Naheda Shaheen

Tragedy

4.0  

Naheda Shaheen

Tragedy

बुरी खबर

बुरी खबर

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नीलिमा आज सुबह उठकर सारे काम निपटा कर आराम से सोफे पर बैठ गई।नित्य प्रतिदिन के अनुसार उसने व्हाट्सएप पर मैसेज चेक करने के लिए फोन ऑन किया।

अरे,,,,, यह क्या,,,,, नीलिमा का दिल बेतहाशा धड़कने लगा उसने देखा हरिहर सर की चित्र के नीचे आर. आई। पी लिखा था।चित्र स्पष्ट नहीं था नीलिमा पहचान हो गई सोचने लगी जो देखा शायद वह भ्रम है या फिर कोई गलती, चहल कदमी साथ आंखों में आंसू।हरिहर सर से वह भलीभांति परिचित थी उनके मेडिकल स्टोर में आना-जाना पिछले 5 वर्षों से फोन पर उनसे बात भी होती थी नीलिमा अपनी ही विचारों में खोई रही फिर उसने अपने परिचित को फोन किया और यह पूछा क्या शिव शंभू मेडिकल स्टोर के हरिहर जी का निधन हो गया??! जवाब मिला कुछ ऐसा कि उसकी जिज्ञासा शांत ना हो पाई तत्पश्चात उसने दूसरे कांटेक्ट को फोन किया जवाब मिला "यह घटना सच है मैडम।" नीलिमा पुनः विचारों के बगीचे में टहलने लगी अचानक फोन की घंटी बज उठी जोर से आवाज आई मैडम आपको पता "हरी हर सर अब इस दुनिया में नहीं रहे"। नीलिमा निर्वाह परंतु उसके बेबस नैनो ने नीर बहाना बंद न किया रोते-रोते नीलिमा एक सवाल जवाब खुद से करने लगी

"क्या मौत इतनी सस्ती और हकीकत है तो जिंदगी जरूर अनमोल है!!! बच्चों ने उसे रोने ना दिया नीलिमा पूरी रात बेचैन रही वह यही सोचती रही कि मौत सस्ती है और हकीकत है पर जिंदगी अनमोल और खुशनुमा है पानी केरा बुदबुदा अस मानुस की जात देखते ही डूब जाएगा जो तारा प्रभात कबीर जी के दोहे को याद करते हुए नीलिमा भारी पलकों को उठाकर हरिहर सर के पवित्र आत्मा के उद्देश्य में हाथ जोड़कर नमन किया और पुनः जिंदगी रूपी गाड़ी को चलाने में जुट गई।


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