Vimla Jain

Tragedy Inspirational

4.0  

Vimla Jain

Tragedy Inspirational

और खुशियां लौट आई

और खुशियां लौट आई

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8 अगस्त 2003 की बात है, रात के 11:00 बजे होंगे।

मेरी सासू मां उठ करके जैसे ही उन्होंने बाहर जाने के लिए कदम बढ़ाया, वो एकदम लहरा कर गिरने लगी। पीछे से आकर मेरी बड़ी बिटिया ने उनको थाम लिया। और एकदम बिस्तर पर लिटाया, और एकदम से शोर मचाया बाई जी को क्या हो गया। सब लोग दौड़कर आए, मेरे हस्बैंड जो डॉक्टर हैं। ने उनको देखा, चेक किया, बोले इनको तो पैरालिसिस हो गया है ।उसी समय वह और बड़ी वाली बेटी इमरजेंसी ट्रीटमेंट कर दवाइयां लेने मार्केट गए।

मेरी छोटी बेटी मेडिकल कंप्लीट करा ही था, और इंटर्नशिप कर रही थी। साथ में एक हॉस्पिटल में आईसीयू में काम भी कर रही थी, वह घर पर थी। उसने देखा कि बाई जी को पैरालिसिस का अटैक बढ़ रहा है ।और उनके गले में भी असर होने लगा है।

तो उसने जबरदस्ती इमरजेंसी में बाई जी को दवाई दी बहुत ही मुश्किल से, उनका नाक पकड़ कर के उनको दवा गलाई। उससे उनका वह गले के अंदर जो पैरालिसिस फैल रहा था, वह बंद हो गया ।

इतनी ही देर में यह लोग दवा लेकर के आ गए थे। और सब ट्रीटमेंट चालू करा। उनको हंड्रेड परसेंट पैरालिसिस हुआ था। और एकदम हाथ-पांव कुछ भी नहीं हिल रहे थे। खाली मुंह के अंदर से खाना जा रहा था। एकदम बिस्तर पर ही पड़ गए थे। उस समय 3 महीने की छुट्टी लेकर के मेरे पति ने और बिटिया ने उनकी बहुत सेवा करी, बहुत ध्यान रखा, एक्सरसाइज वगैरा सब, काफी करवाया, मतलब जो जरूरत थी, वह सब किया।

एक दिन हम सब जने उनके रूम में बैठे थे। और बाईजी के सब बच्चे पूरा परिवार इकट्ठा हुआ था ।सब उनको घेर कर बैठे थे। और एकदम से मेरे बेटे ने देखा बाई जी के हाथ की उंगलियां हिल रही है थोड़ी-थोड़ी, वह देख कर के सब इतना खुश हुए कि यह अब ठीक हो रहा है। थोड़ी देर बाद उनका हाथ हिलने लगा। फिर उन्होंने हाथ को ऊपर करा ।घर में खुशी की लहर दौड़ गई। इतना खुश हो गए सब जने, ऐसा लगा सारी खुशियां लौट आई ।उस दिन को हम भूल नहीं सकते हैं, जब पैरालिसिस मैं से धीरे-धीरे उन्होंने हाथ हिलाया। उसके बाद तो धीरे-धीरे वह काफी अच्छी हो गई। बस अभी हैं तो 16 साल से बिस्तर में, मगर तो भी खाली पांव के सिवाय काफी कुछ अच्छा हो गया है। चल नहीं पाती हैं पर काफी ठीक है ।91 साल की उम्र में जो हंड्रेड परसेंट पैरालिसिस था। वह खाली पांवों में रहा है। बाकी ठीक है।

अभी वह 107 साल की हैं। और हमको उनका आशीर्वाद मिलता रहता है।

6 जनवरी 1921 को वे अनंत में विलीन हो गए हमारा साथ छोड़ गया आशीर्वाद के साथ में हमको छोड़ गए।



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