं तुझको खाऊं।
तो वहां भी मेमना बोलता है, मैं तो इतना छोटा हूं। तेरे को मेरे को खाने में क्या मजा आएगा।
मामा के घर जाने दे ,
दूध मलाई खाने दे,
मोटा होकर आने दे,
फिर तुम मुझको खाना।
फिर तू मुझको खाना।
तो वह शेर बोलता है तू क्या वापस मेरे पास आएगा। तू तो भाग जाएगा।
तो वह बोलता है यह मेरा रास्ता है।
मुझे तो आना ही पड़ेगा।
और मैंने मेरी मां से सच बोलने का वादा किया है। मैं आपसे सच बोल रहा हूं।
मैं जरूर आऊंगा शेर सोचता है यह छोटा सा मेमना मेरे को झूठ थोड़ी बोलेगा।
और वह उसको जाने देता है।
आगे उसको एक चीता मिलता है। चिता बोलता है मेमना मेमना मैं तुझको खाऊं
वहां भी उसको वैसा ही बोलता है।
मैं तो इतना छोटा सा हूं अभी मत खा मैं वापस आऊंगा, तब खाना।
मामा के घर जाने दे।
दूध मलाई खाने दे। मोटा होकर आने दे।
फिर तू मुझको खाना।
फिर तू मुझको खाना।
तो वह चीता बोलता है, तू क्या वापस मेरे पास आएगा। तू तो भाग जाएगा।
उसने कहा नहीं मैंने मेरी मां से सच बोलने का वादा करा है। मैं जरूर आऊंगा, और रास्ता तो मेरा यही है। तुम मेरे को खा लेना, ऐसे करते करते हुए मामा के घर पहुंच जाता है।
बहुत मस्ती से रहता है। खूब दूध मलाई खाता है। अच्छा मोटा ताजा हो जाता है।
वह मामा को बोलता है मुझे घर जाना है।
और इन जंगली जानवरों से मेरा बचाव भी होना चाहिए।
इसलिए मामा मुझे एक ढोलकी बनवा दे।
मामा उसके लिए ढोलकी बनवा देता है।
उसके अंदर उसको बिठा देता है।
और उसका खाना पीना रख देता है अंदर, और ढोलकी को लुढ़का देता है।
तो लुढ़कते लुढ़कते ढोलकी जंगल में पहुंचती है। सबसे पहले चीता मिलता है।
चीता बोलता है ढोलकी ढोलकी तूने एक मेमने को देखा?
ढोलकी के अंदर से मेमना बोलता है। किसका मेमना किसका दम,
चल मेरी ढोलकी ढमाक ढम
चल मेरी ढोल की ढमाक ढम और
अपनी ढोलकी को आगे लुढ़का देता है।
थोड़ा आगे जाता है तो उसको शेर मिलता है। शेर कहता है बहुत दिन पहले मैंने एक मेमना को उसके मामा के घर जाने दिया था।
तूने उसको देखा क्या तो अंदर से ढोलकी में से मेमना ना बोलता है
किसका मेमना ना किसका दम
चल मेरी ढोलकी ढमाक ढम
और वहां से अपना ढोलकी को लुढ़का देता है। वहां से आगे जाता है, तो उसको भेड़िया मिलता है।
भेड़िया कहता है एक मेमना यहां से निकला था। उसने कहा था मैं यही मेरा इंतजार करना। मैं उसका इंतजार कर रहा हूं। वह अभी तक आया नहीं है।तुमने मेरे मेमना को देखा क्या? तो ढोलकी में से मेमना ना बोलता है।
किसका मेमना ना किसका दम
चल मेरी ढोलकी ढमाक ढम
चलमेरी ढोलकी ढमाक ढम।
भेड़िए को शक होता है कि ढोलकी में मेमना बैठा है मेमना अपनी ढोलकी थोड़ी आगे लुढ़का देता है।
वह भेड़िया पीछे से आकर उसको लात लगाता है। तो उसकी ढोलकी मेमना के घर में जाकर के के टूटती है। और मेमना उस में से निकल कर के अपनी मां के आंचल में छुप जाता है। और कुशल पूर्वक घर पहुंच जाता है।
उसने इतनी बहादुरी से अपना काम करा वो किसी से डरा नहीं ।मुसीबतों से घबराया नहीं। साथ में उसने सच भी बोला।
और अपनी मस्ती भी पूरी कर ली।
वह मज़े से अपनी मां के पास में जाकर खेल-खेल करके सारी कहानी बताने लगा।
मां भी उसकी हिम्मत को देखकर बहुत खुश हुई और उसको बहुत प्यार करा और दूध मलाई खिलाया।