बिटवीन द लाईन्स…
बिटवीन द लाईन्स…


"कोई माने या न माने जो कल तक थे अनजाने वो आज हमें जान से भी प्यारे हो गए...."
प्ले लिस्ट में यह गाना बज रहा था...
उसे अचरज़ हुआ…इस गाने ने कितने ही उसकी यादों के पिटारों को खोल दिया और
सालों पहले का सारा वाक़या उसके नज़रों के सामने किसी चल चित्र की भाँति चलने लगा...
वाकई में यही कुछ तो हुआ था उसके साथ भी...
कॉलेज में हम सभी अलग अलग प्रांतों से आये हुए स्टूडेंट्स थे। कोई किसी स्टेट का तो कोई किसी और स्टेट का। सबकी अपनी अलग अलग भाषा थी। वह दोनों भी अलग अलग स्टेट के थे लेकिन जल्दी ही दोनों की फ्रेंडशिप हो गयीं।
ऐसे ही एक दिन कॉलेज में फ़र्स्ट हाफ़ वाले लैक्चर्स के बाद उसने पास आकर कॉलेज ख़त्म होने के बाद मिलने को कहा था।
होगी कोई बात मन ही मन कहते हुए उसने भी हामी भर दी...
सेकंड हाफ़ में सारे लैक्चर्स ख़त्म होने के बाद वह क्लास में ही रुक गयी।
सब लोग जाने के बाद वह उसकी तरफ़ आया। एक नार्मल कन्वर्सेशन करने की मुद्रा में उसकी तरफ़ वह मुड़कर देखने लगी।
वह भी सामने बैठ गया। उस क्लास में वह रोज़ जाती रही थी…लेकिन ना जाने क्यों आज अब अचानक वह क्लास उसे डिफरेंट लगने लगी…
"कहो, तुमने आज कॉलेज ख़त्म होने के बाद रुकने को कहा था। क्या कोई पैसे की ज़रूरत है तुम्हें? बताओ, कितने रूपये चाहिए? दे देना फिर घर से तुम्हारे पैसे आने के बाद…" मेरे ये कहते ही वह हँसने लगा
…"अरे, ऐसी कोई बात नहीं…तुम ग़लत सोच रही हो…धीमी आवाज़ में उसने कहा," तुम मुझे अच्छी लगती हो…"
"हाँ, मैं बहुत अच्छी हूँ तो? और क्या तुमने यह सब कहने के लिए मुझे रुकने को कहा हैं?" उसने जरा ज़ोर देकर कहा…
"अरे, नहीं…तुम मुझे अच्छी लगती हो…मैं तुम से प्यार करने लगा हूँ…" उसने एक साँस में अपनी बात कह दी…
मैं हक्कीबक्की रह गयी…इसने यह क्या कह दिया है सोचते हुए किसी बुत की तरह उसे देखने लगी। वह स्ट्रैट मेरी आँखों में झाँकने लगा…न जाने उसके उन अल्फ़ाज़ों में क्या था की मुझे तब उसकी उन गहरी आँखों में देखने का ताब नहीं रहा…मेरी नज़रें झुक गयी…देर हो रही है…चलती हूँ…कहते हुए उसकी ओर देखे बग़ैर मैं वहाँ से निकल कर घर आ गयी…
शायद उसे जवाब मिल गया था…
एक एक चीज़...एक एक बात... उसी फाइन डिटेल्स के साथ उसे याद आने लगी... वह हैरान थी... पच्चीस-तीस साल पुरानी उन बातों को इतनी फाइन डिटेल्स के साथ याद आने की अनुभूति से वह चकित रह गयी...
क्या कहे इसे?
पागल पन?
या पागल मन?
आजकल पति उसे यह कहते हुए उलाहना देने लगे है की तुम्हारी याददाश्त कुछ कमज़ोर हो गयी है…तुम्हें मेरी चीजें अब याद नहीं रहती है....
प्ले लिस्ट में नेक्स्ट गाना बजने लगा…
"हमने देखी है उन आँखों की महकती ख़ुशबू प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो…"