DINESH KUMAR KEER

Children Stories Tragedy Inspirational

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DINESH KUMAR KEER

Children Stories Tragedy Inspirational

बीमार काका

बीमार काका

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एक बार एक गांव में एक काका बहुत बीमार हो गए और उन्हें पास के ही एक शहर के अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा । 

कुछ दिन बीत जाने के बाद गांव के लोगों ने आपस में ये तय किया कि सब मिलकर शहर चलते हैं औऱ काका का हाल चाल लेते हैं। 

फ़िर सबके सामने समस्या ये उठ खड़ी हुई कि आखिर शहर चला कैसे जाए ???

बाद में सामुहिक रूप से ये तय किया गया कि सब मिलकर एक बड़ा टेंपू भाड़े पर लेते हैं और उसका किराया आपस में बांट लेंगें ।

भाड़े पर एक टेंपू ठीक किया गया जिसमें सिर्फ़ पंद्रह लोगों के बैठने भर की जगह थी । साथ ही उसका किराया एक सौ रुपए प्रति व्यक्ति तय हुआ लेकिन अंत में कुल मिलाकर चौदह लोग ही शहर जाने के लिए तैयार हुए। 

टेंपू चालक ने सब लोगों से बहुत ज़ोर से आग्रह किया औऱ कहा कि टेंपू में कुल पंद्रह सीट है , एक और व्यक्ति को जोड़ लो ताकि मेरी एक सीट खाली न हो , पर लाख प्रयास के बावजूद एक औऱ आदमी का इंतज़ाम न हो सका।

अब चौदह लोगों के साथ गाड़ी चलने ही वाली थी कि गली के आखिरी कोने पर गुड्डू दौड़ता और आवाज़ देता देखा गया।

गाड़ी के चौदह यात्री चीख़ पड़े....अबे गाड़ी जल्दी चलाओ, इसे हरगिज़ साथ मत ले जाना, ये साला पनौती तुम्हारा भी कुछ नुक़सान करेगा। 

लेकिन चालक ने जवाब दिया, पनौती है तो तुम्हारे लिए, मेरे लिए सौ रुपये की सवारी है,मैं हर कीमत पर उसे लूँगा। 

लोग चालक को गाली देने लगे । कुछ तो उसे मारने को भी उतारू हो गए । सभी के मन में सिर्फ़ यही भय था कि यदि गुड्डू उनके साथ गया तो जरुर कुछ न कुछ अनर्थ हो जाएगा ।

लेकिन चालक अपनी ज़िद पर अड़ा रहा ।

अब अन्य सवारों के पास कोई अन्य विकल्प नहीं था और सभी अपने गांव के गुड्डू जैसे किसी अनचाहे व्यक्ति के आने का इंतज़ार करने लगे।

गुड्डू हांपते कांपते हुए पहुंच गया, चालक ने दरवाज़ा खोला उसे अंदर लेने के लिए, लेकिन गुड्डू ने बाहर खड़े खड़े ही टूटी सांसों के साथ उन चौदह लोगों से कहा " काका रात को ही अस्पताल से घर आ गए हैं। सब गाडी से उतर जाओ, ख्वामखाह अस्पताल मत जाओ।


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