Ira Johri

Abstract

4  

Ira Johri

Abstract

अपराध

अपराध

3 mins
190


बलात्कार कारण और निवारण !

हमारा दृष्टि कोण !

छोटी सी एक कोशिश-- 

कपड़े छोटे क्यों पहनें ? 

अभिव्यक्ति की आजादी क्यों ?

 तू हंसी क्यों ?

 नजर उठा कर क्यों देखा ? 

भीड़ में क्यों गयी ?

 (रात या दिन कभी भी) अकेली क्यों निकली ? 

जबान क्यों चलाई ?

 चुप नहीं रह सकतीं थीं क्या ?

 ये तमाम प्रश्न जिन्दगी भर एक स्त्री का बचपन से बड़े होने तक पीछा नहीं छोड़ते। गौर से देखें तो ये एक तरह से समाज में बच्चों के जन्म से से ही उनके साथ की गयी परवरिश का एक पहलू भर है। जिससे साफ पता चलता है कि हमेंशा शायद यह माना गया है कि यदि स्त्री एक दायरे में रह कर जीवन जीती है तो ही सुरक्षित व संस्कारी है। और उसके संग यदि कुछ अघटित सा घटता है तो इसके लिये भी वही मुख्य रूप से दोषी है। देखा जाये तो इन सभी बातों में एक बात खास है कि पहली तो ये बातें पुरुषों के संदर्भ में नहीं कही जाती दूसरी अगर कहीं कही भी जाती है तो बस वहीं जहां पुरुष निर्बल पड़ रहा हो।

साथ ही सबल स्त्रियों से भी ये बातें नहीं कही जातीं। कभी किसी नें सुना है कि किसी सबल को निर्बल द्वारा कुचला गया है। नहीं न। निर्बल आक्रोशित हो कर सबल के सामने क्रोध में आ तो सकता है पर स्वविवेक से स्वयं पर काबू पा सबल से स्वयं के बचाव का रास्ता खोज ही लेता है। यानी सब कुछ दिमाग से संचालित होता है। कई जगह देखने में यह भी आता है कि सबल स्त्री द्वारा निर्बल पुरुष का शोषण किया गया है।

तो एक तरह से विकृत मानसिकता के कारण ही यह बलात्कार जैसा घिनौना कार्य होता है। अगर बचपन से ही बदला लेने की भावना की जगह क्षमा और कटु बातों को सहजता से लेना सिखाया जाये तो बहुत हद तक इस पर रोक लग सकती है।क्योंकि अक्सर देखा गया है कि किसी सबल से बदला लेने के लिये उसके किसी प्रिय पर बल प्रयोग कर अपराधी प्रवृत्ति के लोग मानसिक तुष्टि पाते हैं। सच तो यह है कि हर पुरुष गलत मानसिकता से ग्रसित नहीं होता। जिसकी परवरिश जैसे संस्कारों में होती है वह उसी प्रकार का व्यवहार करता है। महिला बाॅस के सामने सिर झुका कर खड़े पुरुष का पौरुष किसी अबला के सामने अनायास जाग्रत होने का यही कारण है। देखा यह भी गया है कि जहां समानता के अधिकार के साथ बच्चों की परवरिश होती है।यानी सह शिक्षा में वो अध्ययन करते हैं वहाँ इस तरह की भेदभाव पूर्ण बातों की तरफ ध्यान ही नहीं जाता। जहाँ जितनी स्वस्थ मानसिकता होगी वहाँ उतने ही कम अपराधी पनपेंगे और अपराध कम होंगें। इस प्रकार देखा जाये तो अन्त में यही निष्कर्ष निकलता है कि सबल द्वारा निर्बल पर किया गया बलप्रयोग ही बलात्कार है।चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक। और इस प्रकार के अपराधों को समान शिक्षा व मानसिक स्वास्थ्य द्वारा कम व खत्म किया जा सकता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract