Vimla Jain

Tragedy Action

4.3  

Vimla Jain

Tragedy Action

चांद और चांदनी में अनबनी और तीज का त्यौहार

चांद और चांदनी में अनबनी और तीज का त्यौहार

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"भारत में बहुत सारे त्यौहार मनाया जाते हैं महिलाओं का प्रिय त्योहार तीज का त्यौहार होता है। उस दिन को सुहागनों का दिन माना जाता है यह चांद को देखकर पूजा कर अपने पति के द्वारा व्रत को खोलते हैं यह भारत देश में ही संभव है क्योंकि सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा है इसी संदर्भ में मेरी रचना

प्रस्तावना

चांदनी का शाब्दिक अर्थ होता है "बिना बनी हुई चांदनी"। यह एक काव्यात्मक और प्रतीकात्मक शब्द है जिसका उपयोग अक्सर किसी ऐसी स्थिति को दर्शाने के लिए किया जाता है जो अधूरी हो या पूरी तरह से स्पष्ट न हो। यह किसी आधे-अधूरे प्रयास, अधूरे सपने, या उस स्थिति को इंगित कर सकता है जिसमें कुछ अपेक्षित होता है लेकिन वह पूरी तरह से हासिल नहीं हो पाया हो।

वार्ता कहानी

आज महिलाओं के तीज का व्रत है सब इतनी सजी सवारी सुंदर सी तैयार हुई दिल से पूजा करके ईश्वर से वरदान प्राप्त करने का काम कर रहे हैं मगर यह क्या आसमान में चांद अभी तक नहीं आया है चांदनी भी थोड़ी उदास लग रही साथ में सभी व्रत करने वाली औरतें चातक की तरह चांद के निकलने की प्रतीक्षा कर रही हैं मगर चांद है कि आज चांदनी को बता देना चाहता है कि मैं ही सर्वोपरि हूं ,मेरे से तुम हो

बहुत देर तक नहीं निकलने के बाद चांदनी चांद से प्रार्थना करती है अब तो निकलो इतनी अनबनी भी क्या है। 

मैं मानती हूं कि त तुमसे मैं हूं तुम ही से मैं चमकती हूं इन व्रती औरतों को और नहीं तरसाओ जल्दी से आकाश में निकल जाओ ताकि यह औरतें तुम्हारी पूजा कर अपने पति प्रीतम से पानी पीकर अपना व्रत तोड़ सकें ।

आखिर में चांद भी खुश हो जाता है की चांदनी ने उसकी बात मान ली है।

अब कोई अनबन ही नहीं है दोनों में कट्टी की जगह बट्टी हो गई है। और हंसते हुए चांद आकाश में निकल जाता है अपने रोज की जगह आ जाता है।

सभी   हर्ष उल्लास से खुश हो जाती हैं और त्योहार मनाने में लग जाते हैं।

इस तरह से चांद और चांदनी की अनबनी दूर हुई और व्रती औरतों ने अपना व्रत खोल खुशियां मनाई।

मंगल गीत गए और मजे मनाई नृत्य करें खाना खाया दावत कर आई और मजे करे।



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