बसंती की बसंत पंचमी- 13
बसंती की बसंत पंचमी- 13
इस सारी हड़बड़ी और काम के भारी दबाव के बीच में भी श्रीमती कुनकुनवाला को ये देख कर बहुत हैरानी हुई कि कॉलेज बंद हो जाने पर भी उनका बेटा जॉन अपनी पढ़ाई से बेपरवाह नहीं हुआ है। उनकी तमाम सहेलियां जहां उन्हें बताती रहती थीं कि स्कूल, कॉलेज बंद हो जाने से बच्चों ने लिखाई - पढ़ाई को तो पूरी तरह तिलांजलि दे दी है और सारा दिन या तो खेलकूद में लगे रहते हैं या फ़िर कोरोना के भय से घर में सहमे से छिपे रहते हैं।पर जॉन अक्सर अपने कमरे में पढ़ता पाया जाता था। शायद कॉलेज की लाइब्रेरी से ढेर सारी किताबें ले आया था इसीलिए उन्हीं में चिपका रहता।जॉन का एक शगल और था। घण्टों फ़ोन पर चिपके रहना। न जाने कितनी बातें थीं जो कभी ख़त्म होने में ही नहीं आती थीं।
श्रीमती कुनकुनवाला से ही शायद ये आदत लग लगी होगी उसको। वो तो अभी कुछ महीनों से ही उनके पास कोई काम वाली बाई न होने के कारण उनका फ़ोन प्रेम ज़रा कम हुआ था वरना तो वो भी अपनी सहेलियों से घंटों नॉन- स्टॉप बोलती ही पाई जाती थीं। श्रीमती वीर, श्रीमती धन्नाधोरे, श्रीमती बिजली, सभी का एक सा हाल था।
अरे लेकिन लड़के भला इतनी देर देर तक क्या बात करेंगे? बहुत हुआ तो पढ़ाई- लिखाई की बात कर ली या फ़िर दोस्तों की। पर आजकल तो दोनों ही बंद हैं क्योंकि कॉलेज ही बंद हैं।श्रीमती कुनकुनवाला के दिमाग में खटका हुआ। ये जॉन इतनी इतनी देर क्या बात करता है। लड़के आपस में इतना क्या बोलेंगे? ऐसा कौन दोस्त आ गया इसका, जो एक- एक घंटा फ़ोन ही नहीं रखता।
आखिर वो नहीं मानीं। दोपहर को खाने के काम से फ़्री हुईं तो चुपचाप जॉन के कमरे के बंद दरवाज़े के बाहर कान लगा कर खड़ी हो गईं। थोड़ी देर सुना...