बहुत शुक्रिया बड़ी मेहरबानी
बहुत शुक्रिया बड़ी मेहरबानी
कौन ऐसा है जो अपने समय में रफी, मुकेश, लता,आशा के गानों दीवाना ना रहा हो ।
इश्क, मोहब्बत, प्यार
जिसने भी किया यार ,
गाये लता, रफी के गाने
किशोर के प्यार के तराने।
जो बहुत थे दीवाने देवदास
गाते थे मुकेश के दर्द भरे तराने ।।
ऐसा ही किस्सा आज मैं सुनाती हूँ-अपने स्कूल के जमाने का।
जिसमें नायक नायिका थे निशांत और काजल। ग्यारहवीं में नया-नया एडमिशन लिया था। खुशियों से भरपूर, उमंग उत्साह जैसे दोनों में रचा बसा था,जहां भी बैठ जाते खुशियां मानो वहीं जम जातीं। पूरी क्लास में लगभग सभी उनके दीवाने थे। उनके गानों और उनकी आवाज़ के।
जहां वे दोनों होते, वहीं महफ़िल जम जाती और वो कई बार हंसकर कहते,-
मैं और तुम ,
तुम और मैं
और जम गई महफ़िल... !!
दरअसल ऐसा कुछ भी नहीं था, ना... ना..
जैसा आप सोच रहे हैं, उन दोनों के बीच इश्क ,प्यार, मोहब्बत जैसी चीज नहीं थी। बस दोनों की रुचियां मिलती थी और स्वभाव भी।
धीरे-धीरे दोनों अपने गानों और प्यारी आवाज के कारण फेमस हो गए थे। यहां तक कि स्कूल के सभी अध्यापक भी उन्हें पसंद करने लगे थे और जब भी स्कूल में कोई फंक्शन होता दोनों को उस में भाग लेना अनिवार्य था।
इस प्रकार यह जोड़ी स्वयं नहीं बनी थी बल्कि सभी ने मिलकर अपने फुल एंजॉयमेंट के लिए बनवा दी थी।
उस समय माहौल कुछ ऐसा था कि खुले आम लड़के लड़की एक साथ, घूमा- फिरा भी नहीं करते थे। एक सामाजिक दूरी सभी के बीच होती थी। प्यार, मोहब्बत जैसी चीजें छुप-छुप के हुआ करती थीं। इशारे होते थे, गानों की चुनिंदा लाइनें गाई जाती थीं, दिल की बात बताने को। किसी के जरिए पत्र पहुंचाए जाते थे। फूलों की अदला-बदली ,फूल तोड़ कर मारना ,बस इन्हीं से प्रेम पुजारियों का गुजारा होता था।
कभी किसी प्रेमी साथी जोड़े के लिए गाना गाते नजर आते। वे गाते-
मैं एक राजा हूं
तू एक रानी है
प्रेम नगर की...
तो किसी के लिए-
ये रेशमी जुल्फें
ये शरबती आंखें
इन्हें देखकर जी रहे हैं सभी ।
कभी बातें खत की होतीं-
लिखे जो खत तुझे ,
वो तेरी याद में
हजारों रंग के नजारे
बन गए ...
और कभी सुन्दरता की तारीफ़ और वफ़ा का वादा-
चांद मेरा दिल चांदनी हो तुम ...
या फिर
चुरा लिया है तुमने जो दिल को
नजर नहीं चुराना सनम....।
ये दूसरों के द्वारा बनाई गई जोड़ी बारहवीं कक्षा तक आते-आते ऐसी साथ जुड़ी कि एक-दूसरे के बिना उनकी कोई कल्पना ही नहीं करता था।
लड़कियों की तरफ से काजल और लड़कों की तरफ से निशांत गाने गा-गाकर एक के मन की बात दूसरे तक पहुंचा दिया करते थे। जिस दिन वे स्कूल नहीं आया करते, हर प्रेमी जोड़ा उदास हो जाता।
वैसे कई बार साथी उन दोनों को भी छेड़ा करते कि उनकी जोड़ी बहुत अच्छी है। दोनों की रुचियां भी एक जैसी हैं, लेकिन वे कहते कि वह बहुत अच्छे दोस्त हैं। एक-दूसरे को पसंद भी करते हैं लेकिन प्यार, इश्क, मोहब्बत जैसा कुछ नहीं है।
वह सिर्फ अपने दोस्तों की मदद करते हैं। विशेष रुप से काजल का कहना था कि वह इस तरह किसी से अपना रिश्ता नहीं जोड़ेगी। उसका परिवार उसके लिए पहली प्राथमिकता है और उसकी संस्कृति उसे इस बात की इजाजत नहीं देती कि वह अपना जीवन साथी अपने मां-बाप की मर्जी के बिना स्वयं चुने। तो यह रिश्ता सिर्फ दोस्ती तक ही सीमित है और हमेशा ऐसा ही रहेगा। निशांत भी उसकी बात से सहमत था। दोनों की ये प्यारी दोस्ती भी सबको बहुत प्यारी थी। इसी तरह कब बारहवीं की परीक्षा आ गई पता ही ना लगा?
परीक्षा हो गई और हम सब बिछड़ गए कोई आगे की पढ़ाई के लिए बाहर गया, कोई अलग कॉलेज में तो किसी की शादी हो गयी।
फिर एक दिन पांच साल बाद मेरे पास एक फोन आया काजल का। उसकी शादी थी और उसने मुझे इनवाइट किया था। मेहंदी संगीत के फंक्शन में, साथ ही रिंग सेरेमनी भी थी। मैं बहुत खुश थी इतने समय बाद उससे फोन पर मिलकर। फोन पर ज्यादा बात नहीं हो पाई और मैं उसके यहां जाने की तैयारी करने लगी।
तय समय पर जिस होटल का उसने पता दिया था, वहां पहुंची मैं आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी में भर गई ,जब मैंने होटल में स्वागत पोस्टर पर काजल और निशांत की फोटो देखी और नाम भी। कितना सुखद था! यह देखना कि जिस जोड़े को हम सभी साथ देखना चाहते थे, वह सच में साथ हो रहे थे। जब मैं अंदर दाखिल हुई ,बहुत सुंदर प्यारा वातावरण था। मंच पर काजोल- निशांत सुंदर पारम्परिक वेशभूषा में बहुत ही प्यारे लग रहे थे। उनके चेहरे की खुशी उनकी खूबसूरती को बढ़ा रही थी।
मोहम्मद रफ़ी का उनका मनपसंद गाना चल रहा था।
आप यूं ही अगर हमसे मिलते रहे।
देखिये एक दिन प्यार हो जायेगा।।...
ये गाने वातावरण को बहुत ही खूबसूरत बना रहे थे जैसे श्रृंगार रस अपना सारा रस बिखेर रहा हो। प्यार की खुशबू में मदहोश सभी जोड़े एक दूसरे में इस तरह खोए हुए नृत्य कर रहे थे ,मानो वहां वो अकेले हों।
बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है.... शुरू हो चुका था।
मैंने मंच पर जाकर उन दोनों को बधाई दी। काजल के गले लगी। निशांत ने भी हाथ मिलाकर मेरा वेलकम किया।
तभी हमारे स्कूल टाइम के चार-पांच मित्र और आ गए और हम सब इस जोड़े को फिर हमेशा के लिए साथ होता देख खुश हो गये। रिंग सेरेमनी की रस्में वगैरह हुईं। सब ने तालियों से नए जोड़े का स्वागत किया और उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभ मंगल कामनाएं कीं और फिर गाना बज उठा।
बहुत शुक्रिया बड़ी मेहरबानी, मेरी जिन्दगी में हुजूर आप आये।......
और हमारे स्कूली नायक नायिका के जीवन का सुखद अध्याय शुरू हुआ।