बिना जरूरत की शॉपिंग का शौक
बिना जरूरत की शॉपिंग का शौक
उन्हें शॉपिंग करने का बहुत ही शौक था।
जब इच्छा होती या कोई भी ऑफर दिखती या कुछ नई फैशन दिखती, तो अपना बैग उठाया, हाय हील्स पहनी, कार की चाबी उठाई, और शॉपिंग के लिए चल दिए। उनको पैसे की कोई चिंता नहीं थी।
उनके हाथ में क्रेडिट कार्ड था।
पति की बहुत अच्छी जॉब थी। पैसा बचाने में नहीं खर्च करने में विश्वास रखते थे।
शॉपिंग का इतना ज्यादा शौक था ,कि घर में क्या है, क्या नहीं है, वॉर्डरोब में कितने कपड़े बिना पहने पड़े हैं, इनके टैग नहीं निकले हैं।
मगर इन मोहतरमा को तो अपने शौक शॉपिंग के क्रेज को पूरा करने से मतलब होता है।
कितनी बार उनके पति, बच्चे यह बात बोलते थे। अरे इतना सामान पड़ा है, आप फिर से लेकर आए। मगर वह किसी की सुनती भी नहीं। घर नौकरों के हवाले तो घर की कोई चिंता नहीं।
महानगर में अकेले रहना, रोकने वाला कोई नहीं। मौज मस्ती, शॉपिंग, पिक्चर, किटी पार्टी यही दुनिया बना दी थी।
इसी बीच में रिसेशन आया उनके पति की जॉब जा चुकी थी।
मगर उनकी आदत नहीं सुधरी।
क्रेडिट कार्ड का बिल ना भरने के कारण बहुत सारा कर्ज हो गया।
क्रेडिट कार्ड बंद करना पड़ा। और जिस लग्जरी में वे जी रहे थे, वह सब छोड़नी पड़ी।
आसमान में उड़ रहे थे, एकदम जमीन पर आप पटके। तब मोहतरमा की आंखें खुली।
तब लगा मैंने कुछ बचत करी होती, तो इस समय काम लगती।
अब तो ना घर के रहे न घाट के। पर अब पछताए क्या होत है जब चिड़िया चुग गई खेत। अभी भी अगर मेहनत करके अपना पेट पाल सकें तो अच्छा है।
तब उन्होंने परिस्थिति को समझा। और अपना पढ़ाई का हुनर काम में लेते हुए घर में ट्यूशन क्लास लेना चालू करा।
धीरे धीरे उनके ट्यूशन में यह बच्चे आने लगे। घर का काम भी चलने लगा। इस बीच उनके पति ने भी बहुत मेहनत करके और कोशिश करके दूसरी नौकरी हासिल करी
तो देखा आपने शॉपिंग का शौक शॉपिंग की दुनिया कहां से कहां ले गया। इसीलिए बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए यह कहावत सहीी है। तेते पांव पसारिए जेती लांबी सोर।