Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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अपना विश्वास बनाए रखें

अपना विश्वास बनाए रखें

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कक्षा के विद्यार्थियों द्वारा आज की आभासी बैठक (वर्चुअल मीटिंग) में बच्चों ने " विश्वास " विषय को विचार विमर्श के लिए चुना गया था। चर्चा का श्री गणेश आकांक्षा ने अपनी जिज्ञासा को प्रस्तुत करते हुए किया कि हमें विश्वास करना चाहिए या नहीं?

ओमप्रकाश ने अपनी बात रखते हुए कहा कि समाचारों में और अन्य साहित्यिक विधाओं जैसे कहानी कविता निबंध आदि में विश्वासघात के उदाहरण भरे पड़े हैं ।जो विश्वास करता है वह धोखा खाता है तो हमें इसी पर बहुत ज्यादा विश्वास नहीं करना चाहिए।

प्रीति ने ओमप्रकाश की बात का सहारा लेते हुए कहा ओम प्रकाश भैया आपकी इस नकारात्मक बात में सकारात्मकता छिपी हुई है । आपने कहा है कि हमें बहुत ज्यादा विश्वास नहीं करना है। इसका अर्थ यह हुआ कि हमें विश्वास करना है, जरूर करना है लेकिन बहुत ज्यादा नहीं। इसकी अपनी एक सीमा और हमारी अपनी व्यक्तिगत सूझबूझ और अतीत के उदाहरण हैं जो इस संबंध में हमारे लिए सहायक सिद्ध होते हैं। इसे हम अति विश्वास या इसकी उच्चतम श्रेणी को हम अंधविश्वास मान सकते हैं। अंधविश्वास या बिना सोचे समझे विश्वास करने की बात है जिससे हमें हमें सदैव सावधान और सतर्क रहकर इससे बचना चाहिए । यदि हम दूसरे पर विश्वास नहीं करते तो इस समाज में हमारा काम नहीं चल सकता लेकिन यदि अति विश्वास या अंधविश्वास किया जाए तो उसका दुष्परिणाम भोगने को मिलता है । जिन उदाहरणों की ओर आपने जो संकेत करने का प्रयास किया है। वह अति विश्वास या अंधविश्वास ही है। क्योंकि जहां सीमा से अधिक विश्वास किया जाता है तो धोखा देने वाला आपके विश्वास को जीतकर ही आपको धोखा दे सकता है। तो हम विश्वास करें, अवश्य करें लेकिन अपने अंतर्मन और विवेक से सतत् समीक्षा करते रहें कि आपका विश्वास संबंधित व्यक्ति के साथ आप उसके आचरण-व्यवहार व्यवहार को अपने अनुभव की कसौटी पर कसें । देखें कि कौन व्यक्ति इतने विश्वास के योग्य है? उतना ही उस व्यक्ति पर विश्वास करें क्योंकि यदि हम किसी को बिना किसी आधार के संदेह की दृष्टि से देखेंगे तो हमारे किसी के साथ में संबंध प्रगाढ़ हो ही नहीं पाएंगे। संसार में हर व्यक्ति एक सा नहीं है संसार में ऐसे व्यक्ति हैं जो अपने विश्वास को बनाए रखने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देते हैं लेकिन विश्वास नहीं टूटने देते। वहीं कुछ ऐसे चतुर और धूर्त किस्म के लोग होते हैं जो आपका विश्वास जीतने के लिए पहले अपना कुछ नुकसान सरकर आपका विश्वास जीतते हैं और जब देखते हैं कि आपके दिल और दिमाग पर उसकी इमानदारी का अच्छा प्रभाव हो गया है तब वह आपको धोखा देता है। एक पुरानी फिल्म "आंखें" में कलाकार धर्मेंद्र एक जासूस की भूमिका निभा रहा होता है। इस फिल्म में धर्मेंद्र का एक प्रसिद्ध संवाद है कि "जासूसी का पहला नियम यह है कि किसी पर आंख मूंदकर विश्वास मत करें", क्योंकि क्योंकि इस फिल्म में दिखाया गया है कि वह दुश्मन देश में जब वह अपनी एक मिशन पर जाता है तो उसका अपना मित्र ही वहां की जासूसी संस्था से मिला होता है ।वह उसके बहुत सारे रहस्यों को जानने के लिए उसके होटल के कमरे में ट्रांसमीटर लगवा देता है जिससे कि उसकी एक-एक गतिविधि का उसे पता चलता रहे। अपने जासूसी के सिद्धांतों के आधार पर वह मित्रता के इस जाल में न पड़कर संदेह करके अपने उस मित्र को दूसरी जगह उलझा कर चुपके से वापस अपने होटल के कमरे में आकर वह सारे ट्रांसमीटर हटा देता है और अपने आप को बचा लेता है।

रीतू ने अपने परिचित अंदाज में कहा कि हमें अपने परिवारों से ही यह संस्कार बचपन से ही सीखने को मिलते हैं कि हम किसी को धोखा ना दें। हम जरूरत पड़ने पर अधिक कष्ट उठा लें। अभावों में अपना समय बिता लें लेकिन अपने भरोसे को हमेशा ही बनाए रखें ।कहा जाता है कि इस दुनिया में यदि कोई भौतिक वस्तु जिस जगह खोई होती है यानी उसको जिस जगह रख कर भूल चुके होते हैं । वह वस्तु देर -सबेर कभी न कभी ,जब भी मिलेगी तो वहीं मिलेगी। भरोसा अर्थात विश्वास के मामले में एक स्थिति बिल्कुल विपरीत है क्योंकि इस संसार में भरोसा एक ऐसी वस्तु है जो जहां खो जाए वह वहां दोबारा मिल ही नहीं सकती। किसी के साथ यदि विश्वासघात किया जाता है तो इसके बारे में एक कहावत है कि "काठ की हांडी ,एक ही बार चढ़ती है "। एक व्यक्ति जब किसी से धोखा खाता है तो जीवन में उस पर दोबारा भरोसा नहीं करता यानी यदि कोई व्यक्ति किसी के भरोसे की हत्या कर देता है तो फिर वह विश्वास का पात्र नहीं रहता ।भले ही वह लाख प्रयास कर ले। ऐसे ही प्रेम के संबंध में रहीम जी ने अपने दोहे में कहा है-

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरौ चटकाय।

टूटे से फिर ना जुरै, जुरै गांठ परि जाय।

इसलिए हम लोग मुसीबत उठाया लेकिन अपने प्यार और भरोसे को सदा ही बनाए रखें।


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