Ragini Pathak

Inspirational

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Ragini Pathak

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बहु की याददाश्त

बहु की याददाश्त

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रश्मि जब से ससुराल आयी उसने हर रिश्ते को खूबसूरती से निभाया। पति के साथ दूसरे शहर में रहने के बावजूद वो सबके जन्मदिन पर सबसे पहले फोन करती।चाहे किसी का जन्मदिन हो या कोई और फंक्शन सब को सेलिब्रेट करने में हमेशा बढ़ चढ़ दस काम करती। उसको सबके जन्मदिन से लेकर सालगिरह तक सब याद रहता और सबको सबसे पहले मुबारक बाद भी वही देती। लेकिन हमेशा उसका और उसके बच्चों का जन्मदिन और सालगिरह ससुराल के सभी सदस्य भूल जाते।उसने कभी इन बातों को उतना तबज्जो नही दिया। ताकि परिवार में प्यार बना रहे।लेकिन उसको बुरा तब लगता था जब सब उसके दोनों बेटियों का जन्मदिन भी भूल जाते थे। रश्मि ही आगे से फोन करती कि चलो बच्चों बड़ो का आशीर्वाद ले लेते है। उसके

पति को वैसे भी किसी का जन्मदिन याद नही रहता था इसलिए रश्मि अनिकेत को भी जन्मदिन वाले दिन सबसे पहले याद दिला देती फोन करके जन्मदिन की बधाई देने के लिए।

इसबार रश्मि परिवार के साथ ननद निशा के यहाँ गृहप्रवेश की पूजा मे आयी थी। निशा ने अपने बेटे के जन्मदिन के दिन ही नए घर के गृहप्रवेश की पूजा भी रखी थी उन्होंने सबको बुलाया था पूरा प्रोग्राम अच्छे से हुआ सबकुछ अच्छे से बीत गया।

अगले दिन दोपहर के खाने के बाद रश्मि अपनी बेटी के लिए पानी लेने रसोई में गयी तो उसने सास और ननद को बात करते सुना।

"माँ भाभी कब तक रुकने वाली है। क्योंकि कल तो उनका जन्मदिन भी है। वरना मनाना पड़ेगा"'-ननद ने कहा

"नही कल की फ्लाइट है और कौन सा जरूरी जन्मदिन तू तो अपना ,दामादजी का और मेरे नातियों का ध्यान दे बस। वैसे भी अभी इतना सब खर्च किया। फालतू के खर्चे की कोई जरूरत नही।"

रश्मि को अपनी कानों पर भरोसा नही हो रहा था कि जिस परिवार के लिए वो इतना कुछ करती है। वही परिवार उसके जन्मदिन को लेकर ऐसी सोच रखता है।उसने ये बात जब अपने अनिकेत से कही तो वो उसपर ही भड़क कर कहने लगे ।

""अच्छा तो अब तुम बदला लेना चाहती हो।"" अब तुम एक जन्मदिन के लिए घर मे झगड़े करोगी। नही याद रहा तो नही याद रहा। इसमें क्या इतना सोचना। किसी ने तुमसे कहा क्या कभी की मेरा जन्मदिन याद रखना जरूरी है।"

रश्मि समझ चुकी थी कि अब किसी से कुछ बोलकर कोई फायदा नही। सब उसको ही झूठा और बुरा साबित कर देंगे।

अगले दिन रश्मि फ्लाइट से कुछ घंटों में घर पहुंच गई। सबने उस के जन्मदिन की बधाई दी। लेकिन ससुराल की तरफ से किसी का भी फोन नही आया।

तीन महीने बाद ही दोनो नन्दोई और एक ननद का जन्मदिन आने वाला था । रश्मि को याद था लेकिन इस बार उसने ठान रखी थी कि अब वो भी"''' जैसे को तैसा ""'' वाला सबक सिखा कर ही रहेगी। उसने तीनो में से किसी को भी फोन नही किया ना ही अनिकेत को याद कराया। सबका गुस्सा सातवें आसमान पर था। रोज के हाल समाचार के फोन भी गुस्से में आने बंद हो गए।

एकदिन अनिकेत ने कहा ""यार इस पूरे महिने माँ ने ना तो मुझे फोन किया। ना ही मेरे फोन का रिप्लाय किया है। अगर कभी उठ जाता है तो ह्म्म्म हाँ कर के काम का बहाना कर के माँ फोन रख देती है। "'''

रश्मि को पता था कि उनकी नाराजगी उनके बेटी दामाद को जन्मदिन की शुभकामनाएं ना देने के कारण है। लेकिन उसने अनिकेत के सामने अनजान बनने का नाटक करते हुए कहा """अनिकेत इसमें इतना क्या सोच रहे हो कही बिजी हो गी।इसलिए नही किया होगा।या कोई मेहमान आ जाता होगा तो रख देती होंगी.


कुछ महीनों बाद बड़ी ननद का जन्मदिन था जिसे रश्मी की सास सबसे ज्यादा प्यार करती थी। इस बार उनके जन्मदिन पर जब उनको रश्मि ने फोन नही किया तो उनके गुस्से का गुब्बारा फुट पड़ा। शाम को रश्मि की सास ने फोन किया। फोन अनिकेत ने उठाया,क्योंकि रश्मि रसोई के काम मे व्यस्त थी।

अनिकेत फोन स्पीकर पर करके रश्मि के पास फोन रख के चला गया ।क्योंकि उसके फोन पर उसके दोस्त का फ़ोन आया हुआ था

रश्मि ने कहा"प्रणाम माँजी!"

उधर से रश्मि की सास ने कहा""ये सब फॉर्ममेलिटी छोड़ो पहले ये बताओ कि तुमने अपने ननद नंदोई को जन्मदिन की बधाई क्यों नही दी?ये क्या तरीका होता है। रिश्ते निभाने का। और अनिकेत ने भी फोन नही किया।"""


ओह्ह फ़ ओह्ह !!माँजी मैं तो भूल ही गयी थी मुझे तो याद ही नही रहा कि जन्मदिन भी था। आप तो जानती है कि दो बच्चो के साथ कितना काम बढ़ जाता है। उनके आगे कुछ याद ही नही रह पाता। अनिकेत को तो याद रखना चाहिए था लेकिन वो कैसे भूल गए पता नही??आप तो कहती है कि अनिकेत को सब याद रहता है।


"बहु क्या सच मे तुम्हारी याददाश्त कमजोर हो गयी है तो बादाम खाओ।ये सब बहाने बाजी बंद करो। समझी .... दस साल हो जाएंगे कल तुमको इस घर मे आये। और तुमको याद ही नही रहा। ससुराल के प्रति भी तुम्हारे कुछ फर्ज है उन्हें भी याद रखा करो तो अच्छा होगा।अब चलो माफी मांगों। सब कॉन्फ्रेंस कॉल पर फोन पर ही है।"


"माँजी मैं किसी से भी माफी नही मागूँगी। मेरा जन्मदिन यहाँ तक कि मेरी बेटियों का जन्मदिन तो हर साल ही सब भूल जाते हैं। तब तो मैं सबको माफी मांगने के लिए नही कहती। एकबार मैं भूल गयी तो इतना शोर। अगर ससुराल वालों के प्रति बहु के कर्तव्य होते है तो क्या बहु के प्रति ससुराल वालों के कुछ भी कर्तव्य नही होते। आपने बिलकुल सही कहा की मुझे आये इस घर में 10 साल होगये लेकिन अफसोस आप सब को ये बात अब याद आयी। आप सही कह रही है कि मुझे याद था मैंने जानबूझकर नही किया। क्योंकि मैं भी आपसब की तरह खर्चे से अब बचना ही चाहूँगी। अब पहले जैसी गलती नही करूँगी। अब मैं सिर्फ उनके ही जन्मदिन याद रखूंगी जो मेरा और मेरे बच्चों का जन्मदिन याद रखेंगे। रखती हूं।"

पीछे खड़े अनिकेत ने सारी बाते सुनी लेकिन चुपचाप खड़ा रहा। क्योंकि आज उसको अपनी गलती का एहसास हो गया था।



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