भगवान का लिफाफा
भगवान का लिफाफा
मोहिनी जी ठाकुर जी की सेवा में लगी थी मंदिर का सामान व्यवस्थित कर रही थी आज 2 तारीख है भगवान आपकी कृपा हमेशा बनी रहे मेरे दोनों बेटों की अच्छी नौकरी हो बेटी को अच्छा घर बार मिले वह भी परीक्षा में सफलता प्राप्त करें।और ठाकुर जी के सामने कहने लगी तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मोरा।
मोहिनी जी ने अपने पति प्रभु सिंह जी का आवाज लगाकर कहा "अजी सुनते हो कल जो तुम पेंशन के पैसे लाए थे वह अलमारी से लाकर मुझे पूजा घर में दे दो। "
प्रभु सिंह जी "मैडम आपकी ही सुन रहा हूं और रिटायरमेंट के बाद चारा भी क्या है यह लो" ।
और मोहिनी जी को पेंशन लाकर पकड़ा दी।
मोहिनी जी ने भगवान के चरणों में पेंशन रखी फिर उन्होंने भगवान के नाम पर ₹2000 निकालकर एक बंद लिफाफा जिसमें बाहर लिखा हुआ था "भगवान का लिफाफा" खोल उसने रख दिए। इतने में ही मोहिनी जी के पुत्र पुत्री पूजा घर में दर्शन करने आ गए। मोहिनी जी की बेटी आरती ने अपनी मां को लिफाफे में पैसे रखते हुए देख कर बोला मां भगवान के लिफाफे में बहुत रुपए इकट्ठे हो गए होंगे। मां यह तुम्हारा बंद लिफाफा लाख का तो होगा ही।
मोहिनी जी ने मुस्कुराकर आरती को कहा कि बेटा यह लिफाफा बहुत कीमती है इसका धन कभी नहीं घटता यह तो अनमोल है जो भगवान ने ही हमको दिया है। भगवान के लिए हम जो छोटी बचत रखते हैं वह भगवान हमारी सहायता के लिए ही रखते हैं आज इनकी कृपा से ही सब कुछ है।
तभी प्रभु सिंह जी ने कहा कि "सच कह रही है बेटा तुम्हारी मां ,जब मेरी आमदनी कम थी तब भी यह भगवान के लिफाफे में बचत रखती थी और अब भी । भगवान के इस लिफाफे ने कई परेशानियों में बहुत साथ दिया है और तो और ईश्वर के लिए जो भी धार्मिक कार्य पूजा-पाठ किए उसमें भगवान के लिफाफे ने ही सफल बनाया है ।"
तीनों बच्चों ने भगवान को प्रणाम किया और अपने जीवन में जो भी आमदनी रही उसमें भगवान का लिफाफा हमेशा बनाए रखा ।
दोस्तों मेरे पास भी भगवान का बंद लिफाफा लाख का है। जो मेरी हर परेशानी में साथ देता है और मेरे उपयोगी समय में काम भी आता है।