बसंती की बसंत पंचमी- 24
बसंती की बसंत पंचमी- 24
शाम को श्रीमती कुनकुनवाला आराम से बैठ कर टीवी देख रही थीं कि उनका बेटा जॉन आया।
आज सुबह की पार्टी का बचा खाना ही इतना रखा था कि श्रीमती कुनकुनवाला को इस समय रसोई में जाकर झांकने की भी जरूरत नहीं थी। किचन मे ढेर सारा खाना रखा हुआ और सबके पेट इस तरह भरे हुए कि खाने के नाम पर ही खीज आए।
बस इसीलिए वह इत्मीनान से टेबल पर पैर फ़ैला कर सोफे पर जमी हुई थीं।
लेकिन अचानक जॉन को देख कर श्रीमती कुनकुनवाला की आंखों में चमक आ गई। जॉन जेब से निकाल कर रुपए गिन रहा था। वह शायद मां को सुनाने के लिए ही ज़ोर ज़ोर से संख्या बोल रहा था।
जब दो हज़ार के नोटों की गिनती बढ़ती हुई लगभग लाख रुपए तक पहुंच गई तो श्रीमती कुनकुनवाला से न रहा गया। उनकी आंखें फ़ैल गईं। वो सोफे से उठीं और बेटे जॉन के करीब पहुंच गईं।
- कहां से लाया ये? किसके रुपए हैं? वो तेज़ आवाज़ में बोल पड़ीं।
जॉन ने ध्यान नहीं दिया। वह उसी तरह ज़ोर- ज़ोर से बोल कर रुपए गिनता रहा।
अरे बेटा, बता तो सही, ये लाखों रुपए किसके लेकर घूम रहा है? वो कुछ उतावली होकर बोलीं।
जॉन हंसा। फ़िर बोला- अरे मॉम, किसी और के रुपए क्यों लेकर घूमूंगा, मेरे ही हैं।
श्रीमती कुनकुनवाला एकदम से बेचैन हो गईं। सच बता, कहां से लाया है? कोई लोन- वोन तो नहीं उठा लिया किसी बैंक से? बेटा, आजकल उधार नहीं लेना चाहिए। तुझे पता है न, इतने दिनों के लॉकडाउन से सब धंधे कारोबार ठप्प हो गए हैं। इस समय बैंक पैसा दे तो देंगे मगर कोई काम धंधा नहीं चलने वाला। बेकार में ही कर्जा चढ़ा कर बैठ जाएगा तू। जा, जाकर वापस लौटा दे। श्रीमती कुनकुनवाला एक सांस में जल्दी जल्दी सब बोल गईं।
जॉन पर कोई असर नहीं पड़ा। वह उसी तरह शांति से बैठा नोट गिनता रहा और फ़िर धीरे से बोला- ओह मॉम, आप तो बिना बात के ही पीछे पड़ जाती हो। कहा न, किसी और के नहीं, बल्कि ये मेरे ही रुपए हैं।
अब श्रीमती कुनकुनवाला हत्थे से ही उखड़ गईं, डांटने के स्वर में बोलीं- तेरे पास कहां से आए इतने रुपए? कहीं चोरी -डकैती की है,या घर का कोई गहना उठा कर बेच आया?
जॉन ज़ोर से हंसा, बोला- थैंक्स मम्मी, थैंक्स! आपने तो मुझे और कई आइडियाज़ दे दिए कमाने के! वैल, अगर अब कोई और फाइनेंशियल प्रॉब्लम आई तो आपके आइडिया ट्राई किए जाएंगे, धन्यवाद !