असली सिक्का
असली सिक्का
आज वह मजदूर का बच्चा उस हमउम्र अमीर लड़की से कहीं अधिक परिपक्व नजर आया। जब उस लड़की के परिवार का सामान लादे वह फ्लाईओवर पर तीसरे प्लेटफार्म की सीढ़ियों पर उतर रही लड़की से बोला "मेडमजी यहीं खड़े रहिए आपके पिताजी को कैसे पता चलेगा कि, उनका सामान और बेटी दूसरे या तीसरे प्लेटफार्म पर उतरे हैं।" वह लड़की कह उठी "अरे मैंने तो यह सोचा ही नहीं" और जब उस लड़की के पिताजी यह जानकारी लेकर आए कि, रेलगाड़ी दूसरे प्लेटफार्म पर आने वाली है तो उस लड़की ने अपने पिताजी को उस मजदूर पुत्र की समझदारी के बारे में बताकर उसका धन्यवाद किया। लेकिन मैं जो कि इस घटना की चश्मदीद गवाह थी मजदूर बेटे की तीक्ष्ण बुद्धि और चपलता से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी और उसके पीछे जाकर उसे रोककर उससे बातें की। फिर उससे पूछा कि, क्या तुम पढ़ना चाहते हो? उसके बिना बोले ही उसकी आंखों की चमक सब बोल गई। फिर क्या था उसके पिताजी से बात कर उसकी पढ़ाई और खाने का पूरा खर्च मैंने उठाने का निर्णय लिया। आज वह एक होनहार विद्यार्थी के रूप में विद्यालय का नाम रोशन कर रहा है। वह वाकई में एक हीरा है जरूरत थी तो सिर्फ उसे तराशने की।