Akanksha Gupta

Horror

3.8  

Akanksha Gupta

Horror

भटकती रूह

भटकती रूह

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रात के दो बज रहे थे लेकिन हृदय की आँखों में नींद नहीं थीं। बाहर बहुत तेज बारिश हो रही थीं। हृदय अपने फ्लैट की बालकनी में बैठा हुआ कॉफी पी रहा था। बारिश की बूंदें हवा के साथ बालकनी में आ रही थी। बीच बीच में बिजली भी कड़क रही थीं।


जब हृदय की कॉफी ख़त्म होने वाली थी तभी बिजली की रोशनी में उसे एक औरत का साया दिखाई दिया। एक बार तो उसे लगा कि उसने यह साया कहीं तो देखा है लेकिन कहाँ उसे याद नहीं आ रहा था। अगली बार जैसे ही बिजली चमकी वैसे ही हृदय के होश उड़ गए। वो साया उसके सामने था। और वो कोई और नहीं बल्कि उसकी पत्नी नीलिमा थी जो दो साल पहले मर चुकी थीं।


“नीलिमा........तुम! तुम यहाँ कैसे?” हृदय ने हकलाते हुए पूछा। उसके माथे पर पसीने की बूंदे उभर आई थीं।


“क्या हुआ डार्लिंग? इस ठंडे मौसम में तुम्हारे पसीने छूट रहे हैं? जरा सामने तो देखो, कितना रोमांटिक मौसम हैं।” नीलिमा के इतना कहते ही जैसे ही हृदय ने ऊपर देखा आसमान से खून की बारिश हो रही थीं। ऐसा देखते ही हृदय कमरे के अंदर भागा। अंदर आकर उसने देखा तो नीलिमा वहीं पर खड़ी हुई उसे घूर रही थीं। हृदय का गला सूख गया। उसकी धड़कने बढ़ गई। वो हाँफने लगा। उसने नीलिमा से माफ़ी मांगते हुए कहा- “मुझे माफ़ कर दो, मैं मजबूर था और अपनी जान बचाने के लिए अंधा हो गया था।”


“और अपने इसी लालच के चलते तुमने शादी के अगले ही दिन मुझे इसी बालकनी से नीचे धक्का दे दिया था।” नीलिमा का चेहरा पिघल कर गिरता जा रहा था जिसे देखकर हृदय बहुत डर गया था। उसने कहा- “मैं और क्या करता? हमारे कुलपुरोहित के कहे अनुसार मेरे जीवन को बचाने के लिए मेरी पहली पत्नी की मृत्यु होनी चाहिए थी इसलिए मैंने तुम्हें धक्का देकर मार दिया। मुझे माफ़ कर दो, मैं तुम्हें मारना नहीं चाहता था।”हृदय ने हाथ जोड़कर कर कहा। वो बहुत घबराया हुआ था।


“लेकिन मैं तो तुम्हें मारना चाहती हूँ। अपनी हत्या का बदला लेना चाहती हूँ मैं जिसे तुमने एक हादसा बना दिया।” इतना कहकर नीलिमा हृदय की ओर बढ़ती है। हृदय अपनी जान बचाने के लिए पीछे हटता हैं लेकिन जल्द ही उसकी चीख हवा में गूँजती हैं।


अगले दिन हृदय के फ्लैट के बाहर भीड़ लगी हुई थीं। एक आदमी कह रहा था- “बेचारे डॉक्टर साहब, बड़े ही बदकिस्मत थे। शादी के अगले ही दिन पत्नी चल बसी। फिर उसकी याद में ऐसे बावरे हुए कि हर जगह इन्हें वही दिखाई देती रही। और अब दो साल बाद यह भी ऐसे ही संसार छोड़ गए।”


दूसरे आदमी ने कहा- “क्या पता, क्या कर्ज चुकाने आये थे जो पूरा करते ही चले गए।”


यह सब बातें कोई सुन रहा था और वो था हृदय की भटकती हुई रूह।


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