rekha karri

Tragedy Inspirational

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Tragedy Inspirational

बहाने बाजी

बहाने बाजी

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शिखा जब छोटी थी तब से उसके बहाने चल रहे हैं । बचपन में दूध न पीने का बहाना बना दिया था । माँ उसके पीछे खाना दूध लेकर भागती थी और दादी माँ को डाँटती थी कि उसे जबरन मत खिला मैं हूँ ना देख लूँगी बस फिर क्या शिखा की माँ को बहाना मिल गया और उसने शिखा की ज़िम्मेदारी सास पर छोड़ दिया था 

सास को अच्छा लगता था शिखा को पालने में दादी का साथ मिलते ही शिखा के बहाने और ज़्यादा हो गए थे । शिखा को स्कूल में भर्ती कराया गया था आए दिन वह स्कूल न जाने के बहाने ढूँढा करती थी । छोटी थी पर होशियार थी । सुबह स्कूल जाने के समय तक सोई रहती थी दादी कहती थी कि उसे मत उठाओ उठते ही रोना शुरू कर देगी । सब उनकी बात मानकर उसे उठाते नहीं थे और वह स्कूल के लिए देर हो गई है बहाना बनाकर स्कूल नहीं जाती थी । प्रायमरी मिडिल स्कूल तक ऐसे ही बहाने बनाते हुए उसने समय गुजार दिया था इसका नतीजा यह हुआ कि उसे कम से कम चार स्कूल बदलने पड़े थे । अब वह हाई स्कूल में पहुँच गई थी । सब लोगों ने सोचा शायद अब वह सुधर जाएगी परंतु यह क्या यहाँ पर भी स्कूल जाने के पहले उसे कुछ न कुछ बीमारी हो जाती थी और वह स्कूल नहीं जाती थी । किसी तरह ले देकर उसने दसवीं और बारहवीं पास कर लिया था । सबने हँसते हुए कहा कि बी ए की पढ़ाई कर ले आसान है तू कॉलेज न जाने के बहाने कर भी ले तो भी पास हो जाएगी । शिखा को दिखाना भी था कि वह कितनी होशियार है इसीलिए उसने बी एस सी पढ़ने का फ़ैसला किया था । 


दादी और पोती की बात को कोई काट नहीं सकता था । ख़ैर अब साल शुरू हुआ और शिखा के बहाने शुरू हो गए थे । उसने तीन साल की पढ़ाई को पाँच साल में पूरी की थी । उसका बस चलता तो शायद पूरा जीवन लगा देती पास होने में फिर भी दादी ने कहा कि अब वह पोस्ट ग्रेजुएट करेगी । सबने एक ही सुर में कहा ओह नहीं पोस्ट ग्रेजुएट करने के लिए शिखा को और चार लगेंगे इससे अच्छा है उसकी शादी करा दें । दादी को भी यह बात अच्छी लगी और शिखा के लिए रिश्ते ढूँढने लगी । शिखा के लिए एक अच्छा रिश्ता मिला शादी भी हो गई परंतु शिखा तो शिखा ही है बहाने बाज वहाँ ससुराल में काम करना पड़ेगा इसलिए वहाँ अपने पति से सास से बहाने बनाकर मायके में आकर बैठ जाती है । चाचा चाची और बाकी रिश्तेदार सभी उसे बहानेबाज़ी में माहिर का ख़िताब दे दिया था । 

बहाने मारने के लिए कुछ नहीं समझ में नहीं आ रहा है चलो शिखा से पूछ लो उसके पास बहानों का भंडार है । 

दोस्तों बचपन से ही बच्चों में इसकी आदत नहीं डलने देना चाहिए । हम बड़ों को ही दिल घट करके सही समय पर सही निर्णय लेना चाहिए । 


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