बदनाम करने की साजिश को नाकाम करती बहादुर लड़की
बदनाम करने की साजिश को नाकाम करती बहादुर लड़की
अफवाह फैलने में कितनी जल्दी फैलती है।
किसी अच्छे इंसान को भी बदनाम करने में अफवाह का बड़ा हाथ होता है। लोग सच्चाई तक पहुंचाने की कोशिश ही नहीं करते मगर मैं कोशिश करी ।
जब सच्चाई तक पहुंचते हैं तब क्या निकलता है। यह सच्ची कहानी
नीरा एक रिटायर्ड मेजर की बेटी थी।
उसके पिता अपने परिवार के साथ में रहने आए थे ।
उन्होंने किराए का मकान लिया, और रहने लगे।
नीरा के तीन बहने और थी ।उसकी मम्मी थोड़ी साइकिक थी।
सभी बहनें इंग्लिश मीडियम में पढ़ती थी।
थोड़ी बिंदास थीं ,सब से बात वात करती थी ।
लड़के लड़कियों का भेद नहीं था। सभी तरह के दोस्त थे।
अच्छी फैमिली थी।
मुझे नीरा काफी अच्छी लगती थी। मगर पता नहीं क्यों सब लोग उस को बदनाम मानते थे।
मैंने उससे दोस्ती करी सब लोगों के एतराज के बावजूद भी ,ऐसे ही एक दिन हम लोग जा रहे थे, तो मैंने उससे पूछा कि यह लोगों ने तुम को बदनाम क्यों कर दिया है क्योंकि बद अच्छा बदनाम बुरा।
तुम्हारा नाम बदनाम होने से लोग तुमसे बात नहीं करते हैं ।
अभी तो तुम को इस मोहल्ले में आए हुए थोड़े दिन ही हुए हैं तो ऐसी क्या बात हो गई जिससे कि तुम इन सब में बदनाम कहलाने लगी हो ।
कोई तुमसे बात नहीं करना चाहता ।
उसने जो बात बताई उसमें वह बड़ी चौंका देने वाली थी।
हमारी कॉलोनी के बाहर एक मार्केट है जो जनता स्टोर के नाम से मशहूर है ।
वहां पर बहुत सारे मनचले लड़के बहुत घरों के लड़के टोले बनाकर खड़े रहते थे ।
उसी में से किसी ने उसके ऊपर ताना कशी करी होगी, और छेड़ा होगा।
वह ब्लैक बेल्ट कराटे चैंपियन थी। उसने उस लड़के को बहुत मारा उस लड़के और उस ग्रुप ने शर्म से बचने के लिए उस लड़की को ही बदनाम कर दिया।
और लोग क्योंकि वह नयी आई थी जानते नहीं थे उस लड़के की बातों में आ गए और सब ने उसको बदनाम मान लिया।
जब मैंने कहानी की हकीकत पता करी तो जनता स्टोर वाले अंकल ने बताया कि हां यह सही बात है ।
यह लड़के यहां खड़े होकर सब की सब पर ताना कशी करते रहते हैं, लड़कियों को छेड़ते हैं ।
हम कहते तो सुनते नहीं हैं और नीरा ने उनको मारा तो अच्छा करा। उसने सब मार्केट वालों के सामने ही इनको बहुत मारा था। और बस खुद बदनाम ना हो, इसलिए इन्होंने उस को बदनाम कर दिया है ।
यही बात मैंने मेरे सब दोस्तों को बताई ।
उन लोगों को भी हकीकत पता लगी, और सब ने उसको अपना दोस्त बना लिया और वह हमारी ग्रुप फ्रेंड बन गई ।
इसीलिए कहते हैं कि खाली सुनी सुनाई बात पर विश्वास ना करें। जब तक सच्चाई की तह तकना जाए तब तक कोई बात को ना माने और किसी की बदनामी को तो बिल्कुल ना माने।
यह दुनिया अपने दोष छिपाने के लिए भी दूसरे को बदनाम करती है।